झाबुआ। विधानसभा चुनाव के दौरान झाबुआ और थांदला विधानसभा में पराजय झेल चुकी भाजपा का पूरा फोकस लोकसभा चुनाव में इन दोनों क्षेत्रों पर है. यही वजह है कि पार्टी पूरी रणनीति के तहत यहां काम कर रही है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की एमपी से विदाई के तीसरे ही दिन अपने क्षेत्र में खासा दबदबा रखने वाले कांग्रेस सरपंचों के साथ लबाना समाज के लोगों ने भाजपा का दामन थाम लिया. उन्होंने वन मंत्री नागर सिंह चौहान की मौजदूगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की. इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
रणनीति के साथ बीजेपी मैदान में उतरी
भाजपा ने इस बार अनीता नागर सिंह चौहान को रतलाम संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित किया है. इसके बाद से ही भाजपा पूरी योजना के साथ मैदान में उतर गई है. बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान झाबुआ और थांदला में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था, लिहाजा पार्टी का खास फोकस इन्हीं दो विधानसभाओं पर है. ऐसे में जब झाबुआ विधानसभा क्षेत्र के अंर्तगत आने वाले ग्राम कल्याणपुरा और थांदला विधानसभा क्षेत्र में आने वाले मेघनगर व रंभापुर के कांग्रेस के सरपंच और लबाना समाज के लोगों ने भाजपा में शामिल होने की इच्छा जताई तो पार्टी ने उन्हें हाथों हाथ लिया.
वन मंत्री ने दिलाई बीजेपी की सदस्यता
झाबुआ के ग्राम कल्लीपुरा में आयोजित कार्यक्रम में वन मंत्री नागरसिंह चौहान की मौजदूगी में पार्टी की सदस्यता दिलाई गई. जिन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है उसमें ग्राम पंचायत बिसौली के सरपंच विजय मकना निनामा, ग्राम पंचायत झायड़ा के सरपंच रामचंद्र निनामा, ग्राम पंचायत भमरदा के उप सरपंच जामसिंह मावी, ग्राम पंचायत झायडा के उप सरपंच जसवंत भाई नायक, कविराज नायक, धावड़ीपाड़ा उप सरपंच लूंजा भूरिया, पूर्व जनपद सदस्य मकना निनामा शामिल हैं. ये सभी जनप्रतिनिधि अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ बीजेपी पार्टी में शामिल हुए.
ये भी पढ़े: MP में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका, सुरेश पचौरी सहित कई नेता BJP में शामिल एमपी में कांग्रेस को अलविदा करने की होड़ क्या रुक पाएगी, सुरेश पचौरी के बाद और कितने |
दोनों विधानसभा पर फोकस का कारण
झाबुआ विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को यहां 15 हजार 693 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस यहां 8 हजार 100 मतों से आगे रही थी. भाजपा इस हार को जीत में बदलने की रणनीति पर काम कर रही है. थांदला विधानसभा की बात करें तो विधानसभा चुनाव में भाजपा यहां 1340 मतों के मामूली अंतर से हार गई थी,हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को इस विधानसभा से 11 हजार 768 मतों की बढ़त मिली थी. विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक समीकरण बदलें है, इसलिए भाजपा यहां भी पूरी रणनीति के साथ काम कर रही है.