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क्या बात है.. बिना संसाधन के जमुई के खिलाड़ियों का कमाल, एथलेटिक्स इवेंट में जीते 12 गोल्ड समेत 25 मेडल - athletes of jamui - ATHLETES OF JAMUI

जमुई के एथलीटों के पास प्रैक्टिस के लिए कोई सुविधा नहीं है. कॉलेज के ग्राउंड में रनिंग का ट्रैक तक नहीं है. बावजूद इसके जिले के एथलीटों ने बिहार स्टेट एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 12 गोल्ड समेत 25 मेडल पर कब्जा किया है. उन्होंने अभ्यास के लिए लिए इक्विपमेंट भी जुगाड़ से बनाए थे.

जमुई के एथलीट
जमुई के एथलीट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 7, 2024, 7:37 PM IST

जमुई में खिलाड़ियों ने ईटीवी भारत से की खास बात (ETV Bharat)

जमुई: बिहार के जमुई जिले के केकेएम कॉलेज ग्राउंड में सुबह शाम खिलाड़ी जी तोड़ प्रेक्टिस करते हैं, लेकिन उनके पास जुगाड़ से तैयार किऐ गए इक्विपमेंट हैं, जिससे वे ऐथलेटिक्स इवेंट में खेलने की तैयारी करते हैं. इतना ही नहीं ये खिलाड़ी अपनी मेहनत से मेडल भी जीत रहे हैं.

संसाधनों की कमी से जूझ रहे खिलाड़ी: संसाधनों की कमी के बावजूद भी खिलाड़ियों का हौसला बुलंद है. लेकिन इन खिलाड़ियों को संसाधनों की कमी खलती है. खिलाड़ियों का कहना है कि अगर हमें संसाधन मुहैया करा दिया जाए तो हम देश के लिए और भी मेडल ला सकते हैं.

"हमारे पास टैलेंट की कोई कमी नहीं है. स्थानीय स्तर पर कोई सुविधा नहीं है. मैं भी ट्रेनिंग करता हूं. खिलाड़ियों को सिर्फ आश्वासन भर मिलता है. पढ़ाई की तरह खेल में भी बहुत स्कोप है. बिहार सरकार ने कहा है कि जो पदक लाएगा नौकरी पाएगा. हम कड़ी मेहनत कर रहे हैं, आगे भी करते रहेंगे. संसाधन मिले तो अपने जिले और राज्य का ही नहीं देश का भी नाम रौशन करेंगे."- सूरज, जेवलिन थ्रो खिलाड़ी

संसाधनों की कमी से जूझ रहे खिलाड़ी
संसाधनों की कमी से जूझ रहे खिलाड़ी (ETV Bharat)

श्री कृष्ण सिंह स्टेडियम में प्रैक्टिस नहीं कर पाते खिलाड़ी: वैसे तो जिला मुख्यालय में एक श्री कृष्ण सिंह स्टेडियम है लेकिन खिलाड़ी यहां प्रेक्टिस नहीं कर पाते हैं. स्टेडियम परिसर के अंदर बालू मिट्टी लदा ट्रेक्टर , ट्रक आदि परिवहन विभाग और MVI द्वारा पकड़ गई गाड़ियों से भरा पड़ा रहता है. खिलाड़ी अपने-अपने खेल प्रेक्टिस के लिऐ जमुई जिले के विभिन्न इलाकों से कोई 20-30-40 किलोमीटर से केकेएम कॉलेज के ग्राउंड में पहुंचते हैं और तैयारी करते है. इस ग्राउंड में भी रनिंग के लिए कोई ट्रैक तक नहीं है.

"यहां पर कोई संसाधन नहीं है. सिर्फ हमें आश्वासन मिलता है. हम सब एक दूसरे को सपोर्ट करते हैं और इसी तरह से प्रैक्टिस करते हैं."- खिलाड़ी

12 गोल्ड समेत 25 मेडल पर कब्जा: बावजूद इसके यहां के खिलाड़ियों ने एथलेटिक्स चेम्पियनशिप में 12 गोल्ड समेत 25 मेडल पर कब्जा जमाया है. बिहार में राज्यस्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में जमुई जिले के खिलाड़ियों ने अलग-अलग इवेंट में 25 मेडल जीतकर जिले का नाम रोशन किया है. 25 मेडल में 12 गोल्ड, 8 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज मैडल है.

athletes of jamui
केकेएम कॉलेज (ETV Bharat)

कई खिलाड़ियों ने गाड़े जीत के झंडे: अंजनी कुमारी ने सीनियर वर्ग जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल और आशुतोष कुमार ने सीनियर वर्ग जेवलिन थ्रो में सिल्वर मेडल हासिल किया है. वहीं पुरुषोत्तम कुमार ने सीनियर वर्ग डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल और सुरेंद्र कुमार ने सीनियर वर्ग 1500 मीटर दौड़ तथा पांच किलोमीटर दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल किया है.

लंबी कूद में गोल्ड मेडल: वहीं ऋषु राज ने अंडर-20 डेकाथलॉन और लंबी कूद में गोल्ड मेडल, रोशन कुमार ने अंडर-20 डेकाथलान में सिल्वर मेडल, राजेश कुमार ने अंडर-14 किड्स जेवलिन में गोल्ड मेडल और शिवम कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है. हरिप्रिया ने अंडर-16 लंबी कूद में गोल्ड मेडल, अभय पांडे ने अंडर-16 पेंटाथलॉन में गोल्ड मेडल और 80 मी हर्डल में सिल्वर मेडल हासिल किया है .

अंडर -18 जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल: संजना कुमारी ने अंडर- 16 जेवलिन थ्रो में ब्रॉन्ज मेडल,रोशन कुमार ने अंडर- 16 जेवलिन में गोल्ड मेडल, मनीष कुमार ने अंडर- 20 जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल और राजकुमार गुप्ता ने ब्रॉन्ज मेडल, मनीष कुमार केसरी ने अंडर-18 लंबी कूद में ब्रॉन्ज मेडल, पीयूष कुमार केसरी ने अंडर-14 600 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल और वीरेंद्र कुमार यादव ने अंडर -18 जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल हासिल किया.

ऐसे करते हैं खिलाड़ी प्रैक्टिस: ये खिलाड़ी बिना किसी संसाधन के अपने जुगाड़ से सीमेंट का गोलाकार चकरी ढालकर और उसमें लोहे का रॉड लगाकर किसी तरह से प्रैक्टिस करते हैं. गोल्ड मेडल विजेता अंजनी कुमारी, सुरेंद्र कुमार, हरिप्रिया, रोशन कुमार,पीयूष कुमार और वीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि हमारे पास एथलेटिक्स की प्रैक्टिस करने के लिए कोई संसाधन नहीं है.

"केकेएम कॉलेज ग्राउंड में दौड़ की प्रैक्टिस करने के लिए कोई ट्रैक नहीं बना हुआ है, जिसके कारण हम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सुबह के समय कॉलेज ग्राउंड में घूमने और दौड़ने वाले लोगों की काफी भीड़ रहती है. जिसके कारण हमलोग लंबी कूद ऊंची कूद, गोला फेंक, भाला फेंक आदि की प्रैक्टिस नहीं कर पाते हैं."- अंजनी कुमारी,गोल्ड मेडल विजेता

ये भी पढ़ें- बिहार के खिलाड़ियों को सीएम नीतीश जल्द देंगे अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की सौगात, नालंदा में किया खेल अकादमी का निरीक्षण - CM Nitish Kumar

जमुई में खिलाड़ियों ने ईटीवी भारत से की खास बात (ETV Bharat)

जमुई: बिहार के जमुई जिले के केकेएम कॉलेज ग्राउंड में सुबह शाम खिलाड़ी जी तोड़ प्रेक्टिस करते हैं, लेकिन उनके पास जुगाड़ से तैयार किऐ गए इक्विपमेंट हैं, जिससे वे ऐथलेटिक्स इवेंट में खेलने की तैयारी करते हैं. इतना ही नहीं ये खिलाड़ी अपनी मेहनत से मेडल भी जीत रहे हैं.

संसाधनों की कमी से जूझ रहे खिलाड़ी: संसाधनों की कमी के बावजूद भी खिलाड़ियों का हौसला बुलंद है. लेकिन इन खिलाड़ियों को संसाधनों की कमी खलती है. खिलाड़ियों का कहना है कि अगर हमें संसाधन मुहैया करा दिया जाए तो हम देश के लिए और भी मेडल ला सकते हैं.

"हमारे पास टैलेंट की कोई कमी नहीं है. स्थानीय स्तर पर कोई सुविधा नहीं है. मैं भी ट्रेनिंग करता हूं. खिलाड़ियों को सिर्फ आश्वासन भर मिलता है. पढ़ाई की तरह खेल में भी बहुत स्कोप है. बिहार सरकार ने कहा है कि जो पदक लाएगा नौकरी पाएगा. हम कड़ी मेहनत कर रहे हैं, आगे भी करते रहेंगे. संसाधन मिले तो अपने जिले और राज्य का ही नहीं देश का भी नाम रौशन करेंगे."- सूरज, जेवलिन थ्रो खिलाड़ी

संसाधनों की कमी से जूझ रहे खिलाड़ी
संसाधनों की कमी से जूझ रहे खिलाड़ी (ETV Bharat)

श्री कृष्ण सिंह स्टेडियम में प्रैक्टिस नहीं कर पाते खिलाड़ी: वैसे तो जिला मुख्यालय में एक श्री कृष्ण सिंह स्टेडियम है लेकिन खिलाड़ी यहां प्रेक्टिस नहीं कर पाते हैं. स्टेडियम परिसर के अंदर बालू मिट्टी लदा ट्रेक्टर , ट्रक आदि परिवहन विभाग और MVI द्वारा पकड़ गई गाड़ियों से भरा पड़ा रहता है. खिलाड़ी अपने-अपने खेल प्रेक्टिस के लिऐ जमुई जिले के विभिन्न इलाकों से कोई 20-30-40 किलोमीटर से केकेएम कॉलेज के ग्राउंड में पहुंचते हैं और तैयारी करते है. इस ग्राउंड में भी रनिंग के लिए कोई ट्रैक तक नहीं है.

"यहां पर कोई संसाधन नहीं है. सिर्फ हमें आश्वासन मिलता है. हम सब एक दूसरे को सपोर्ट करते हैं और इसी तरह से प्रैक्टिस करते हैं."- खिलाड़ी

12 गोल्ड समेत 25 मेडल पर कब्जा: बावजूद इसके यहां के खिलाड़ियों ने एथलेटिक्स चेम्पियनशिप में 12 गोल्ड समेत 25 मेडल पर कब्जा जमाया है. बिहार में राज्यस्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में जमुई जिले के खिलाड़ियों ने अलग-अलग इवेंट में 25 मेडल जीतकर जिले का नाम रोशन किया है. 25 मेडल में 12 गोल्ड, 8 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज मैडल है.

athletes of jamui
केकेएम कॉलेज (ETV Bharat)

कई खिलाड़ियों ने गाड़े जीत के झंडे: अंजनी कुमारी ने सीनियर वर्ग जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल और आशुतोष कुमार ने सीनियर वर्ग जेवलिन थ्रो में सिल्वर मेडल हासिल किया है. वहीं पुरुषोत्तम कुमार ने सीनियर वर्ग डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल और सुरेंद्र कुमार ने सीनियर वर्ग 1500 मीटर दौड़ तथा पांच किलोमीटर दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल किया है.

लंबी कूद में गोल्ड मेडल: वहीं ऋषु राज ने अंडर-20 डेकाथलॉन और लंबी कूद में गोल्ड मेडल, रोशन कुमार ने अंडर-20 डेकाथलान में सिल्वर मेडल, राजेश कुमार ने अंडर-14 किड्स जेवलिन में गोल्ड मेडल और शिवम कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है. हरिप्रिया ने अंडर-16 लंबी कूद में गोल्ड मेडल, अभय पांडे ने अंडर-16 पेंटाथलॉन में गोल्ड मेडल और 80 मी हर्डल में सिल्वर मेडल हासिल किया है .

अंडर -18 जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल: संजना कुमारी ने अंडर- 16 जेवलिन थ्रो में ब्रॉन्ज मेडल,रोशन कुमार ने अंडर- 16 जेवलिन में गोल्ड मेडल, मनीष कुमार ने अंडर- 20 जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल और राजकुमार गुप्ता ने ब्रॉन्ज मेडल, मनीष कुमार केसरी ने अंडर-18 लंबी कूद में ब्रॉन्ज मेडल, पीयूष कुमार केसरी ने अंडर-14 600 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल और वीरेंद्र कुमार यादव ने अंडर -18 जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल हासिल किया.

ऐसे करते हैं खिलाड़ी प्रैक्टिस: ये खिलाड़ी बिना किसी संसाधन के अपने जुगाड़ से सीमेंट का गोलाकार चकरी ढालकर और उसमें लोहे का रॉड लगाकर किसी तरह से प्रैक्टिस करते हैं. गोल्ड मेडल विजेता अंजनी कुमारी, सुरेंद्र कुमार, हरिप्रिया, रोशन कुमार,पीयूष कुमार और वीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि हमारे पास एथलेटिक्स की प्रैक्टिस करने के लिए कोई संसाधन नहीं है.

"केकेएम कॉलेज ग्राउंड में दौड़ की प्रैक्टिस करने के लिए कोई ट्रैक नहीं बना हुआ है, जिसके कारण हम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सुबह के समय कॉलेज ग्राउंड में घूमने और दौड़ने वाले लोगों की काफी भीड़ रहती है. जिसके कारण हमलोग लंबी कूद ऊंची कूद, गोला फेंक, भाला फेंक आदि की प्रैक्टिस नहीं कर पाते हैं."- अंजनी कुमारी,गोल्ड मेडल विजेता

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