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सीवर सफाईकर्मियों को दस्ताने न देने का आरोप; JE को दंडित करने पर रोक, कोर्ट ने राज्य सरकार से 2 सप्ताह में मांगा जवाब - ALLAHABAD HIGH COURT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला. कहा-बड़े अधिकारियों ने नहीं किया विवेक का इस्तेमाल.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 6 hours ago

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीवर सफाईकर्मियों को ग्लव्स न देने के आरोप में जेई के दंड पर रोक लगा दी है. मामला प्रयागराज के अपट्रान चौराहे का है. यहां जेई पर सीवर सफाईकर्मियों को ग्लव्स उपलब्ध न कराने का आरोप लगा था.

मामले में जांच अधिकारी की क्लीन चिट के बावजूद नगर आयुक्त की रिपोर्ट पर जूनियर इंजीनियर हेमंत कुमार रस्तोगी को दंड देने के आदेश पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि स्थानीय निकाय के डायरेक्टर का यह आदेश निष्प्रभावी रहेगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने हेमंत कुमार रस्तोगी के अधिवक्ता राम कुमार सिन्हा को सुनकर दिया. कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिका पर 2 सप्ताह में जवाब मांगा है. याची को डायरेक्टर स्थानीय निकाय के आदेश से दंड दिया गया. इसे चुनौती दी गई.

इसके बाद अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने नगर आयुक्त से रिपोर्ट मांगी और रिपोर्ट पर याची के खिलाफ आदेश जारी किया गया. याची के अधिवक्ता रामकुमार सिन्हा का कहना था कि यदि जांच रिपोर्ट से प्राधिकारी असंतुष्ट थे तो कारण दर्ज कर जांच करानी थी. नगर आयुक्त जांच अधिकारी नहीं थे, फिर उनसे रिपोर्ट मंगाकर कार्रवाई क्यों की गई.

ऐसा करना अधिकार क्षेत्र का उल्लघंन करना है. बिना ठोस साक्ष्य या तथ्य के याची को बिना दोष दंडित कर दिया गया. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया बड़े अधिकारियों ने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया. कोर्ट ने आदेश की कॉपी प्रमुख सचिव नगर विकास, डायरेक्टर स्थानीय निकाय व नगर आयुक्त प्रयागराज को अनुपालन के लिए भेजने का निर्देश दिया है.

यह भी पढ़ें : इलाहाबाद हाईकोर्ट के 30 अधिकारियों को मिला प्रमोशन, यहां देखिए लिस्ट

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीवर सफाईकर्मियों को ग्लव्स न देने के आरोप में जेई के दंड पर रोक लगा दी है. मामला प्रयागराज के अपट्रान चौराहे का है. यहां जेई पर सीवर सफाईकर्मियों को ग्लव्स उपलब्ध न कराने का आरोप लगा था.

मामले में जांच अधिकारी की क्लीन चिट के बावजूद नगर आयुक्त की रिपोर्ट पर जूनियर इंजीनियर हेमंत कुमार रस्तोगी को दंड देने के आदेश पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि स्थानीय निकाय के डायरेक्टर का यह आदेश निष्प्रभावी रहेगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने हेमंत कुमार रस्तोगी के अधिवक्ता राम कुमार सिन्हा को सुनकर दिया. कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिका पर 2 सप्ताह में जवाब मांगा है. याची को डायरेक्टर स्थानीय निकाय के आदेश से दंड दिया गया. इसे चुनौती दी गई.

इसके बाद अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने नगर आयुक्त से रिपोर्ट मांगी और रिपोर्ट पर याची के खिलाफ आदेश जारी किया गया. याची के अधिवक्ता रामकुमार सिन्हा का कहना था कि यदि जांच रिपोर्ट से प्राधिकारी असंतुष्ट थे तो कारण दर्ज कर जांच करानी थी. नगर आयुक्त जांच अधिकारी नहीं थे, फिर उनसे रिपोर्ट मंगाकर कार्रवाई क्यों की गई.

ऐसा करना अधिकार क्षेत्र का उल्लघंन करना है. बिना ठोस साक्ष्य या तथ्य के याची को बिना दोष दंडित कर दिया गया. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया बड़े अधिकारियों ने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया. कोर्ट ने आदेश की कॉपी प्रमुख सचिव नगर विकास, डायरेक्टर स्थानीय निकाय व नगर आयुक्त प्रयागराज को अनुपालन के लिए भेजने का निर्देश दिया है.

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