रांची: 1 जुलाई 2024 से आईपीसी अब भारतीय न्याय संहिता कहलाएगी. भारत के सभी थानों में अब आईपीसी की धारा लागू नहीं होगी, बल्कि 1 जुलाई से सभी मामले बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) के तहत दर्ज किए जाएंगे. झारखंड में पदस्थापित सभी आईपीएस अधिकारी भारतीय न्याय संहिता की पूरी जानकारी ले रहे हैं, ताकि आगे काम करने में आसानी हो. झारखंड के डीजीपी अजय कुमार सिंह खुद आईपीएस अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए खेलगांव स्थित पुलिस ट्रेनिंग पहुंचे, जहां अजय कुमार सिंह ने आईपीएस अधिकारियों को भारतीय न्याय संहिता की सभी खास बातें बताईं.
शनिवार को चल रहे प्रशिक्षण सत्र में झारखंड के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों और राज्य में पदस्थापित सभी आईपीएस अधिकारियों को भारतीय दंड संहिता की धाराओं के बारे में जानकारी दी गई. डीजीपी अजय कुमार सिंह ने बताया कि सभी आईपीएस अधिकारियों को भारतीय दंड संहिता से जुड़ी धाराओं के बारे में जानकारी दे दी गई है.
जानिए किस तरह के होंगे बदलाव
अभी तक हम हत्या की धारा को 302 के नाम से जानते थे जिसे आईपीसी की धारा 302 लिखा जाता था, लेकिन अब 302 की जगह हत्या का मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 103 के तहत दर्ज होगा. इस तरह अब हत्या के प्रयास के लिए धारा 307 की जगह धारा 109, मारपीट के लिए 323 की जगह 115, छेड़छाड़ के लिए 354बी की जगह 74, पीछा करने के लिए 354 की जगह 78, नाबालिग का अपहरण करने के लिए 363 की जगह 139 और बलात्कार के लिए 376 की जगह धारा 64 के तहत मामला दर्ज होगा.
आईपीएस की ट्रेनिंग जरूरी
झारखंड के डीजीपी अजय कुमार सिंह ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता पर ट्रेनिंग की प्रक्रिया लोकसभा चुनाव से पहले ही शुरू कर दी गई थी. झारखंड पुलिस की सभी इकाइयों में तैनात अधिकारियों और कर्मियों को लगातार भारतीय न्याय संहिता पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. आईपीएस अधिकारियों का प्रशिक्षण इसलिए भी बहुत जरूरी था, ताकि वे अपने-अपने जिलों में जाकर अपने जूनियर पुलिसकर्मियों को भारतीय न्याय संहिता से संबंधित प्रशिक्षण दे सकें.
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