करनाल: हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही सूबे की राजनीतिक पार्टियां जीत के लिए जोड़-घटा और गुणा-भाग में लग गई हैं. उम्मीदवारों के नाम को लेकर सभी पार्टियों में मंथन का दौर जारी है. कांग्रेस ने तो चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही उनकी टिकट पर लड़ने वाले इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन मांगे थे. जिसमें पूरे हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस के पास 2556 आवेदन आए.
आरक्षित है नीलोखेड़ी विधानसभा सीट: हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों में सबसे ज्यादा आवेदन नीलोखेड़ी विधानसभा से आए हैं. यहां से 88 नेताओं ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हुए आवेदन किया है. जो पूरे हरियाणा में सबसे ज्यादा है. बता दें कि नीलोखेड़ी विधानसभा एक आरक्षित सीट है. ये पिछले चार चुनाव से आरक्षित सीट बनी हुई है.
नीलोखेड़ी विधानसभा सीट से कांग्रेस के मुख्य दावेदार: इस सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने मुख्य उम्मीदवारों में पूर्व विधायक राजकुमार वाल्मीकि, पूर्व विधायक रिशाल सिंह, प्रोफेसर राजेश वैध, रिटायर्ड आईपीएस सत प्रकाश रंगा, राजीव मामूराम गोंदर और जसबीर वाल्मीकि पूर्व विधायक बंताराम वाल्मीकि के बेटे मुख्य दौड़ में हैं. अब देखने वाली बात ये होगी कि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता किसको विधानसभा का टिकट देकर नीलोखेड़ी के चुनावी रण में उतारते हैं.
जवाहरलाल नेहरू ने बसाया था नीलोखेड़ी शहर: राजनीतिक विशेषज्ञ विनोद मैहला के मुताबिक नीलोखेड़ी शहर काफी विशेष है, क्योंकि इसको तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बसाया था. माना जाता है कि 1948 में पाकिस्तान से आए हुए शरणार्थियों को रखने के लिए नीलोखेड़ी शहर को बसाया गया था. जहां मुख्यता तौर पर हिंदू और सिख पंजाबी समुदाय के लोगों की ज्यादा आबादी है. जवाहरलाल नेहरू का नीलोखेड़ी से खास लगाव बताया जाता था. माना जाता है कि वो नीलोखेड़ी को राजधानी बनाना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. इतिहासकारों का मानना है कि नीलोखेड़ी को जवाहरलाल नेहरू के द्वारा बसाया गया था. आज ये एक विधानसभा के रूप में विकसित है.
नीलोखेड़ी विधानसभा से कब कौन बना विधायक? नीलोखेड़ी विधानसभा सीट का गठन 1967 में हुआ था. यहां पर पहली बार भारतीय जनसंघ के एस राम विधायक बनकर विधानसभा में पहुंचे थे. 1967 से लेकर 2019 तक यहां पर 5 बार आजाद विधायक बनकर विधानसभा में पहुंचे हैं. 1996 में एचवीपी पार्टी से विजेंद्र विधायक बने थे. 2000 में आईएनएलडी से सतवीर सिंह कादियान 44882 वोट लेकर विधायक बने थे. 2005 में परसानी देवी आईएनसी से विधायक बनी थी. 2009 विधानसभा चुनाव में आईएनएलडी से मामूराम 47001 वोट लेकर विधायक बने थे. 2014 में भारतीय जनता पार्टी से भगवान दास कबीरपंथी 58354 वोट लेकर विधायक बने थे. 2019 में निर्दलीय धर्मपाल गोंदर 42979 वोट लेकर विधायक बने थे.