नई दिल्ली: दिल्ली एम्स जापान के सहयोग से अब मेडिकल डिवाइस डेवलपमेंट के क्षेत्र में भी मेक इन इंडिया की पहल को आगे बढ़ाएगा. इसके लिए एम्स का जापान की एजेंसी जाइका के साथ एक एमओयू भी हुआ है. एमओयू के तहत दिल्ली एम्स के हरियाणा के झज्जर में स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआइ) के परिसर में एक राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण विकास, सत्यापन एवं कौशल प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया जाएगा.
जाइका की मदद से करीब 250 करोड़ की लागत से इस केंद्र का निर्माण होगा. इससे जहां किफायती स्वदेशी चिकित्सा उपकरण विकसित किए जाएंगे तो वहीं विदेशों पर चिकित्सा उपकरण खरीदने को लेकर निर्भरता भी कम होगी. एम्स मीडिया सेल की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार इस काम में जापान की ओसाका यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ भी एम्स की तकनीकी मदद करेंगे. इस केंद्र में चिकित्सा उपकरणों को विकसित करने के साथ-साथ ट्रायल कर उसके इस्तेमाल के लिए सत्यापित भी किया जाएगा. इसका मकसद स्वदेशी चिकित्सा उपकरणों को बढ़ावा देना होगा.
ओसाका यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों का एम्स दौरा: हाल ही में जापान की एजेंसी जाइका के अधिकारियों व ओसाका यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने एम्स का दौरा किया था. वे हरियाणा के झज्जर स्थित एनसीआइ भी गए थे. इस दौरान जापान के विशेषज्ञों के साथ एम्स के निदेशक एम. श्रीनिवास व डाक्टरों के साथ राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण विकास, सत्यापन एवं कौशल प्रशिक्षण केंद्र शुरू करने को लेकर चर्चा हुई. एम्स के अनुसार सितंबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे के दौरान वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे की सरकार के साथ समझौता हुआ था. इसके बाद 13 अक्टूबर 2014 को एम्स व जापान के ओसाका युनिवर्सिटी के बीच एक समझौता हुआ था. जिसका मकसद किफायती सर्जिकल उपकरण विकसित करना था.
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स्वदेशी चिकित्सा उपकरणों को बढ़ावा: एम्स के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. हेमंगा के. भट्टाचार्य ने कहा कि अभी देश में चिकित्सा उपकरण ज्यादा तैयार नहीं किए जाते. इस वजह से देश में 70 प्रतिशत चिकित्सा उपकरण विदेश से मंगाने पड़ते हैं. इससे चिकित्सा उपकरण महंगे खरीदने पड़ते हैं. इसके अलावा विदेश से मंगाए गए कई ऐसे चिकित्सा उपकरण इस्तेमाल करने पड़ते हैं, जो यहां के डाक्टरों व मरीजों के कद-काठी के अनुकूल नहीं होते. इस वजह से उसके इस्तेमाल में भी दिक्कत आती है. केंद्र सरकार मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी चिकित्सा उपकरणों को भी बढ़ावा देने में जुटी है. इसी क्रम में राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण विकास, सत्यापन एवं कौशल प्रशिक्षण केंद्र बनाने का फैसला किया गया है.
ढाई साल में बनकर होगा तैयार: एम्स के दिल्ली स्थित परिसर में जगह की कमी है. इस वजह से एनसीआइ में तीन से पांच एकड़ जमीन में इसका निर्माण किया जाएगा. करीब ढाई वर्ष में यह बनकर तैयार होगा. ओसाका यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों को चिकित्सा उपकरण तैयार करने का काफी अनुभव है. इसलिए वहां के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी. यह पहला ऐसा केंद्र होगा जहां डॉक्टर, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, बायोटेक्नोलाजी इत्यादि के विशेषज्ञ व इंजीनियर मिलकर एक जगह शोध करेंगे और किफायती चिकित्सा उपकरण विकसित करेंगे.
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