जांजगीर चांपा: नरियरा गांव में केएसके महानदी पावर प्लांट के सामने धरना में बैठे भूविस्थापितों का आंदोलन मंगलवार रात को समाप्त हो गया. प्रशासन के दखल के बाद आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन खत्म किया लेकिन उनका कहना है कि उन्हें मांगे पूरी होने का आश्वासन दिया गया है लेकिन अगर मांगे पूरी नहीं होगी तो आंदोलन शुरू होने में देर नहीं लगेगी.
गांव वाले क्यों कर रहे आंदोलन: रोकदा, बनाहील, नरियरा के साथ आसपास के 11 गांव के लोगों ने 11 साल पहले पावर प्लांट शुरू करने के लिए जमीन दी. 3200 वॉट का पावर प्लांट लगाया गया. लेकिन सालों बीतने के बाद भी कई किसानों को अब तक जमीन का मुआवजा नहीं मिला है. ग्रामीणों का आरोप है कि ना ही उन्हें मुआवजा मिला, ना नौकरी मिली और ना ही पेंशन. इसके अलावा गोद लिए गावों में सीएसआर मद से कोई विकास भी नहीं कराया गया. इससे परेशान भू विस्थापितों ने प्लांट प्रबंधन और भू विस्थापितों से गुहार लगाई लेकिन कोई हल नहीं निकला. जिसके बाद 11 फरवरी को ग्रामीणों ने प्लांट के सामने प्रदर्शन शुरू कर दिया. नाराज ग्रामीण प्लांट के मेन गेट में ही बैठ गए. जिससे प्लांट में काम करने वाले वर्कर्स को अंदर आने जाने में काफी परेशान होने लगी.
3 दिन तक बैठे रहे. संतोषजनक आश्वासन ही मिला है.-ज्योति नोरगे, अध्यक्ष, भू विस्थापित संघ
जिला प्रशासन ने एक कमिटी बनाई है. उनके निर्णय को मानते हैं तो ठीक है नहीं तो हमारे लिए रास्ता खुला है- सत्य प्रकाश निर्मलकर, संरक्षक, भू विस्थापित
प्रशासन की मध्यस्थता के बाद खत्म हुआ आंदोलन: भू विस्थापितों की मांग और आंदोलन को बढ़ता देख प्रशासन ने मामले में दखल दिया. त्रिपक्षिय वार्ता रखी गई. इस मीटिंग में प्रशासन, प्लांट के अधिकारियों और भूविस्थापित शामिल हुए. वार्ता के बाद प्लांट प्रबंधन ने ग्रामीणों को उनकी मांगे पूरी करने को लेकर लिखित आश्वासन दिया है.
प्रशासन की मध्यस्थता में प्लांट प्रबंधन और प्रदर्शनकारियों के बीच मध्यस्थता हुआ. 23 बिंदुओं में कुछ बिंदुओं का निराकरण हुआ है. पात्र 8 लोग जो भी दस्तावेज उपलब्ध कराएंगे उनका प्रबंधन निराकरण करेंगे. कमिटी का फैसला सर्वमान्य होगा - प्रियंका बंजारा, तहसीलदार, अकलतरा
भू विस्थापितों ने जिला प्रशासन की पहल के बाद राहत की सांस ली. अब प्लांट प्रबंधन के लिखित आश्वासन से उचित मुआवजा, नौकरी, पेंशन और अन्य सुविधा मिलने की उम्मीद जाग उठी है. इधर प्लांट का गेट खुलने के बाद गाड़ियों और मजदूरों का आना जाना भी शुरू हो गया है. भू विस्थापित भी अपनी मांग पूरी होने की उम्मीद में अपने घर लौट गए है.