गया: एनडीए में शामिल विभिन्न दलों के नेताओं के द्वारा शहर के एक निजी होटल में एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया. जिसमें जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता सह विधान पार्षद नीरज कुमार सहित एनडीए गठबंधन में शामिल कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए. इस दौरान नीरज कुमार ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर कई गंभीर आरोप लगाए और कहा कि तेजस्वी को खेल कीर्ति पुरस्कार देने के लिए सारे नियम ताक पर रख दिए गए थे.
नीरज कुमार का तेजस्वी पर बड़ा वार: जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि वर्ष 2003 में तेजस्वी यादव को खेल कीर्ति पुरस्कार मिला था, उस समय उनकी उम्र 13-14 वर्ष की थी. झारखंड में आयोजित खेल में सात मैच में उन्होंने मात्र 37 रन बनाए थे और एक विकेट लिया था. वर्ष 2003 में उनकी माता राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री थीं, उनकी बदौलत उन्हें खेल कीर्ति पुरस्कार मिला. देखा जाए तो पूरे खेल के क्षेत्र में घाल-मेल किया गया.
"2003 में जब राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री थीं, तब तेजस्वी यादव और बाबर अराफात को खेल कीर्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. बाबर अराफात ने आयरलैंड में पैराओलंपिक में कांस्य पदक जीता था, लेकिन तेजस्वी कौन-सा लोटा लाए थे? कौन सा पदक जीता था? राबड़ी देवी के कार्यकाल में तेजस्वी यादव को पुरस्कार देने के लिए सारे नियम ताक पर रख दिए गए थे."- नीरज कुमार, जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता
2003 में तेजस्वी को खेल कीर्ति पुरस्कार देने पर सवाल: नीरज कुमार ने लालू परिवार पर हमला करते हुए आगे कहा कि जब उनके पिता (तेजस्वी यादव) लालू यादव रेल मंत्री थे, तो दिल्ली से एक बड़े से होटल से रेलवे के कई टेंडर दिए जाते थे. इस वजह से भी उन्हें आईपीएल में रखा गया था. तेजस्वी कितने होनहार हैं ? यह समझ जा सकता है. नियमों को ताक पर रखकर खेल कीर्ति पुरस्कार दिया गया. वहीं एक अन्य खिलाड़ी को भी मनमाने तरीके से कई मैच में खेलने का मौका दिया गया, जो मानसिक रूप से दिव्यांग था.
'लालू के कारण IPL में मिली थी जगह': नीरज कुमार ने कहा कि देखा जाए तो माता-पिता के बदौलत तेजस्वी को खेल कीर्ति पुरस्कार मिला और आईपीएल में भी खेलने का मौका मिला, लेकिन जैसे ही लालू यादव रेल मंत्री से हटे, इन्हें भी बैक टू पवेलियन हो जाना पड़ा. जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार इतने पर भी नहीं रुके, उन्होंने तेजस्वी की शिक्षा से लेकर खेल तक पर कई आरोप लगाए.
'लालू- राबड़ी के बिना कुछ नहीं तेजस्वी': उन्होंने कहा कि राजनीति विरासत भी उन्हें पिताजी की वजह से मिली है. लालू यादव तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए घूमते फिर रहे हैं, अगर वे ना रहे तो इनकी औकात कुछ भी नहीं है.
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