रांची: पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता रहे चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद झामुमो की ओर से संवाददाता सम्मेलन कर प्रतिक्रिया दी गई है. झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि वह आंदोलनकारी रहे हैं. पार्टी ने उन्हें पर्याप्त मान-सम्मान दिया था और उन्हें अपना नेता भी माना था,लेकिन उन्होंने पार्टी को छोड़ दिया. भट्टाचार्य ने कहा कि अब वह जहां गए हैं उसके लिए उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं. झामुमो नेता ने कहा कि उनके जाने से पार्टी पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन भाजपा में हलचल जरूर देखने को मिलेगी.
जेएमएम बांस के पेड़ जैसा
पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन के दौरान सुप्रियो भट्टचार्य ने कहा कि परिवार का कोई सदस्य बिछड़ता है तो दुख जरूर होता है, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा बांस का पेड़ है. यह खत्म नहीं होता, एक अलग होता है तो दूसरा उसकी जगह ले लेता है. उन्होंने कहा कि वैक्यूम कहीं नहीं होता और रामदास सोरेन को मंत्री बनाकर वैक्यूम को भरा गया है.
भाजपा हमसे मुकाबला नहीं कर सकती-झामुमो
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पेगासस जैसे अंतरराष्ट्रीय जासूसी की बात स्वीकारने वाली पार्टी, भारतीय जनता पार्टी हमारी सरकार पर तत्कालीन मंत्री की जासूसी का आरोप लगा रही है, जो हास्यास्पद है .उन्होंने कहा कि अब साफ हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी हमसे राजनीतिक रूप से मुकाबला करने के लिए तैयार नहीं है. इसलिए वह इस तरह के हथकंडे अपना रही है.
बीजेपी की राजनीति समाज को बांटने वाली
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव ने कहा कि दरअसल, भारतीय जनता पार्टी की पूरी राजनीति ही समाज को बांट कर राजनीति करने की है. उसका समाज से जुड़े मुद्दे से कोई वास्ता नहीं रहा है.झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार ने कोरोना में दो वर्ष बर्बाद होने के बावजूद जनकल्याण की 108 से अधिक योजनाएं शुरू की हैं, जिसका लाभ राज्य की जनता को मिल रहा है.
सरकार फिर जा रही है जनता के द्वार
झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है. हमारी सरकार की सारी योजनाएं जनकल्याणकारी हैं. ऐसे में चौथी बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन "आपकी योजना, आपकी सरकार, आपका अधिकार" कार्यक्रम के तहत 15 सितंबर से फिर एक बार जनता के बीच जा रहे हैं. इसकी वजह यही है कि महागठबंधन की सरकार के लिए प्राथमिकता में राज्य की जनता और उनका हित है.
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