ETV Bharat / state

झारखंड विधानसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है झामुमो! सहयोगी दलों के खाते वाली सीटों पर भी है नजर - Jharkhand Assembly Election 2024

Seat sharing in assembly election in Jharkhand.झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर महागठबंधन दलों के नेता मंथन करने में जुटे हैं. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा अभी से पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुका है.

Jharkhand Assembly Election 2024
झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय. (फोटो-ईटीवी भारत)
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 14, 2024, 9:13 PM IST

रांची: झारखंड में अक्टूबर महीने में ही विधानसभा चुनाव होने की बढ़ती संभावनाओं के बीच सत्तारूढ़ महागठबंधन के सबसे बड़े दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने साफ कर दिया है कि वह विधानसभा चुनाव में न सिर्फ बड़े भाई की भूमिका में रहेगा, बल्कि उसकी चाहत 2019 विधानसभा चुनाव से अधिक सीटें पाने की भी है.

बयान देते झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय. (वीडियो-ईटीवी भारत)


सीट शेयरिंग पर अंतिम निर्णय महागठबंधन दलों के बड़े नेता लेंगेः मनोज पांडेय

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता और केंद्रीय समिति सदस्य मनोज पांडेय कहते हैं कि वैसे तो सीट शेयरिंग पर फाइनल फैसला महागठबंधन के सभी दलों के बड़े नेता मिल बैठकर करेंगे, लेकिन यह भी साफ है कि राज्य की राजनीति में ड्राइविंग सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ही रहेगा. झामुमो नेता ने कहा कि हम महागठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ते हैं और ज्यादा सीटें जीतते भी हैं.
जमीनी हकीकत और विनिबिलिटी होगा सीट पाने का मुख्य पैमाना

झामुमो नेता ने कहा कि महागठबंधन के सहयोगी दलों की धरातल पर क्या स्थिति है उनकी जमीनी हकीकत क्या है और किसकी विनिबिलिटी क्या है यह सब ध्यान में रखकर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय होगा.
कार्यकर्ताओं और जनता की इच्छा है कि झामुमो ज्यादा सीटों पर लड़े चुनाव- मनोज पांडेय

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता ने कहा कि राज्य की जनता और हमारे कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में हम 2019 की अपेक्षा ज्यादा मजबूती से चुनाव लड़ें. ऐसे में कांग्रेस और राजद को विश्वास में लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगा.

एक सवाल के जवाब में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव में सीपीआई माले महागठबंधन और इंडिया ब्लॉक का सहयोगी रहा है. ऐसे में झामुमो चाहता है कि विधानसभा चुनाव में भी माले महागठबंधन के साथ रहे .

2019 में 70 प्रतिशत के करीब था झामुमो की जीत का स्ट्राइक रेट

झारखंड की राजनीति को बेहद करीब से देखने और समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की शुरू से यह रणनीति रही है कि पार्टी के भविष्य के पॉलिटिकल लाइन को पहले उनके प्रवक्ता और केंद्रीय महासचिव से मीडिया के माध्यम से कहवाया जाता है और फिर बाद में वही स्टैंड पार्टी आलाकमान का हो जाता है. ऐसे में जब पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता 2019 की अपेक्षा इस बार अधिक विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने की बात करने लगे हैं, तो निश्चित रूप से पार्टी के अंदर इस पर विचार हो रहा होगा.

वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि दरअसल, झारखंड मुक्ति मोर्चा विनिबिलिटी की बात इसलिए कर रहा है, क्योंकि 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजे विनिबिलिटी के मामले में उसके पक्ष में गया था. तब झारखंड मुक्ति मोर्चा राज्य की 43 सीटों पर चुनाव लड़कर 30 सीट जीतने में सफल रहा था. इस तरह उसने लगभग 69.76% सीटों पर जीत हासिल की थी.

2019 के चुनाव में राजद सात सीटों पर लड़ा था चुनाव, जीत मिली थी एक पर

जबकि कांग्रेस 31 सीटों पर चुनाव लड़कर 16 विधानसभा जीत पाई थी और उसका विनिंग स्ट्राइक रेट 51.61% था. जबकि महागठबंधन की तीसरी सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल 2019 विधानसभा चुनाव में 07 सीटों पर चुनाव लड़कर महज एक सीट जीतने में सफल रहा था और उसका स्ट्राइक रेट 14.28 % था.

ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं को लगता है कि अगर सीट शेयरिंग को लेकर जब बात होगी तो स्ट्राइक रेट सामने रखकर वह महागठबंधन में ज्यादा सहयोगी दलों से 2019 की अपेक्षा ज्यादा सीटें हासिल कर सकता है.

ये भी पढ़ें-

अक्टूबर में झारखंड में विधानसभा चुनाव! बोली भाजपा- हैं तैयार हम, जानें, क्या है कांग्रेस और झामुमो का स्टैंड - Jharkhand Assembly election

विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में दरार! 22 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात पर झामुमो ने कही ये बात - JMM Objection On Jharkhand RJD

समय पूर्व विधानसभा चुनाव के विरोध में झामुमो, कहा- सरकार के अंदर अस्थिरता और अधिकारियों में भ्रम फैलाने का रचा जा रहा कुचक्र - Jharkhand assembly election

रांची: झारखंड में अक्टूबर महीने में ही विधानसभा चुनाव होने की बढ़ती संभावनाओं के बीच सत्तारूढ़ महागठबंधन के सबसे बड़े दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने साफ कर दिया है कि वह विधानसभा चुनाव में न सिर्फ बड़े भाई की भूमिका में रहेगा, बल्कि उसकी चाहत 2019 विधानसभा चुनाव से अधिक सीटें पाने की भी है.

बयान देते झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय. (वीडियो-ईटीवी भारत)


सीट शेयरिंग पर अंतिम निर्णय महागठबंधन दलों के बड़े नेता लेंगेः मनोज पांडेय

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता और केंद्रीय समिति सदस्य मनोज पांडेय कहते हैं कि वैसे तो सीट शेयरिंग पर फाइनल फैसला महागठबंधन के सभी दलों के बड़े नेता मिल बैठकर करेंगे, लेकिन यह भी साफ है कि राज्य की राजनीति में ड्राइविंग सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ही रहेगा. झामुमो नेता ने कहा कि हम महागठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ते हैं और ज्यादा सीटें जीतते भी हैं.
जमीनी हकीकत और विनिबिलिटी होगा सीट पाने का मुख्य पैमाना

झामुमो नेता ने कहा कि महागठबंधन के सहयोगी दलों की धरातल पर क्या स्थिति है उनकी जमीनी हकीकत क्या है और किसकी विनिबिलिटी क्या है यह सब ध्यान में रखकर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय होगा.
कार्यकर्ताओं और जनता की इच्छा है कि झामुमो ज्यादा सीटों पर लड़े चुनाव- मनोज पांडेय

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता ने कहा कि राज्य की जनता और हमारे कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में हम 2019 की अपेक्षा ज्यादा मजबूती से चुनाव लड़ें. ऐसे में कांग्रेस और राजद को विश्वास में लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगा.

एक सवाल के जवाब में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव में सीपीआई माले महागठबंधन और इंडिया ब्लॉक का सहयोगी रहा है. ऐसे में झामुमो चाहता है कि विधानसभा चुनाव में भी माले महागठबंधन के साथ रहे .

2019 में 70 प्रतिशत के करीब था झामुमो की जीत का स्ट्राइक रेट

झारखंड की राजनीति को बेहद करीब से देखने और समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की शुरू से यह रणनीति रही है कि पार्टी के भविष्य के पॉलिटिकल लाइन को पहले उनके प्रवक्ता और केंद्रीय महासचिव से मीडिया के माध्यम से कहवाया जाता है और फिर बाद में वही स्टैंड पार्टी आलाकमान का हो जाता है. ऐसे में जब पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता 2019 की अपेक्षा इस बार अधिक विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने की बात करने लगे हैं, तो निश्चित रूप से पार्टी के अंदर इस पर विचार हो रहा होगा.

वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि दरअसल, झारखंड मुक्ति मोर्चा विनिबिलिटी की बात इसलिए कर रहा है, क्योंकि 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजे विनिबिलिटी के मामले में उसके पक्ष में गया था. तब झारखंड मुक्ति मोर्चा राज्य की 43 सीटों पर चुनाव लड़कर 30 सीट जीतने में सफल रहा था. इस तरह उसने लगभग 69.76% सीटों पर जीत हासिल की थी.

2019 के चुनाव में राजद सात सीटों पर लड़ा था चुनाव, जीत मिली थी एक पर

जबकि कांग्रेस 31 सीटों पर चुनाव लड़कर 16 विधानसभा जीत पाई थी और उसका विनिंग स्ट्राइक रेट 51.61% था. जबकि महागठबंधन की तीसरी सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल 2019 विधानसभा चुनाव में 07 सीटों पर चुनाव लड़कर महज एक सीट जीतने में सफल रहा था और उसका स्ट्राइक रेट 14.28 % था.

ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं को लगता है कि अगर सीट शेयरिंग को लेकर जब बात होगी तो स्ट्राइक रेट सामने रखकर वह महागठबंधन में ज्यादा सहयोगी दलों से 2019 की अपेक्षा ज्यादा सीटें हासिल कर सकता है.

ये भी पढ़ें-

अक्टूबर में झारखंड में विधानसभा चुनाव! बोली भाजपा- हैं तैयार हम, जानें, क्या है कांग्रेस और झामुमो का स्टैंड - Jharkhand Assembly election

विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में दरार! 22 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात पर झामुमो ने कही ये बात - JMM Objection On Jharkhand RJD

समय पूर्व विधानसभा चुनाव के विरोध में झामुमो, कहा- सरकार के अंदर अस्थिरता और अधिकारियों में भ्रम फैलाने का रचा जा रहा कुचक्र - Jharkhand assembly election

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.