पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जनता दल यूनाइटेड के लिए 2025 का विधानसभा चुनाव महत्वपूर्ण होने जा रहा है. इस चुनाव में जेडीयू अपनी ताकत बढ़ाना चाहेगा. पार्टी के अभी 46 (43+3) विधायक हैं. ऐसे में पार्टी अधिक से अधिक सीटों पर दावा कर विधायकों की संख्या में इजाफा करना चाहेगी. इस लिहाज से पटना में जेडीयू की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में बिहार चुनाव को लेकर बड़ी रणनीति पर मंथन होगा.
जेडीयू की बार्गेनिंग क्षमता अधिक होगी!: जनता दल यूनाइटेड लोकसभा चुनाव में बीजेपी से एक सीट कम पर लड़ी थी. भारतीय जनता पार्टी के खाते में 17 सीटें गई थी तो जेडीयू को 16 सीटे मिली थी. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 6 सीटें मिली थी. लोकसभा चुनाव में जेडीयू ताकतवर होकर उभरी है और केंद्र की सरकार की निर्भरता भी जनता दल यूनाइटेड पर है. जेडीयू केंद्र और बिहार में दोनों जगह एनडीए का हिस्सा है. केंद्र में सहयोग देने की कीमत पर पार्टी राज्य में अधिक से अधिक सीटें हासिल करना चाहती हैं.
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2010 में चरम पर था जेडीयू: 2010 का विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के लिए लैंडमार्क माना जाता है. चुनाव में जनता दल यूनाइटेड ने 141 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे तो बीजेपी ने 110 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड को 115 सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि भारतीय जनता पार्टी 91 सीटों पर विजयी हुई थी. 2005 के चुनाव के मुकाबले जेडीयू को जहां 27 सीटों का फायदा हुआ, वहीं बीजेपी ने 36 सीटों का इजाफा किया. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को 206 सीटों पर जीत हासिल हुई यानी तकरीबन 85% सीटें एनडीए ने झटक लिए.
बड़े भाई की भूमिका चाहेगा जेडीयू: जनता दल यूनाइटेड विधानसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में रहना चाहता है. 2020 के विधानसभा चुनाव में 42 सीटों पर जीत हासिल करने वाले जेडीयू ने अपने विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी की. फिलहाल उसके पास 46 विधायक हैं, जिनमें दलबदल करने वाले आरजेडी के 3 विधायक भी शामिल हैं. वहीं लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम से उत्साहित जेडीयू गठबंधन में सबसे अधिक सीटों पर दावा कर रहा है. हालांकि संख्या बल के हिसाब से बीजेपी कहीं अधिक ताकतवर है. उसके पास फिलहाल 79 विधायक हैं. महत्वपूर्ण सवाल ये है कि सहयोगी दलों को बीजेपी कैसे एकोमोडेशन करेगी.
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क्या होगा सीट शेयरिंग का फॉर्मूला?: मिल रही जानकारी के मुताबिक जनता दल यूनाइटेड की मंशा है कि बीजेपी और जेडीयू के बीच गठबंधन आधी-आधी सीटों पर हो. इसी तर्ज पर जेडीयू का दावा 120 सीटों पर बनता है और इतनी ही सीटों पर बीजेपी का भी दावा बनता है. बीजेपी के लिए मुश्किल यह है कि तीन सहयोगी दल एलजेपीआर, हम और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम को अपने हिस्से से सीटें देनी होगी. ऐसे में बीजेपी इस फार्मूले पर कभी भी तैयार नहीं होगी. बीजेपी यह चाहती है कि 43 सीट सहयोगी दलों के लिए छोड़ दी जाए और 100-100 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड लड़े.
क्या कहते हैं जानकार?: राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि सीटों को लेकर बीजेपी और जेडीयू में जबरदस्त खींचतान होने वाली है. जेडीयू जहां बार्गेनिंग कर 120 सीट हासिल करना चाहेगा, वहीं बीजेपी किसी भी कीमत पर जेडीयू से कम सीटों पर नहीं लड़ेगी. विधायकों की संख्या के लिहाज से बीजेपी के पास जेडीयू से कई अधिक विधायक हैं. ऐसे में बीजेपी 43 सीटों में चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को एडजस्ट करना चाहेगी.
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