झांसी: यूपी के झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे में बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. अस्पताल में लगे आग बुझाने के उपकरण एक्सपायर पाए गए. फायर सिलेंडर 2019 में ही एक्सपायर हो चुके थे. जो हादसे के वक्त फेल हो गए. इन सिलेंडरों को 2020 में रिफिल कराया जाना था. लेकिन, मेडिकल प्रशासन ने इसे अनदेखा कर दिया और रिफिल नहीं कराया. इसमें जितनी लापरवाही मेडिकल प्रशासन की है, उतनी ही अग्नि शमन विभाग की भी बनती है.
सिर्फ NICU में लगे आग बुझाने के सिलेंडर की अगर हम बात करें तो उसमें लगी स्लिप के अनुसार वह 2019 में ही एक्सपायर हो चुके हैं. इनको 2020 में रिफिल किया जाना था. लेकिन, नहीं किया गया. जिसके चलते आग लगने पर ये यंत्र फेल हो गए. जब तक तक अग्निशमन टीम पहुंची तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था.
अग्नि शमन विभाग की लापरवाही की अगर हम बात करें तो फरवरी में अस्पताल का सर्वे किया गया था. मॉकड्रिल भी की गई थी लेकिन, कैसे विभाग के अधिकारियों ने NOC दे दी, ये बड़ा सवाल है. फिलहाल इस दर्दनाक घटना की जांच तीन टीम कर रही हैं, जिसमें मेडिकल प्रशासन, जिला प्रशासन और राज्य सरकार तीनों टीमें अलग-अलग जांच कर रही हैं.
जांच यदि बिना औपचारिकता के होती है तो कई बड़े अफसरों पर राज्य सरकार की तरफ से गाज गिर सकती है. सीधे तौर पर अभी तक इस हादसे का जिम्मेदार मेडिकल प्रशासन और अग्निशमन विभाग को ही माना जा रहा है. हालांकि, अधिकारी अभी चुप्पी साधे हुए हैं.
वहीं, मेडिकल कॉलेज पहुंचे सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व संसद चंद्रपाल सिंह यादव ने घटना के लिए सीधे तौर पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन को ही जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि जब शाम 5 बजे ही शॉट सर्किट हुआ था तो उसको तत्काल सही क्यों नहीं कराया गया? क्या जिम्मेदार अधिकारी रात 10 बजे तक मासूमों की मौत होने का इंतजार कर रहे थे?
उन्होंने सरकार से मांग की है कि उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और जो भी जिम्मेदार हों उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. पहले तो अभी घायल बच्चों के इलाज पर ध्यान देने का समय है. उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि मृतकों के परिजनों और घायलों के परिजनों को अधिक से अधिक मुआवजा दिया जाना चाहिए.
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