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हेमंत है तो हिम्मत है के बाद झारखंड झुकेगा नहीं तक का सफर, चुनावी समर के लिए कितना कारगर होगा झामुमो का भावनात्मक नारा! - लोकसभा चुनाव की तैयारी

Jharkhand Jhukega Nahi slogan posters in Ranchi. झारखंड... झुकेगा नहीं का नारा बुलंद कर जेएमएम ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. रांची में जेएमएम के पोस्टर चोरों ओर नजर आ रहे हैं. झामुमो के इस भावनात्मक नारे की ओर वोटरों का झुकाव कितना होगा, ये तो समय तय करेगा.

JMM started preparations for Lok Sabha elections with slogan of Jharkhand Jhukega Nahi
झारखंड... झुकेगा नहीं का नारा के साथ जेएमएम ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू की
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 18, 2024, 5:48 PM IST

चुनावी रणनीति को लेकर जानकारी देते जेएमएम नेता

रांची: झारखंड में चुनावी समर में लगभग सभी दल कूद चुके हैं. रणनीति तैयार हो रही है, अपने चहेते नेताओं के बैनर-पोस्टर्स तैयार किए जा रहे हैं. इसके साथ तस्वीर के साथ आकर्षक नारे भी लिखे जा रहे हैं. 2019 विधानसभा में हेमंत है तो हिम्मत के स्लोगन के साथ चुनावी नैया पार लगाई थी. इस बार पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की तस्वीर के साथ झारखंड... झुकेगा नहीं का नारा झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से बुलंद किया जा रहा है.

वर्ष 2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले नेता प्रतिपक्ष के रूप में हेमंत सोरेन जब चुनावी सभाएं करते थे. तब तत्कालीन रघुवर दास की सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए जो नारे चुनावी लगते थे उसमें हेमंत है तो हिम्मत है का नारा प्रमुख था. तत्कालीन सरकार के पांच साल के कार्यों से नाखुश जनता ने हेमन्त से हिम्मत मिलने का भरोसा दिखाया तो झारखंड मुक्ति मोर्चा भी इसी नारे और वादों के भरोसे 2019 की चुनावी नैया पार कर गयी. महागठबंधन के स्पष्ट बहुमत की सरकार 2019 के दिसंबर महीने में बन भी गयी, जिसके मुखिया हेमंत सोरेन बने. इन चार वर्षों में हेमंत सरकार ने अपने कई वादें पूरे किए तो कई अधूरे ही रहे. राजनीतिक और कानूनी पेंच में हेमंत सोरेन फंसते चले गए और अंततः ED द्वारा अपनी गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री की गद्दी भी छोड़नी पड़ी.

उनके उत्तराधिकारी के रूप में चंपई सोरेन आज मुख्यमंत्री हैं, कैबिनेट का विस्तार हो चुका है. इसके बावजूद 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव की नैया पार करने के लिए इस बार भी हेमंत सोरेन के नाम और तस्वीर की जरूरत न सिर्फ झामुमो को है बल्कि पूरे गठबंधन को है. यही वजह है कि जब ED ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया और उन्हें 13 दिन का रिमांड पर लिया तो झामुमो के साथ साथ पूरा महागठबंधन ने इसे झारखंड के स्वाभिमान से जोड़ते हुए आंदोलन तेज किया. साथ ही केंद्र की तानाशाही सरकार के खिलाफ एक आदिवासी युवा नेता का उलगुलान बताते हुए इस मुद्दे को भी राज्य के आदिवासियों, पिछड़े, दलित से जोड़ दिया और नया नारा दिया "झारखंड... झुकेगा नहीं".

झारखंड... झुकेगा नहीं स्लोगन के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 2024 की चुनावी लड़ाई को जीतने की पूरी रणनीति तैयार कर ली है. पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की बड़ी बड़ी तस्वीर और "झारखंड...झुकेगा नहीं" के स्लोगन वाले बड़े-बड़े होर्डिंग्स राजधानी में लगाये गए हैं. इसके साथ पार्टी की रणनीति के तहत इसे गांव-गांव घर-घर तक पहुंचायी जा रही है.

झारखंड मुक्ति मोर्चा और महागठबंधन नेताओं की सोच है कि जिस तरह से 2019 से ही भाजपा लगातार जनता के वोट से जीत कर आई सरकार को डिस्टर्ब करने की कोशिश करती रही है. अंततः ED द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी होने से पहले रांची उनके आवास पर CRPF भेजने, दिल्ली में ED की अचानक कार्रवाई जैसे मुद्दे को वह राज्य की अस्मिता से जोड़ने में सफल हो गए तो फिर 2024 के चुनाव में भाजपा कहीं टिक भी नहीं सकेगी. यही वजह है कि ED की रिमांड के दौरान हेमंत सोरेन के साथ अमानवीय व्यवहार का आरोप झामुमो की ओर से लगातार लगाया जाता रहा है.

हेमंत सोरेन की परेशानी को आदिवासी और आंदोलनकारी के बेटे की परेशानी, अबुआ आवास देने की योजना बनाने वाले युवा नेता की परेशानी, ओल्ड पेंशन स्कीम, यूनिवर्सल पेंशन देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री की परेशानी, सरना धर्म कोड, ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने वाले नेता को परेशान करने का आरोप लगाया जा रहा है. इसके साथ ही 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति की को आगे बढ़ाने वाले नेता की परेशानी बताते हुए इसके लिए जिम्मेवार भारतीय जनता पार्टी, केंद्र की मोदी सरकार और उनके इशारे पर काम करने वाले ED पर थोपा गया. साफ है कि झामुमो की रणनीति है कि जनता के बीच यह मैसेज जाए कि हेमंत सोरेन को आज जो कष्ट झेलना पड़ रहा है वह इसलिए नहीं कि उनका नाम जमीन घोटाले में हैं बल्कि इसलिए कि वह केंद्र की सरकार के आगे झुके नहीं. केंद्र के पास बकाया अरबों रुपये की मांग करते रहे और खुलकर पीएम मोदी और भाजपा की नीतियों का विरोध करते रहे. इसी कारण उनको जेल जाना पड़ा.

झारखंड झुकेगा नहीं ये हर झारखंडी का नारा- JMM:

2024 की लोकसभा और उसके बाद प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए झामुमो ने "झारखंड झुकेगा नहीं" को झारखंड की अस्मिता से जोड़ने की पूरी रणनीति बना ली है. झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य और केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय कहते हैं कि झारखंड का इतिहास झुकने का नहीं रहा है तो फिर चंद गुजरातियों के सामने झारखंड कहां झुकने वाला है? ऐसे में यह झारखंड झुकेगा का नारा जन-जन का नारा बन गया है. न्याय यात्रा, उपवास और अन्य कार्यक्रम के माध्यम से झामुमो और महागठबंधन के नेता लोगों को बताएंगे कि जब हमने अपना हक मांगा तो बदले में केंद्र की मोदी सरकार ने हमें ED की कार्रवाई दी.

इसे भी पढे़ं- हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के विरोध में सड़क पर जेएमएम, न्याय मार्च निकाल कर कहा- जेल का ताला टूटेगा, हेमंत सोरेन छूटेगा

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इसे भी पढ़ें- लोकसभा सीट फाइनल करने झामुमो नेताओं के साथ दिल्ली गए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी गए दिल्ली

चुनावी रणनीति को लेकर जानकारी देते जेएमएम नेता

रांची: झारखंड में चुनावी समर में लगभग सभी दल कूद चुके हैं. रणनीति तैयार हो रही है, अपने चहेते नेताओं के बैनर-पोस्टर्स तैयार किए जा रहे हैं. इसके साथ तस्वीर के साथ आकर्षक नारे भी लिखे जा रहे हैं. 2019 विधानसभा में हेमंत है तो हिम्मत के स्लोगन के साथ चुनावी नैया पार लगाई थी. इस बार पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की तस्वीर के साथ झारखंड... झुकेगा नहीं का नारा झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से बुलंद किया जा रहा है.

वर्ष 2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले नेता प्रतिपक्ष के रूप में हेमंत सोरेन जब चुनावी सभाएं करते थे. तब तत्कालीन रघुवर दास की सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए जो नारे चुनावी लगते थे उसमें हेमंत है तो हिम्मत है का नारा प्रमुख था. तत्कालीन सरकार के पांच साल के कार्यों से नाखुश जनता ने हेमन्त से हिम्मत मिलने का भरोसा दिखाया तो झारखंड मुक्ति मोर्चा भी इसी नारे और वादों के भरोसे 2019 की चुनावी नैया पार कर गयी. महागठबंधन के स्पष्ट बहुमत की सरकार 2019 के दिसंबर महीने में बन भी गयी, जिसके मुखिया हेमंत सोरेन बने. इन चार वर्षों में हेमंत सरकार ने अपने कई वादें पूरे किए तो कई अधूरे ही रहे. राजनीतिक और कानूनी पेंच में हेमंत सोरेन फंसते चले गए और अंततः ED द्वारा अपनी गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री की गद्दी भी छोड़नी पड़ी.

उनके उत्तराधिकारी के रूप में चंपई सोरेन आज मुख्यमंत्री हैं, कैबिनेट का विस्तार हो चुका है. इसके बावजूद 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव की नैया पार करने के लिए इस बार भी हेमंत सोरेन के नाम और तस्वीर की जरूरत न सिर्फ झामुमो को है बल्कि पूरे गठबंधन को है. यही वजह है कि जब ED ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया और उन्हें 13 दिन का रिमांड पर लिया तो झामुमो के साथ साथ पूरा महागठबंधन ने इसे झारखंड के स्वाभिमान से जोड़ते हुए आंदोलन तेज किया. साथ ही केंद्र की तानाशाही सरकार के खिलाफ एक आदिवासी युवा नेता का उलगुलान बताते हुए इस मुद्दे को भी राज्य के आदिवासियों, पिछड़े, दलित से जोड़ दिया और नया नारा दिया "झारखंड... झुकेगा नहीं".

झारखंड... झुकेगा नहीं स्लोगन के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 2024 की चुनावी लड़ाई को जीतने की पूरी रणनीति तैयार कर ली है. पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की बड़ी बड़ी तस्वीर और "झारखंड...झुकेगा नहीं" के स्लोगन वाले बड़े-बड़े होर्डिंग्स राजधानी में लगाये गए हैं. इसके साथ पार्टी की रणनीति के तहत इसे गांव-गांव घर-घर तक पहुंचायी जा रही है.

झारखंड मुक्ति मोर्चा और महागठबंधन नेताओं की सोच है कि जिस तरह से 2019 से ही भाजपा लगातार जनता के वोट से जीत कर आई सरकार को डिस्टर्ब करने की कोशिश करती रही है. अंततः ED द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी होने से पहले रांची उनके आवास पर CRPF भेजने, दिल्ली में ED की अचानक कार्रवाई जैसे मुद्दे को वह राज्य की अस्मिता से जोड़ने में सफल हो गए तो फिर 2024 के चुनाव में भाजपा कहीं टिक भी नहीं सकेगी. यही वजह है कि ED की रिमांड के दौरान हेमंत सोरेन के साथ अमानवीय व्यवहार का आरोप झामुमो की ओर से लगातार लगाया जाता रहा है.

हेमंत सोरेन की परेशानी को आदिवासी और आंदोलनकारी के बेटे की परेशानी, अबुआ आवास देने की योजना बनाने वाले युवा नेता की परेशानी, ओल्ड पेंशन स्कीम, यूनिवर्सल पेंशन देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री की परेशानी, सरना धर्म कोड, ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने वाले नेता को परेशान करने का आरोप लगाया जा रहा है. इसके साथ ही 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति की को आगे बढ़ाने वाले नेता की परेशानी बताते हुए इसके लिए जिम्मेवार भारतीय जनता पार्टी, केंद्र की मोदी सरकार और उनके इशारे पर काम करने वाले ED पर थोपा गया. साफ है कि झामुमो की रणनीति है कि जनता के बीच यह मैसेज जाए कि हेमंत सोरेन को आज जो कष्ट झेलना पड़ रहा है वह इसलिए नहीं कि उनका नाम जमीन घोटाले में हैं बल्कि इसलिए कि वह केंद्र की सरकार के आगे झुके नहीं. केंद्र के पास बकाया अरबों रुपये की मांग करते रहे और खुलकर पीएम मोदी और भाजपा की नीतियों का विरोध करते रहे. इसी कारण उनको जेल जाना पड़ा.

झारखंड झुकेगा नहीं ये हर झारखंडी का नारा- JMM:

2024 की लोकसभा और उसके बाद प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए झामुमो ने "झारखंड झुकेगा नहीं" को झारखंड की अस्मिता से जोड़ने की पूरी रणनीति बना ली है. झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य और केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय कहते हैं कि झारखंड का इतिहास झुकने का नहीं रहा है तो फिर चंद गुजरातियों के सामने झारखंड कहां झुकने वाला है? ऐसे में यह झारखंड झुकेगा का नारा जन-जन का नारा बन गया है. न्याय यात्रा, उपवास और अन्य कार्यक्रम के माध्यम से झामुमो और महागठबंधन के नेता लोगों को बताएंगे कि जब हमने अपना हक मांगा तो बदले में केंद्र की मोदी सरकार ने हमें ED की कार्रवाई दी.

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