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'खटिया वाले डीएम' के नाम से भी जाने जाते है जमुई के जिलाधिकारी, जानें पूरी स्टोरी - Jamui DM

Jamui DM Rakesh Kumar: बिहार के जमुई जिले के डीएम को लोग एक अलग ही नाम से पुकारते है. उन्हें लोग 'खटिया वाले डीएम' भी कहते हैं. आइए इसके पीछे की पूरी स्टोरी को जानते हैं...

Jamui DM Rakesh Kumar
'खटिया वाले डीएम' के नाम से भी जाने जाते है जमुई के जिलाधिकारी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 3, 2024, 4:55 PM IST

जमुई: बिहार के जमुई जिले के डीएम को अक्सर लोग 'खटिया वाले डीएम' कहकर भी पुकारते हैं. जनता के बीच खटिया पर बैठकर उनकी समस्या सुनने के कारण लोगों ने उन्हें यह नाम दिया है. कहा जाता है कि जमुई डीएम जब गांव पहुंचते थे तो किसी के भी घर के दरवाजे पर रखे खटिया पर बैठ जाते थे और वहीं दरबार लगाकर गांव की समस्या सुनते थे. इसके साथ ही खटिया पर बैठे-बैठे ही उसका समाधान करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देते थे.

सरकारी योजना का लेते अपडेट: दरअसल, जिलाधिकारी राकेश कुमार जमुई के विभिन्न इलाकों (सुदूरवर्ती पिछड़ा, अतिपिछड़ा, नक्सल प्रभावित) में ग्रामीण के बीच समय-समय पर पहुंचकर सरकार की विकास योजनाए पहुंच रही है या नहीं, इसको लेकर जानकारी जुटाते रहते थे. साथ ही ग्रामीण जनता के बीच से किसी एक तेज तर्रार व्यक्ति को ढूंढकर उसे अपना नंबर दे देते थे, ताकि जरूरी होने पर वह व्यक्ति फोन कर सकें.

Jamui DM Rakesh Kumar
'खटिया वाले डीएम' के नाम से भी जाने जाते है जमुई के जिलाधिकारी (ETV Bharat)

दरवाजा खटखटाकर पूछते समस्या: लोग बताते हैं कि उनके द्वारा समस्याओं का तत्काल निराकरण किया जाता है. वह गांव में पैदल चलकर भ्रमण करते हुए किसी के भी घर पहुंच जाते थे और दरवाजा खटखटाकर कहते थे कि गृहस्वामी हम आपका घर देखने आए है. आपकी समस्या सुनने आए है. सरकार का विकास योजनाओं लाभ आपको मिल पा रहा है कि नहीं, ये जानने आए है.

समस्याओं का तत्काल निदान करते: वहीं, जिलाधिकारी ने कई बार गांव में भ्रमण करने के दौरान ही ग्रामीणों से बात करते हुए छोटी मोटी समस्याओं का ऑन द स्पॉट निराकरण किया. वह बात करते-करते अपने पदाधिकारियों को काम पर लगा देते थे और समस्याओं का तत्काल निदान कर देते थे. इसके अलावा कुछ बड़ी समस्याए जैसे स्वास्थ्य सुविधा को लेकर, सड़क को लेकर आदि को लेकर जमुई मुख्यालय स्थित कार्यालय पहुंचकर लिखित रूप से आवेदन देने पर कर देते थे.

Jamui DM Rakesh Kumar
'खटिया वाले डीएम' के नाम से भी जाने जाते है जमुई के जिलाधिकारी (ETV Bharat)

भीषण गर्मी में किया समाधान: आइए अब जानते है कि वह खटिया वाले डीएम कब बने. दरअसल, तकरबीन पांच माह पूर्व भीषण गर्मी पड़ रही थी. जल संकट उत्पन्न हो गया था. पीने के पानी के लिए लोग त्राहिमाम कर रहे थे. नदी तालाब कूंआ सब कुछ सूख गया था. इस बीच डीएम को जब जल समस्या की जानकारी हुई तो वह जनता के बीच अपने पदाधिकारियों के साथ पहुंचने लगे. उन्होंने लगातार जमुई के विभिन्न इलाकों के गांवो में धूम-धूमकर जन समस्याओं के बारे में जाना और उसका समाधान किया.

खटिया पर बैठकर देते निर्देश: इस बीच अचानक जब जमुई डीएम गांव पहुंचते तो किसी भी घर के दरवाजे के आसपास रखे (खटिया) पर बैठ जाते और वहीं दरबार लगाकर सारे गांव की समस्या सुनते और उसका समाधान करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देते.

इसे भी पढ़े- जमुई: DM ने सदर अस्पताल का किया निरीक्षण, चिकित्सकों के गायब रहने पर वेतन पर लगाई रोक

जमुई: बिहार के जमुई जिले के डीएम को अक्सर लोग 'खटिया वाले डीएम' कहकर भी पुकारते हैं. जनता के बीच खटिया पर बैठकर उनकी समस्या सुनने के कारण लोगों ने उन्हें यह नाम दिया है. कहा जाता है कि जमुई डीएम जब गांव पहुंचते थे तो किसी के भी घर के दरवाजे पर रखे खटिया पर बैठ जाते थे और वहीं दरबार लगाकर गांव की समस्या सुनते थे. इसके साथ ही खटिया पर बैठे-बैठे ही उसका समाधान करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देते थे.

सरकारी योजना का लेते अपडेट: दरअसल, जिलाधिकारी राकेश कुमार जमुई के विभिन्न इलाकों (सुदूरवर्ती पिछड़ा, अतिपिछड़ा, नक्सल प्रभावित) में ग्रामीण के बीच समय-समय पर पहुंचकर सरकार की विकास योजनाए पहुंच रही है या नहीं, इसको लेकर जानकारी जुटाते रहते थे. साथ ही ग्रामीण जनता के बीच से किसी एक तेज तर्रार व्यक्ति को ढूंढकर उसे अपना नंबर दे देते थे, ताकि जरूरी होने पर वह व्यक्ति फोन कर सकें.

Jamui DM Rakesh Kumar
'खटिया वाले डीएम' के नाम से भी जाने जाते है जमुई के जिलाधिकारी (ETV Bharat)

दरवाजा खटखटाकर पूछते समस्या: लोग बताते हैं कि उनके द्वारा समस्याओं का तत्काल निराकरण किया जाता है. वह गांव में पैदल चलकर भ्रमण करते हुए किसी के भी घर पहुंच जाते थे और दरवाजा खटखटाकर कहते थे कि गृहस्वामी हम आपका घर देखने आए है. आपकी समस्या सुनने आए है. सरकार का विकास योजनाओं लाभ आपको मिल पा रहा है कि नहीं, ये जानने आए है.

समस्याओं का तत्काल निदान करते: वहीं, जिलाधिकारी ने कई बार गांव में भ्रमण करने के दौरान ही ग्रामीणों से बात करते हुए छोटी मोटी समस्याओं का ऑन द स्पॉट निराकरण किया. वह बात करते-करते अपने पदाधिकारियों को काम पर लगा देते थे और समस्याओं का तत्काल निदान कर देते थे. इसके अलावा कुछ बड़ी समस्याए जैसे स्वास्थ्य सुविधा को लेकर, सड़क को लेकर आदि को लेकर जमुई मुख्यालय स्थित कार्यालय पहुंचकर लिखित रूप से आवेदन देने पर कर देते थे.

Jamui DM Rakesh Kumar
'खटिया वाले डीएम' के नाम से भी जाने जाते है जमुई के जिलाधिकारी (ETV Bharat)

भीषण गर्मी में किया समाधान: आइए अब जानते है कि वह खटिया वाले डीएम कब बने. दरअसल, तकरबीन पांच माह पूर्व भीषण गर्मी पड़ रही थी. जल संकट उत्पन्न हो गया था. पीने के पानी के लिए लोग त्राहिमाम कर रहे थे. नदी तालाब कूंआ सब कुछ सूख गया था. इस बीच डीएम को जब जल समस्या की जानकारी हुई तो वह जनता के बीच अपने पदाधिकारियों के साथ पहुंचने लगे. उन्होंने लगातार जमुई के विभिन्न इलाकों के गांवो में धूम-धूमकर जन समस्याओं के बारे में जाना और उसका समाधान किया.

खटिया पर बैठकर देते निर्देश: इस बीच अचानक जब जमुई डीएम गांव पहुंचते तो किसी भी घर के दरवाजे के आसपास रखे (खटिया) पर बैठ जाते और वहीं दरबार लगाकर सारे गांव की समस्या सुनते और उसका समाधान करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देते.

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