जयपुर. जयपुर मेट्रो की फैमिली कोर्ट-3 ने पटियाला एयरबेस में तैनात लेफ्टिनेंट पति को उसकी पत्नी व बेटे के लिए हर महीने 50 हजार रुपए अंतरिम भरण पोषण राशि देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने फैसले में कहा कि प्रथम दृष्टया अप्रार्थी के पास आय के पर्याप्त साधन हैं. वह, प्रार्थिया का पति व नाबालिग बेटे का पिता है और उनके भरण-पोषण का नैतिक, सामाजिक व विधिक दायित्व उन पर ही है और इससे वह विमुक्त नहीं हो सकता. इस मामले में तथ्यों व परिस्थितियों से अप्रार्थी की वार्षिक आय करीब 23 लाख रुपए होना सामने आया है.
ऐसे में प्रार्थिया व नाबालिग बेटे को अप्रार्थी पिता से 30 जुलाई 2022 से हर महीने अंतरिम भरण पोषण राशि प्राप्त दिलवाया जाना उचित होगा. मामले से जुडे़ अधिवक्ता अश्विनी बोहरा ने बताया कि प्रार्थिया का विवाह मृत्युंजय कुमार के साथ वर्ष 2013 में हुआ था और उनके एक बेटे का जन्म हुआ. प्रार्थिया के पास आय का कोई साधन नहीं है और बेटा भी उसके साथ ही रहता है. बेटे की स्कूल फीस, कोचिंग, ड्रेस, दवाई, खाने-पीने व रहने की जिम्मेदारी भी प्रार्थिया पर ही है. भारतीय सेना ने उसके आग्रह पर उसे 27.5 फीसदी राशि का भुगतान किया जाता है, लेकिन 1 जनवरी 2022 से अप्रार्थी के अनुरोध पर इस राशि को सेना ने बंद कर दिया है.
पढ़ेंः राजस्थान हाईकोर्ट ने पात्र होने के बावजूद दिव्यांग को नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब
आरटीआई से मिली सूचना के आधार पर उसके पति का 2020-21 में वेतन 23 लाख रुपए से ज्यादा था और मौजूदा वार्षिक वेतन 27 लाख रुपए से ज्यादा है, इसलिए उसे डेढ़ लाख रुपए मासिक भरण पोषण दिलाया जाए. इसके जवाब में पति का कहना था कि सैन्य अफसर के बेटे से आर्मी स्कूल या केन्द्रीय स्कूल में कोई फीस नहीं ली जाती. वह 2016 से ही उसे 27.5 फीसदी मेंटेनेंस के तौर पर दे चुका है जो पहले ही ज्यादा है. प्रार्थिया एमए है और अपनी आय अर्जित करने में सक्षम है. अप्रार्थी पर उसके माता-पिता के खर्च की भी जिम्मेदारी है. इसलिए प्रार्थिया का अंतरिम भरण पोषण राशि दिलवाने वाला प्रार्थना पत्र खारिज किया जाए.