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झारखंड का चुनावी गणित आधी आबादी पर केंद्रित, आखिर क्या है वजह

झारखंड विधानसभा चुनाव काफी नजदीक है. जल्द ही तारीखों की घोषणा हो जाएगी. इस बीच पक्ष और विपक्ष का फोकस महिलाओं पर है.

JHARKHAND POLITICS
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 8, 2024, 3:31 PM IST

रांचीः विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड की राजनीति आधी आबादी पर केंद्रित हो गई है. हेमंत सरकार के मंईयां सम्मान योजना के प्रभाव को रोकने के लिए भाजपा ने गोगो-दीदी योजना शुरु करने की घोषणा कर दी है. राज्य सरकार 1000 रु प्रति माह दे रही है तो भाजपा कह रही है कि वह 2100 रु. प्रतिमाह देगी. इसको लेकर सत्ताधारी दलों और विपक्ष में जंग छिड़ी हुई है. भाजपा नेता आरोप लगा रहे हैं कि हेमंत सरकार को योजना का लाभ देना होता तो सरकार बनने के तीन माह के भीतर योजना शुरु हो चुकी होती. लिहाजा, चुनाव के वक्त ऐसा करना सिर्फ आंख में धूल झोंकने के समान है. यह वोट के लिए हो रहा है. चुनाव खत्म होते ही योजना बंद हो जाएगी.

आधी आबादी पर क्यों फोकस कर रहीं पार्टियां

अब सवाल है कि सभी राजनीतिक दल आखिर आधी आबादी को टारगेट क्यों कर रहे हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्मस के सुधीर पाल ने इसकी वजह और मायने बताए हैं. उनका कहना है कि 2019 के बाद से वोटिंग ट्रेंड बदला है. हर जगह महिलाएं आगे बढ़कर वोटिंग कर रही हैं. इनरोलमेंट में भी महिलाओं की संख्या ज्यादा है. पिछले ढाई-तीन दशकों से सेल्फ हेल्क ग्रुप की वजह से महिलाएं मोबिलाइज हुई हैं. पेयजल, स्वच्छता, आंगनबाड़ी, मध्याह्न भोजन जैसी योजनाओं के क्रियान्वयन में महिलाओं की भूमिका ज्यादा है. महिलाएं फ्रंट रनर बनती दिख रहीं हैं.

दूसरा पक्ष यह है कि महिलाओं के मामले में एक ग्रुप को भी पकड़ लें तो बातें ज्यादा प्रभावी होती हैं. महिलाओं के हाथ में आने वाला कैश उनको एंपावर करता है. मंईयां सम्मान यात्रा के दौरान विधायक कल्पना सोरेन से बातचीत में ज्यादातर महिलाएं यह कहती दिखी हैं कि वे इन पैसों से अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाएंगी.

सुधीर पाल के मुताबिक सारा खेल डीबीटी का है. इसको सबसे पहले पीएम मोदी ने किसान सम्मान योजना के जरिए धरातल पर उतारा. हर साल किसानों के खाते में 6000 रु. पहुंच रहे हैं. इसका इंपैक्ट दिखा है. हाल के वर्षों में जहां भी चुनाव हुए, वहां डीबीटी चर्चा में रही है. सुधीर पाल यह भी मानते हैं कि ऐसा होना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. कल को लोगों को स्वास्थ्य, सड़क से मतलब नहीं रहेगा. उनको अकाउंट में पैसे से मतलब रहेगा. एक ही परिवार में वृद्धावस्था पेंशन, स्कॉरलशिप के पैसे जा रहे हैं. इसका परिणाम झारखंड चुनाव में दिखेगा. हेमंत सरकार के लिए अबुआ आवास और मंईयां सम्मान योजना फायदेमंद साबित होती दिख रही है.

क्या गोगो दीदी योजना बीजेपी को दिलाएगी लाभ

अब सवाल है कि भाजपा द्वारा गोगो-दीदी योजना के तहत 2100 रु. देने की घोषणा टिकेगी या नहीं. इसपर विश्लेषक सुधीर पाल का मानना है कि भाजपा की यह घोषणा भी असर डालेगी. इसको समझने के लिए कुछ माह पूर्व हुए लोकसभा चुनाव को देखना होगा. तब राहुल गांधी ने पैसे देने की बात कही थी. खटाखट खटाखट का नारा चल पड़ा था. उस दौरान महिलाओं ने कतारबद्ध होकर खाता खुलवाना शुरू कर दिया था. इस बीच झारखंड में एक नेगेटिव मैसेज गया है कि मंईयां सम्मान का लाभ सिर्फ चुनाव तक ही है. जाहिर है कि इसका लाभ भाजपा को मिलेगा. ऊपर से भाजपा ने 500 रु. में एलपीजी देने की भी बात कह दी है.

मध्य प्रदेश में दिखा था आधी आबादी की योजना का असर

आधी आबादी की ताकत मध्य प्रदेश के चुनाव में दिख चुकी है. 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश में एंटी इंकंबेंसी फैक्टर के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 28 जनवरी 2023 को 'मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना' लागू करने की घोषणा की थी. इसके तहत जरुरतमंद महिलाओं को हर माह 1250 रु. दिए जाते हैं. इस योजना का लाभ 21 साल से 60 साल तक की महिलाओं का मिलता है. इसका ऐसा असर पड़ा कि कांग्रेस चारों खाने चित हो गई. भाजपा बहुमत के साथ फिर सरकार बनाने में सफल रही.

मध्य प्रदेश सरकार के मुताबिक इस योजना के योग्य पात्र आवेदकों की कुल संख्या 1 करोड़ 29 लाख 5 हजार 457 है. झारखंड भाजपा के चुनाव प्रभारी होने के नाते केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान हर कार्यक्रम में अपनी योजना का जिक्र कर यह बताने की कोशिश करते हैं कि मंईयां सम्मान योजना सिर्फ छलावा है. सरकार चाहती तो इसे काफी पहले शुरू कर चुकी होती.

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आधी आबादी पर क्यों फोकस कर रहीं पार्टियां

अब सवाल है कि सभी राजनीतिक दल आखिर आधी आबादी को टारगेट क्यों कर रहे हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्मस के सुधीर पाल ने इसकी वजह और मायने बताए हैं. उनका कहना है कि 2019 के बाद से वोटिंग ट्रेंड बदला है. हर जगह महिलाएं आगे बढ़कर वोटिंग कर रही हैं. इनरोलमेंट में भी महिलाओं की संख्या ज्यादा है. पिछले ढाई-तीन दशकों से सेल्फ हेल्क ग्रुप की वजह से महिलाएं मोबिलाइज हुई हैं. पेयजल, स्वच्छता, आंगनबाड़ी, मध्याह्न भोजन जैसी योजनाओं के क्रियान्वयन में महिलाओं की भूमिका ज्यादा है. महिलाएं फ्रंट रनर बनती दिख रहीं हैं.

दूसरा पक्ष यह है कि महिलाओं के मामले में एक ग्रुप को भी पकड़ लें तो बातें ज्यादा प्रभावी होती हैं. महिलाओं के हाथ में आने वाला कैश उनको एंपावर करता है. मंईयां सम्मान यात्रा के दौरान विधायक कल्पना सोरेन से बातचीत में ज्यादातर महिलाएं यह कहती दिखी हैं कि वे इन पैसों से अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाएंगी.

सुधीर पाल के मुताबिक सारा खेल डीबीटी का है. इसको सबसे पहले पीएम मोदी ने किसान सम्मान योजना के जरिए धरातल पर उतारा. हर साल किसानों के खाते में 6000 रु. पहुंच रहे हैं. इसका इंपैक्ट दिखा है. हाल के वर्षों में जहां भी चुनाव हुए, वहां डीबीटी चर्चा में रही है. सुधीर पाल यह भी मानते हैं कि ऐसा होना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. कल को लोगों को स्वास्थ्य, सड़क से मतलब नहीं रहेगा. उनको अकाउंट में पैसे से मतलब रहेगा. एक ही परिवार में वृद्धावस्था पेंशन, स्कॉरलशिप के पैसे जा रहे हैं. इसका परिणाम झारखंड चुनाव में दिखेगा. हेमंत सरकार के लिए अबुआ आवास और मंईयां सम्मान योजना फायदेमंद साबित होती दिख रही है.

क्या गोगो दीदी योजना बीजेपी को दिलाएगी लाभ

अब सवाल है कि भाजपा द्वारा गोगो-दीदी योजना के तहत 2100 रु. देने की घोषणा टिकेगी या नहीं. इसपर विश्लेषक सुधीर पाल का मानना है कि भाजपा की यह घोषणा भी असर डालेगी. इसको समझने के लिए कुछ माह पूर्व हुए लोकसभा चुनाव को देखना होगा. तब राहुल गांधी ने पैसे देने की बात कही थी. खटाखट खटाखट का नारा चल पड़ा था. उस दौरान महिलाओं ने कतारबद्ध होकर खाता खुलवाना शुरू कर दिया था. इस बीच झारखंड में एक नेगेटिव मैसेज गया है कि मंईयां सम्मान का लाभ सिर्फ चुनाव तक ही है. जाहिर है कि इसका लाभ भाजपा को मिलेगा. ऊपर से भाजपा ने 500 रु. में एलपीजी देने की भी बात कह दी है.

मध्य प्रदेश में दिखा था आधी आबादी की योजना का असर

आधी आबादी की ताकत मध्य प्रदेश के चुनाव में दिख चुकी है. 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश में एंटी इंकंबेंसी फैक्टर के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 28 जनवरी 2023 को 'मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना' लागू करने की घोषणा की थी. इसके तहत जरुरतमंद महिलाओं को हर माह 1250 रु. दिए जाते हैं. इस योजना का लाभ 21 साल से 60 साल तक की महिलाओं का मिलता है. इसका ऐसा असर पड़ा कि कांग्रेस चारों खाने चित हो गई. भाजपा बहुमत के साथ फिर सरकार बनाने में सफल रही.

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