जमुईः बिहार का एक ऐसा सिविल सेवक जो कभी नौकरी छोड़ने का मन बना लिया था लेकिन आज इनकी सेवा को देख लोग खूब चर्चा करते हैं. कई लोग इनके अभियान से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. लोगों के लिए नेचर विलेज बनाना इनका सपना है. इसके लिए खूब मेहनत भी कर रहे हैं.
नेचर विलेज बनाना सपनाः हम जमुई के लक्ष्मीपुर सीओ निर्भय प्रताप सिंह के बारे में बात कर रहे हैं. आमतौर पर कोई भी पदाधिकारी ऑफिस में काम खत्म करने के बाद आराम करते है लेकिन ये आराम नहीं ब्ल्कि लोगों के बीच जाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने का गुर सिखाते हैं. उन्होंने कहा कि नेचर विलेज बनाना उनका सपना है.
लोगों को कर रहे जागरूकः निर्भय सिंह बच्चों को योगा सिखाने और लोगों के बीच स्वच्छता, स्वाबलंबन, स्वरोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए निर्भय सिंह ने बताया कि गांव को विकसित उनका सपना रहा है. इसको लेकर नौकरी से पहले से वह काम कर रहे हैं. अन्ना हजारे से लेकर अन्य कई नेताओं से मिलना और इसपर चर्चा करते रहे हैं.
गांव को विकसित करने का लक्ष्यः निर्भय सिंह बताते हैं कि विकसित गांव बनाने के लिए काम चल रहा था इसी बीच उनका सिविल सर्विसेज का रिजल्ट आ गया. लक्ष्मीपुर प्रखंड में उनकी पहली ज्वाइनिंग होनी थी. एक बार उन्होंने सोचा कि नौकरी छोड़ दूं और गांव को विकसित करने को लेकर काम करूं. फिर मन में आया कि नौकरी करते हुए भी यह काम किया जा सकता है. इसके बाद से गांव को विकसित करने का काम चल रहा है.
"गांव-गांव में घूमकर लोगों को जागरूक करता हूं. अधिकतर सरकारी और कुछ प्राइवेट स्कूलों के 6 000 से अधिक बच्चों और अभिभावकों को योगा का अभ्यास करा चुका हूं. पर्यावरण संरक्षण को लेकर कृषि के नए तरीके अपनाने, मशाला, औषधीय पौधे आदि की खेती के लिऐ भी किसानों को जागरूक करता हूं." -निर्भय प्रताप सिंह, लक्ष्मीपुर सीओ
महिलाएं करती हैं कामः निर्भय प्रताप सिंह बताते हैं कि नेचर विलेज मटिया में कई प्रकार के मशाले, हर्बल गुलाल, कपड़ों की सिलाई कढ़ाई आदि का काम भी शुरू किया गया है. कई तरह के प्रोडक्ट बनाने के लिए सेटअप किया जा रहा है. अधिकारी का सपना है कि बच्चे की पढ़ाई हो और घरेलु महिलाओं को काम मिल सके ताकि सभी आत्मनिर्भर बने.
महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भरः उन्होंने बताया कि नेचर विलेज से जुड़ी लड़कियों को नेचर दीदी के नाम से पुकारा जाता है. दीदियों ने बताया की पढ़ लिखकर बेरोजगार थे लेकिन अब काम करते हैं तो सम्मान भी मिलता है. अधिकारी बताते हैं कि गांव को विकसित करने के क्षेत्र में लगातार काम किया जा रहा है. आने वाले समय में इसमें और बदलाव देखने को मिलेगा. इसमें गांव के स्थानीय जन प्रतिनिधि भी काफी सहयोग कर रहे हैं.
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