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'देश के लिए मेडल जीतना लक्ष्य', गरीबी से लड़ते हुए दिन-रात खेतों में पसीना बहा रहा है जमुई का एथलीट - Jamui Athlete Rajesh Kumar Manjhi

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 3, 2024, 2:23 PM IST

ATHLETE RAJESH KUMAR MANJHI: जमुई में ट्रैक फील्ड एथलीट राजेश कुमार मांझी एक नई मिसाल पेश कर रहे हैं. मजदूरी करने के साथ जमुई के लाल का सपना है कि वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए मेडल जीत कर लाए. जिसके लिए वो दिन-रात मेहनत मजदूरी कर रहा है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

JAMUI ATHLETE RAJESH KUMAR MANJHI
जमुई का ट्रैक फील्ड एथलीट राजेश कुमार मांझी (ETV Bharat)
जमुई का ट्रैक फील्ड एथलीट राजेश कुमार मांझी (ETV Bharat)

जमुई: बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है. आज हम बात कर रहे है जेबलिन थ्रो खेल में मेडल जीतने वाले खिलाड़ी राजेश कुमार मांझी की, जो 9वीं कक्षा में पढ़ाई के साथ कई मैडल जीत चुका है. यही नहीं वो आगे देश के लिए भी मेडल जीतना चाहता है. एक मजदूर परिवार से आने वाले राजेश कुमार मांझी ने घर परिवार चलाने के साथ खेल के क्षेत्र में ईस्ट जोन में गोल्ड मेडल जीता है. वो राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी इस बार भी 2 मेडल अपने नाम कर चुके हैं.

9वीं का छात्र है राजेश कुमार: जेबलिन थ्रो खिलाड़ी राजेश कुमार मांझी ने ईटीवी भारत से बात करते हुऐ बताया कि धर परिवार के कामों में हाथ बटाने के साथ वह 9वीं की पढाई भी कर रहे हैं. स्कूल के दौरान ही कुछ सीनियर खिलाड़ियों को खेलते देख राजेश के मन में खेल के प्रति जिज्ञासा बढ़ी और उसने भी प्रेक्टिस शुरू कर दी. उसकी मेहनत रंग लाई और उसने कई मेडल अपने नाम किए.

Athlete Rajesh Kumar Manjhi
अंतराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतना है सपना (ETV Bharat)

'जुगाड़' तकनीक से चलाना पड़ता है काम: जब खिलाड़ी स्टेट खेलने लगते हैं, तो वहां उन्हें अच्छी सुविधा मिलती है. अगर जिला स्तर पर भी खिलाड़ियों को संसाधन मुहैया हो और आर्थिक मदद मिल पाए तो आगे बढ़ने में सहायता मिलेगी. आर्थिक रूप से संपन्न परिवार के खिलाड़ी अपने खेल के 'इक्यूपमेंट' की व्यवस्था कर लेते हैं. वहीं राजेश का कहना है कि उनके जैसे गरीब खिलाड़ियों को 'जुगाड़' तकनीक से ही काम चलाना पड़ता है.

"देश के लिए खेलना और मेडल जीतना मेरा सपना है. स्थानीय स्तर पर तो मदद नहीं मिल पाती है, संसाधन की कमी और आर्थिक तंगी आड़े आती है. हालांकि मेरी जीतोड़ मेहनत जारी रहेगी. परेशानी होती है लेकिन हौसला बुलंद है, हम कामयाब होंगे."-राजेश कुमार मांझी, खिलाड़ी

Athlete Rajesh Kumar Manjhi
जमुई का मजदूर खिलाड़ी (ETV Bharat)

घर में हाथ बटाने के लिए करता है मजदूरी: जेबलिन थ्रो खिलाड़ी राजेश कुमार मांझी जमुई टाउन थाना क्षेत्र के उझंड़ी मांझी टोले का रहने वाले हैं. उनका पूरा परिवार कच्चे मिट्टी के खपरैल मकान में रहता है. घर तक जाने के लिए नाले को पार करना होता है. जिसके लिए इन्होंने अपने जुगाड़ से चचरी पुल बना रखा है. फिलहाल राजेश एक मकान निर्माण कार्य में अपने मां-पिता का हाथ बटाते हुए मजदूरी करता है.

पढ़ाई के साथ करता है काम: मांझी टोला के सभी परिवार का पालन पोषण मजदूरी से ही होता है. परिवार के बड़े, बूढ़े, बच्चे, महिला-पुरूष सभी कुछ न कुछ मजदूरी करते आ रहे है. अपनी जीविका के लिए बच्चों की पढाई भी नहीं हो पाती है. वो भी परिवार के साथ काम करने में लग जाते हैं. राजेश मांझी टोला का एकमात्र ऐसा लड़का है जो अपने परिवार के साथ काम करते हुए सरकारी स्कूल के 9वीं क्लास में पढाई कर रहा है. वो खेल में कई मेडल भी जीत चुका है और आगे चलकर देस के लिए भी मेडल जीतना चाहता है.

Athlete Rajesh Kumar Manjhi
पिता का काम में बटाता है हाथ (ETV Bharat)

दो साल से मेहनत कर रहा राजेश: खिलाड़ी राजेश कुमार मांझी के परिवार के लोग बताते हैं कि उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है की उनके बीच से निकला गरीब मजदूर का बेटा नाम रौशन कर रहा है. राजेश की तैयारी में मदद कर रहे जेबलिन थ्रो के मेडलिस्ट खिलाड़ी सूरज कुमार ने बताया कि पिछले दो साल से राजेश कड़ी मेहनत से ट्रेनिंग ले रहा है और अच्छा कर रहा है. उसने कई मेडल भी जीते हैं.

"राजेश आगे बढ़े इससे हमें बहुत खुशी है. खेल में अगर मदद मिले तो एक दिन ये देश का नाम रौशन करेगा. राजेश काफी सौम्य है, शुरू से ही अपने काम अपनी पढ़ाई और अपने खेल के प्रति जागरूक रहता है."-नंदकिशोर कुमार मांझी, मामा

ATHLETE RAJESH KUMAR MANJHI
जमुई का ट्रैक फील्ड एथलीट (ETV Bharat)

"इसके खेल प्रतिभा को देखते हुऐ बिहार टीम थ्रो कैंप में सेलेक्शन करके उसको बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के आशुतोष कुमार सिंह के द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है. राजेश ने अब तक कई मेडल भी जीते हैं."- सूरज कुमार, कोच

राजेश ने जीता कई मेडल: 89वीं जूनियर सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में बच्चों की भाला फेंक स्पर्धा में राजेश ने रजत पदक जीता. 34वीं पूर्वी क्षेत्र जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में उसे स्वर्ण पदक हासिल किया. 90वीं जूनियर सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2024 में राजेश ने स्वर्ण पदक हासिल किया.

Athlete Rajesh Kumar Manjhi
मजदूरी के साथ करता है प्रैक्टिस (ETV Bharat)

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जमुई का ट्रैक फील्ड एथलीट राजेश कुमार मांझी (ETV Bharat)

जमुई: बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है. आज हम बात कर रहे है जेबलिन थ्रो खेल में मेडल जीतने वाले खिलाड़ी राजेश कुमार मांझी की, जो 9वीं कक्षा में पढ़ाई के साथ कई मैडल जीत चुका है. यही नहीं वो आगे देश के लिए भी मेडल जीतना चाहता है. एक मजदूर परिवार से आने वाले राजेश कुमार मांझी ने घर परिवार चलाने के साथ खेल के क्षेत्र में ईस्ट जोन में गोल्ड मेडल जीता है. वो राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी इस बार भी 2 मेडल अपने नाम कर चुके हैं.

9वीं का छात्र है राजेश कुमार: जेबलिन थ्रो खिलाड़ी राजेश कुमार मांझी ने ईटीवी भारत से बात करते हुऐ बताया कि धर परिवार के कामों में हाथ बटाने के साथ वह 9वीं की पढाई भी कर रहे हैं. स्कूल के दौरान ही कुछ सीनियर खिलाड़ियों को खेलते देख राजेश के मन में खेल के प्रति जिज्ञासा बढ़ी और उसने भी प्रेक्टिस शुरू कर दी. उसकी मेहनत रंग लाई और उसने कई मेडल अपने नाम किए.

Athlete Rajesh Kumar Manjhi
अंतराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतना है सपना (ETV Bharat)

'जुगाड़' तकनीक से चलाना पड़ता है काम: जब खिलाड़ी स्टेट खेलने लगते हैं, तो वहां उन्हें अच्छी सुविधा मिलती है. अगर जिला स्तर पर भी खिलाड़ियों को संसाधन मुहैया हो और आर्थिक मदद मिल पाए तो आगे बढ़ने में सहायता मिलेगी. आर्थिक रूप से संपन्न परिवार के खिलाड़ी अपने खेल के 'इक्यूपमेंट' की व्यवस्था कर लेते हैं. वहीं राजेश का कहना है कि उनके जैसे गरीब खिलाड़ियों को 'जुगाड़' तकनीक से ही काम चलाना पड़ता है.

"देश के लिए खेलना और मेडल जीतना मेरा सपना है. स्थानीय स्तर पर तो मदद नहीं मिल पाती है, संसाधन की कमी और आर्थिक तंगी आड़े आती है. हालांकि मेरी जीतोड़ मेहनत जारी रहेगी. परेशानी होती है लेकिन हौसला बुलंद है, हम कामयाब होंगे."-राजेश कुमार मांझी, खिलाड़ी

Athlete Rajesh Kumar Manjhi
जमुई का मजदूर खिलाड़ी (ETV Bharat)

घर में हाथ बटाने के लिए करता है मजदूरी: जेबलिन थ्रो खिलाड़ी राजेश कुमार मांझी जमुई टाउन थाना क्षेत्र के उझंड़ी मांझी टोले का रहने वाले हैं. उनका पूरा परिवार कच्चे मिट्टी के खपरैल मकान में रहता है. घर तक जाने के लिए नाले को पार करना होता है. जिसके लिए इन्होंने अपने जुगाड़ से चचरी पुल बना रखा है. फिलहाल राजेश एक मकान निर्माण कार्य में अपने मां-पिता का हाथ बटाते हुए मजदूरी करता है.

पढ़ाई के साथ करता है काम: मांझी टोला के सभी परिवार का पालन पोषण मजदूरी से ही होता है. परिवार के बड़े, बूढ़े, बच्चे, महिला-पुरूष सभी कुछ न कुछ मजदूरी करते आ रहे है. अपनी जीविका के लिए बच्चों की पढाई भी नहीं हो पाती है. वो भी परिवार के साथ काम करने में लग जाते हैं. राजेश मांझी टोला का एकमात्र ऐसा लड़का है जो अपने परिवार के साथ काम करते हुए सरकारी स्कूल के 9वीं क्लास में पढाई कर रहा है. वो खेल में कई मेडल भी जीत चुका है और आगे चलकर देस के लिए भी मेडल जीतना चाहता है.

Athlete Rajesh Kumar Manjhi
पिता का काम में बटाता है हाथ (ETV Bharat)

दो साल से मेहनत कर रहा राजेश: खिलाड़ी राजेश कुमार मांझी के परिवार के लोग बताते हैं कि उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है की उनके बीच से निकला गरीब मजदूर का बेटा नाम रौशन कर रहा है. राजेश की तैयारी में मदद कर रहे जेबलिन थ्रो के मेडलिस्ट खिलाड़ी सूरज कुमार ने बताया कि पिछले दो साल से राजेश कड़ी मेहनत से ट्रेनिंग ले रहा है और अच्छा कर रहा है. उसने कई मेडल भी जीते हैं.

"राजेश आगे बढ़े इससे हमें बहुत खुशी है. खेल में अगर मदद मिले तो एक दिन ये देश का नाम रौशन करेगा. राजेश काफी सौम्य है, शुरू से ही अपने काम अपनी पढ़ाई और अपने खेल के प्रति जागरूक रहता है."-नंदकिशोर कुमार मांझी, मामा

ATHLETE RAJESH KUMAR MANJHI
जमुई का ट्रैक फील्ड एथलीट (ETV Bharat)

"इसके खेल प्रतिभा को देखते हुऐ बिहार टीम थ्रो कैंप में सेलेक्शन करके उसको बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के आशुतोष कुमार सिंह के द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है. राजेश ने अब तक कई मेडल भी जीते हैं."- सूरज कुमार, कोच

राजेश ने जीता कई मेडल: 89वीं जूनियर सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में बच्चों की भाला फेंक स्पर्धा में राजेश ने रजत पदक जीता. 34वीं पूर्वी क्षेत्र जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में उसे स्वर्ण पदक हासिल किया. 90वीं जूनियर सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2024 में राजेश ने स्वर्ण पदक हासिल किया.

Athlete Rajesh Kumar Manjhi
मजदूरी के साथ करता है प्रैक्टिस (ETV Bharat)

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