झुंझुनू. सैनिकों और शहीदों की धरती के रूप में मशहूर झुंझुनू लोकसभा सीट हमेशा से ही आश्चर्य जनक परिणाम देने के लिए जानी जाती रही है. झुंझुनू लोकसभा सीट के मतदाताओं ने कभी देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में शामिल बिरला परिवार को शिकस्त देकर एक किसान के बेटे को जितवाया था तो यह वही धरती है जहां पर वीर चक्र अयूब खान भी दो बार सांसद रहे हैं. जाट बाहुल्य सीट झुंझुनू में कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला का बड़ा दबदबा रहा है, लेकिन समय का फेर हुआ कि एक तरफ पांच बार के सांसद शीशराम ओला नहीं रहे तो दूसरी ओर देश में मोदी लहर चल रही थी जिसकी चपेट में झुंझुनू भी आ गया.
ओला के जाते ही हार गई कांग्रेस : साल 2014 में झुंझुनू अपने लोकप्रिय नेता शीशराम ओला के बिना लोकसभा चुनाव की दुंदुभी बजा रहा था. कांग्रेस ने उनकी पुत्रवधू राजबाला ओला पर भरोसा जताया तो भाजपा ने भी उनके सामने महिला उम्मीदवार संतोष अहलावत को चुनाव मैदान में उतारा. भाजपा की प्रचंड लहर में झुंझुनू लोकसभा सीट को भी पहली बार महिला सांसद मिली और संतोष अहलावत 2,33,834 मतों से जीत कर संसद पहुंचीं. इसके बाद वर्ष 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने ओला परिवार के बजाय पांच बार के विधायक श्रवण कुमार को टिकट दिया तो भाजपा ने भी अपने सीटिंग एमएलए नरेंद्र को मैदान में उतारा. ऐसे में भाजपा और ज्यादा मजबूत हुई और जीत का अंतर बढ़कर 3,02,547 हो गया.
कांग्रेस ने फिर बदला पैंतरा : अब इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार वापस ओला परिवार पर भरोसा जताया और शीशराम ओला के पुत्र पूर्व मंत्री बृजेंद्र ओला को मैदान में उतारा है. विधानसभा चुनाव में ही इस लोकसभा सीट में शामिल सभी विधानसभा सीटों के कांग्रेस प्रत्याशी अपनी अपनी जरूरतों की वजह से आपस में एक हो गए और इसका जबरदस्त फायदा पार्टी को भी मिला. नतीजन, झुंझुनू लोकसभा की आठ में से 6 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस जीत गई. इस बार भी कांग्रेस संगठित होकर चुनाव लड़ रही है तो दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के तीन बार के विधानसभा चुनाव हारे हुए प्रत्याशी को सही मायने में संगठन का ही साथ नहीं मिला. भाजपा प्रत्याशी शुभकरण चौधरी को अपने पुराने राजनीतिक इतिहास की वजह से राजपूत मतदाताओं की नाराजगी झेलनी पड़ी. हालांकि उन्हें राम मंदिर, धारा 370 हटाने जैसे राष्ट्रीय मुद्दों का जरूर साथ मिला है. कहने को तो यहां पर मुकाबला टक्कर का है, लेकिन कहीं न कहीं कांग्रेस भारी है.
52 फीसदी मतदान : झुंझुनू लोकसभा सीट पर इस बार 10,94,900 मतदाता है लेकिन लोगों का मतदान के प्रति कोई रुझान नहीं रहा. इसलिए यहां पर लगभग आधे ही लोगों ने मतदान किया और माना जा रहा है कि कहीं ना कहीं भाजपा को ही इस नाराजगी का मोल चुकाना पड़ेगा.