करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक त्यौहार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. जया एकादशी का जो भी इंसान व्रत रखता है उसके कई जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं और उसे कष्टों से छुटकारा मिलता है. जया एकादशी का व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि आती है तो जानिए इसका व्रत का विधि विधान क्या है और इसका क्या महत्व है.
जया एकादशी की तिथि: पंडित मनमोहन शर्मा ने बताया कि "1 साल में 24 एकादशी आती है, जिनका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार 20 फरवरी को जया एकादशी आ रही है. माघ महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार जया एकादशी की शुरुआत 19 फरवरी को सुबह 8:49 से हो रही है जबकि इसका समापन अगले दिन 20 फरवरी को सुबह 9:55 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत और त्यौहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है, इसलिए जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी को रखा जाएगा".
पूजा और पारण का शुभ मुहूर्त: पंडित मनमोहन शर्मा के अनुसार "पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय 20 फरवरी को सुबह नौ बजकर पैतालीस मिनट से लेकर दोपहर दो बजे तक रहेगा. इस दौरान पूजा करने से कई गुना फल प्राप्त होता है. भगवान विष्णु की कृपा जातक पर बनी रहती है. वही जया एकादशी के पारण का समय 21 फरवरी को सुबह 6:55 से शुरू होकर सुबह 9:11 तक रहेगा. जो भी जातक इस दिन व्रत रखना चाहता है तो वह इस समय के दौरान अपने व्रत का पारण कर सकता है".
जया एकादशी का महत्व: शास्त्रों में माघ महीने को बहुत ही पुण्य देने वाला महीना कहा गया है. माघ महीने की एकादशी के दिन विधान स्नान और व्रत रखने का विशेष ही महत्व होता है. यह विशेष तौर पर भगवान विष्णु को समर्पित होता है. भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने और व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि जो भी इंसान इस एकादशी के दिन व्रत रखता है उसकी मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है और प्रेत योनि में नहीं जाना पड़ता. उसके जन्म-जन्मों के पापों का नाश होता है. एकादशी के दिन दान करने का भी बहुत ज्यादा महत्व होता है. इस दिन दान करने से कई गुना ज्यादा फल प्राप्त होता है. जातक के घर में सुख समृद्धि आती है.
कैसे करें पूजा?: पंडित मनमोहन शर्मा के अनुसार "एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करने के उपरांत सूर्य देव को जल अर्पित करें. उसके बाद अपने मंदिर की साफ सफाई करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के दौरान 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः' का मंत्र जाप करें और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाकर उनको पीले रंग के फल, फूल, वस्त्र, मिठाई अर्पित करें. पूजा के दौरान उनको अक्षत, तिल, ऋतुफल, पान और नारियल भी चढ़ायें. इस दिन सात्विक भोजन करें और तामसी पदार्थों के सेवन से दूरी बनाए रखें. जो भी जातक इस दिन व्रत रखना चाहता है वह भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के बाद व्रत रखने का प्रण ले. यह व्रत निर्जला भी रखा जाता है और अगर कोई इसमें फलहार लेना चाहता है तो वह भी ले सकता है, दोनों प्रकार से व्रत रख सकते हैं". दिन में भगवान विष्णु को खुश करने के लिए विष्णु पुराण पढ़ें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें और उसके बाद उसकी आरती करें. गरीबों जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन करायें. व्रत के पारण के समय भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के पश्चात उनको प्रसाद का भोग लगाकर अपने व्रत का पारण करें.