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Jharkhand Election Results: बोकारो जिले से एनडीए का सफाया, जानिए हार की वजह - NDA ALLIANCE IN BOKARO

बोकारो की चारों विधानसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन ने जीत हासिल की है. बोकारो से बिरंची नारायण और चंदनकियारी से अमर बाउरी भी हार गए.

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इंडिया गठबंधन की जीत से समर्थकों में खुशी (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 24, 2024, 1:51 PM IST

बोकारो: झारखंड विधानसभा चुनाव में बोकारो जिले में एनडीए को पूरी तरह से निराशा हाथ लगी है. जिले के चारों विधानसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन की जीत हुई है तो वहीं एनडीए का यहां से सफाया हो गया. जनता ने पूरी तरह से एनडीए को नकार दिया है. जानकार इस हार का कारण जेएलकेएम पार्टी का आना बता रहे हैं. बोकारो जिले की तीन सीट गोमिया, बेरमो और चंदनकियारी में जेएलकेएम के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे. वहींं, एनडीए के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे. एक तरफ एनडीए खेमा में शांति थी तो दूसरी ओर इंडिया गठबंधन में खुशी की लहर.

बोकारो में 2009 के बाद कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की है. चुनाव जीतने वाली श्वेता सिंह पिछले चुनाव में 99000 मत लाकर दूसरे स्थान पर रही थी. इस बार उन्हें जीत हासिल हुई है. उन्होंने बीजेपी के बिरंची नारायण को हराया है. बेरमो में कांग्रेस के दिग्गज नेता राजेंद्र सिंह के असामयिक निधन के बाद उनके पुत्र ने उपचुनाव में जीत हासिल की थी. लगभग साढ़े तीन साल विधायक रहे और फिर से दूसरी बार चुनाव मैदान में थे. उन्होंने दूसरी बार जीत हासिल की है.

आजसू के दिग्गज नेता रहे उमाकांत रजक 2009 में पहली बार विधायक बने. हालांकि 2014 और 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. दोनों चुनाव उन्होंने आजसू पार्टी से लड़ा था. इसके बाद साल 2024 में वो आजसू का दामन छोड़कर जेएमएम में शामिल हुए और जीत हासिल की. उन्होंने बीजेपी में नेता प्रतिपक्ष रहे अमर कुमार बाउरी को हराया.

गोमिया से योगेंद्र महतो 2014 में विधायक बने थे. एक मामले में सजा होने पर उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी. 2018 में गोमिया में उपचुनाव हुआ तो योगेंद्र महतो की पत्नी बबीता देवी चुनाव लड़ी और जीत हासिल की, लेकिन 2019 में वह चुनाव हार गई. इस बार योगेंद्र महतो कोर्ट से बरी होने के बाद जेएमएम से ही चुनाव मैदान में उतरे थे. वो लंबोदर महतो को हराकर फिर एक बार विधायक बने.

एनडीए की हार का बड़ा कारण जेएलकेएम की मजबूत स्थिति बताया जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार दीपक सवाल ने बताया कि जेएलकेएम ने बहुत ही मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है. जयराम महतो वोटरों को अपनी ओर खींचने में सफल रहे, जिसका अधिक प्रभाव एनडीए पर पड़ा है.

ये भी पढ़ें: Jharkhand Election Results: बोकारो में कांग्रेस प्रत्याशी श्वेता सिंह ने बिरंची नारायण को हराया, पहली बार बनीं विधायक

ये भी पढ़ें: Jharkhand Election Results 2024: चंदनकियारी से झामुमो प्रत्याशी उमाकांत रजक जीते, तीसरे नंबर पर रहे अमर बाउरी

बोकारो: झारखंड विधानसभा चुनाव में बोकारो जिले में एनडीए को पूरी तरह से निराशा हाथ लगी है. जिले के चारों विधानसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन की जीत हुई है तो वहीं एनडीए का यहां से सफाया हो गया. जनता ने पूरी तरह से एनडीए को नकार दिया है. जानकार इस हार का कारण जेएलकेएम पार्टी का आना बता रहे हैं. बोकारो जिले की तीन सीट गोमिया, बेरमो और चंदनकियारी में जेएलकेएम के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे. वहींं, एनडीए के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे. एक तरफ एनडीए खेमा में शांति थी तो दूसरी ओर इंडिया गठबंधन में खुशी की लहर.

बोकारो में 2009 के बाद कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की है. चुनाव जीतने वाली श्वेता सिंह पिछले चुनाव में 99000 मत लाकर दूसरे स्थान पर रही थी. इस बार उन्हें जीत हासिल हुई है. उन्होंने बीजेपी के बिरंची नारायण को हराया है. बेरमो में कांग्रेस के दिग्गज नेता राजेंद्र सिंह के असामयिक निधन के बाद उनके पुत्र ने उपचुनाव में जीत हासिल की थी. लगभग साढ़े तीन साल विधायक रहे और फिर से दूसरी बार चुनाव मैदान में थे. उन्होंने दूसरी बार जीत हासिल की है.

आजसू के दिग्गज नेता रहे उमाकांत रजक 2009 में पहली बार विधायक बने. हालांकि 2014 और 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. दोनों चुनाव उन्होंने आजसू पार्टी से लड़ा था. इसके बाद साल 2024 में वो आजसू का दामन छोड़कर जेएमएम में शामिल हुए और जीत हासिल की. उन्होंने बीजेपी में नेता प्रतिपक्ष रहे अमर कुमार बाउरी को हराया.

गोमिया से योगेंद्र महतो 2014 में विधायक बने थे. एक मामले में सजा होने पर उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी. 2018 में गोमिया में उपचुनाव हुआ तो योगेंद्र महतो की पत्नी बबीता देवी चुनाव लड़ी और जीत हासिल की, लेकिन 2019 में वह चुनाव हार गई. इस बार योगेंद्र महतो कोर्ट से बरी होने के बाद जेएमएम से ही चुनाव मैदान में उतरे थे. वो लंबोदर महतो को हराकर फिर एक बार विधायक बने.

एनडीए की हार का बड़ा कारण जेएलकेएम की मजबूत स्थिति बताया जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार दीपक सवाल ने बताया कि जेएलकेएम ने बहुत ही मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है. जयराम महतो वोटरों को अपनी ओर खींचने में सफल रहे, जिसका अधिक प्रभाव एनडीए पर पड़ा है.

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