रांची: चुनाव की दहलीज पर खड़े झारखंड का पाकुड़ जिला राजनीति का हॉट स्पॉट बना हुआ है. नेताओं के बीच इस जिला में दौरा करने की होड़ मची हुई है. इसकी वजह है हिन्दू और आदिवासी का मुस्लिम समाज के साथ उपजा विवाद इसकी शुरुआत 16 जून 2024 को बकरीद के दिन हुई. एक के बाद एक तीन घटनाओं ने राज्य सरकार को विपक्ष के निशाने पर ला दिया.
अब सीएम हेमंत सोरेन इस जख्म पर मंईयां सम्मान योजना का महरम लगाने जा रहे हैं. 17 अगस्त को उसी गायबथान में सरकार की महत्वकांक्षी मंईयां सम्मान योजना का शुभारंभ करने जा रहे हैं, जहां कुछ वक्त पहले जमीन के लिए आदिवासी समाज के लोगों के साथ मारपीट हुई थी. आरोप मुस्लिम पक्ष पर लगा था. भाजपा आज भी उस घटना की दुहाई दे रही है. राज्य सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लग रहा है.
पाकुड़ में झामुमो और कांग्रेस का है दबदबा
झारखंड का पाकुड़ जिला पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिला से सटा हुआ है. जिला के लिहाज से पाकुड़ एक आदिवासी बहुल क्षेत्र हैं. लेकिन पाकुड़ विधासभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा है. यह ऐसी सीट है जहां राज्य बनने के बाद भाजपा कभी नहीं जीत पाई. वर्तमान में पाकुड़ के विधायक कांग्रेस के आलमगीर आलम हैं. दो अन्य विधानसभा सीटों 'लिट्टीपाड़ा और महेशपुर' झामुमो के पास है. लेकिन 16 जून को बकरीद के दिन हुई घटना ने भाजपा को पाकुड़ में राजनीतिक जमीन सींचने का बड़ा मौका दे दिया है.
आखिर क्यों राजनीति का हॉट स्पॉट बना है पाकुड़
बकरीद के दिन पाकुड़ के मुफ्फसिल थानाक्षेत्र के गोपीनाथपुर में गोकशी पर सांप्रदायिक माहौल बिगड़ा था. यह इलाका पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिला से लगा हुआ है. एक पक्ष के विरोध करने पर पश्चिम बंगाल के शमशेरगंज इलाका से दूसरे पक्ष के लोगों ने गोपीनाथपुर में ग्रामीणों पर धावा बोल दिया था. यहां हिंदुओं के घर में तोड़फोड़ और आगजनी, बमबाजी और फायरिंग हुई थी. पुलिस के रहते दूसरे दिन भी मुर्शीदाबाद के लोग मारपीट करने आ धमके थे. तीसरे दिन पुलिस ने सख्ती बरती और हालात पर काबू पाया. इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई. पश्चिम बंगाल में शांति समिति की बैठक करनी पड़ी थी.
गायबथान में जमीन के लिए आदिवासी की पिटाई
अभी गोपीनाथपुर में सांप्रदायिक हिंसा की आंच शांत भी नहीं हुई थी कि दूसरी घटना पाकुड़ के महेशपुर थानाक्षेत्र के गायबथान में हो गई. यहां मुस्लिम और आदिवासी के बीच जमीन विवाद को लेकर मारपीट हुई. इसमें आदिवासी परिवार के कई लोग घायल हो गये. इनमें दंदू हेम्ब्रम, होपनी मरांडी, रानी मरांडी, परमेश्वर हेम्ब्रम के नाम शामिल हैं. प्राथमिकी दर्ज हुई और कुछ को गिरफ्तार भी किया गया. कुछ लोग फरार हैं. आरोप लगा था मुस्लिम पक्ष के लोग आदिवासी की जमीन पर जबरन कब्जा कर रहे थे.
गायबथान विवाद में कूदे आदिवासी छात्रों की पिटाई
गायबथान वाली घटना के विरोध में पाकुड़ के कुमार कालीदास मेमोरियल कॉलेज के आदिवासी बालक कल्याण छात्रावास के छात्रों ने आक्रोश रैली निकालने का आह्वान किया था. लेकिन उसी रात पाकुड़ नगर थाना की पुलिस एक अपह्रत बच्चे की तलाश करने हॉस्टल पहुंच गई. इसी दौरान वहां छात्रों से झड़प हो गई. बाद में तैयारी के साथ पुलिस पहुंची और छात्रों पर लाठीचार्ज किया. इसमें पुलिस और छात्र, दोनों घायल हुए.
असम के सीएम को नहीं जाने दिया गया गोपीनाथपुर
तीनों बड़ी घटनाएं थी. लिहाजा, 1 अगस्त को असम के सीएम सह झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा गोपीनाथपुर में पीड़ितों से मिलने निकल पड़े. विधि व्यवस्था का मसला आया तो पुलिस ने वहां जाने से रोक दिया. हालांकि उनको गायबथान के पीड़ितों के अलावा हॉस्टल के छात्रों से मिलने दिया गया. वैसे गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे तीनों जगहों पर जाकर पीड़ितों से मिल चुके हैं.
खास बात है कि झारखंड के पाकुड़ और पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिला में दोनों इलाकों के लोगों का आना जाना लगा रहता है. पाकुड़ से ज्यादातर लोग इलाज के लिए मुर्शीदाबाद जाते हैं. बीड़ी बनाकर बेचने और मजदूरी के लिए भी यहां के लोग मुर्शीदाबाद जाते हैं. वहां के लोग पत्थर खदानों और क्रशर में मजदूरी के साथ-साथ खेती-बाड़ी के लिए भी आते हैं. लेकिन हाल के दिनों में हुई घटनाओं ने यहां की फिजा में ज़हर घोल दिया है.
भाजपा के लगातार हमले से सरकार बैकफुट पर है. लिहाजा, चर्चा आम है कि सीएम हेमंत सोरेन ने सोची समझी रणनीति के तहत उसी गायबथान इलाके को मंईयां सम्मान योजना के शुभारंभ के लिए चुना है, जहां आदिवासी परिवार के लोगों की पिटाई हुई थी. अब देखना है कि गायबथान से शुरु हो रही उनकी महत्वाकांक्षी योजना राजनीति का कैसा रंग तैयार करती है.
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