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जयपुर की विरासत को पुरुष आभूषण और विभिन्न सामग्रियों पर उकेरा, बटनों पर राम दरबार और अंगूठी पर आमेर का किला - Jaipur Nagar Nigam Culture Point

Jaipur Heritage on Jewellery, हेरिटेज नगरी जयपुर में पहली बार विरासत को पुरुष आभूषण पर उकेरते हुए एक सेंटर की शुरुआत की गई है. जिसमें फिंगर रिंग पर पन्ना मीना बावड़ी और आमेर का किला, बटनों पर राम दरबार, ब्रोच में सियाराम, पशमीना कपड़े पर जयपुर ब्लॉक प्रिंट के साथ पॉकेट स्क्वेयर जैसी अनोखी और नायाब सामग्रियां तैयार की गई हैं.

Jaipur Heritage on Jewellery
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 20, 2024, 4:20 PM IST

किसने क्या कहा सुनिए....

जयपुर. राजधानी जयपुर की कला, संस्कृति और विरासत को निहारने के लिए विश्व भर से पर्यटक यहां पहुंचते हैं और अपने साथ कैमरों में कैद करके लेकर जाते हैं, लेकिन जयपुर में एक ऐसा अड्डा है, जहां की विरासत को विभिन्न रूप में अपने साथ ले जा सकेंगे. सी-स्कीम में मौजूद शाइनी डब्बा जहां राजस्थान के विभिन्न अंचल को पुरुषों के आभूषण ब्रोच, बटन, पेंडेंट पर उकेरा गया है.

शोरूम के ओनर लवी कुमार ने बताया कि जयपुर में बहुत सी ज्वेलरी की दुकानें हैं, लेकिन वहां पुरुष वर्ग के लिए डिफरेंट वैरायटी देखने को नहीं मिलती. ऐसे में पुरुष वर्ग के बारे में सोचते हुए करीब 1 साल इस तरह के आइटम बनाने पर मेहनत की और फिर चांदी और कीमती स्टोन के साथ कफलिंक, ब्रोच, बटन, पेंडेंट, ब्रेसलेट, फिंगर रिंग बनाए हैं. उन्होंने बताया कि ब्लू पॉटरी को इस्तेमाल करते हुए चांदी की ज्वेलरी बनाई है. इसके अलावा जयपुर और भारत के अलग-अलग कोनों से इंस्पायर होकर विभिन्न सामग्री तैयार की है.

वहीं, विश्व विरासत में शामिल आमेर के किले को एक फिंगर रिंग पर तैयार किया गया है. इस बारे में लवी कुमार ने बताया कि आमेर जयपुर की धरोहर है. जयपुर बनने से पहले से आमेर का किला मौजूद है. ऐसे में वो चाहते थे कि यदि विरासत की बात हो रही है तो आमेर को भी इसमें शामिल किया जाए. ऐसे में आमेर की स्काईलाइन को एक रिंग पर उतारा गया है. इसके अलावा यहां रामपुर, भरतपुर, कच्छ और जयपुर रॉयल कलेक्शन की कटार के स्वरूप के ब्रोच भी तैयार किए गए हैं.

पढ़ें : Special : राजस्थान के 9 सांस्कृतिक संभागों की विरासत को संजोएगा एसएमएस टाउन हॉल

इसी तरह चावलों के दाने के साथ सियाराम और जयपुर लिखे हुए ब्रोच, राम दरबार के बटन, कफलिंक और ब्रोच भी बनाए गए हैं. इसके अलावा यहां पशमीना कपड़े पर जयपुर के ब्लॉक प्रिंट के साथ पॉकेट स्क्वेयर बनाए गए हैं. इस संबंध में लवी कुमार ने बताया कि पॉकेट स्क्वेयर सिल्क के कपड़े से बनाए जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने इसमें बदलाव लाते हुए कश्मीर से आने वाले पशमीना कपड़े पर जयपुर के प्रसिद्ध ब्लॉक प्रिंट को उतारा है, जिसकी एक बड़ी रेंज तैयार की गई है.

लवी कुमार के सहयोगी ऋषभ ने बताया कि रिंग, ब्रोच पिन, बंद गला बटन, कफलिंक के अलावा जयपुर की विरासत को बयां करती पेंटिंग की काफी बड़ी रेंज है. इसके साथ ही यहां चांदी और गोल्ड प्लेटेड बटनों पर राम दरबार उकेरा गया है. उन्होंने बताया कि वो लंबे समय से चाहते थे कि जो भी पुरानी विरासत है उनको दोबारा बनाया जाए. मुगल शासक अकबर ने भी राम दरबार के इसी तरह बनवाया था, जिसे दोबारा बनाने का प्रयास किया गया है. उन्होंने बताया कि यहां जो भी सामान निर्मित किया गया है, उसमें चांदी, कुछ कीमती पत्थर और ब्लू पॉटरी का इस्तेमाल किया गया है.

बहरहाल अब यदि कोई भी देसी विदेशी पर्यटक जयपुर आ रहा है तो यहां की विरासत को अपने साथ संजोकर कर ले जा सकता है. यही नहीं, पुरुष वर्ग को दिए जाने वाले गिफ्ट की रेंज भी अब बढ़ गई है, जिसमें करीब 30 तरह के ब्रोच, 50-50 तरह के बटन, पॉकेट स्क्वायर, कफलिंक, विभिन्न तरह की अंगूठियां, ब्रेसलेट, पेंडेंट और दूसरी सामग्री मौजूद है. जिसमें कला संस्कृति और विरासत का समागम भी देखने को मिलता है.

किसने क्या कहा सुनिए....

जयपुर. राजधानी जयपुर की कला, संस्कृति और विरासत को निहारने के लिए विश्व भर से पर्यटक यहां पहुंचते हैं और अपने साथ कैमरों में कैद करके लेकर जाते हैं, लेकिन जयपुर में एक ऐसा अड्डा है, जहां की विरासत को विभिन्न रूप में अपने साथ ले जा सकेंगे. सी-स्कीम में मौजूद शाइनी डब्बा जहां राजस्थान के विभिन्न अंचल को पुरुषों के आभूषण ब्रोच, बटन, पेंडेंट पर उकेरा गया है.

शोरूम के ओनर लवी कुमार ने बताया कि जयपुर में बहुत सी ज्वेलरी की दुकानें हैं, लेकिन वहां पुरुष वर्ग के लिए डिफरेंट वैरायटी देखने को नहीं मिलती. ऐसे में पुरुष वर्ग के बारे में सोचते हुए करीब 1 साल इस तरह के आइटम बनाने पर मेहनत की और फिर चांदी और कीमती स्टोन के साथ कफलिंक, ब्रोच, बटन, पेंडेंट, ब्रेसलेट, फिंगर रिंग बनाए हैं. उन्होंने बताया कि ब्लू पॉटरी को इस्तेमाल करते हुए चांदी की ज्वेलरी बनाई है. इसके अलावा जयपुर और भारत के अलग-अलग कोनों से इंस्पायर होकर विभिन्न सामग्री तैयार की है.

वहीं, विश्व विरासत में शामिल आमेर के किले को एक फिंगर रिंग पर तैयार किया गया है. इस बारे में लवी कुमार ने बताया कि आमेर जयपुर की धरोहर है. जयपुर बनने से पहले से आमेर का किला मौजूद है. ऐसे में वो चाहते थे कि यदि विरासत की बात हो रही है तो आमेर को भी इसमें शामिल किया जाए. ऐसे में आमेर की स्काईलाइन को एक रिंग पर उतारा गया है. इसके अलावा यहां रामपुर, भरतपुर, कच्छ और जयपुर रॉयल कलेक्शन की कटार के स्वरूप के ब्रोच भी तैयार किए गए हैं.

पढ़ें : Special : राजस्थान के 9 सांस्कृतिक संभागों की विरासत को संजोएगा एसएमएस टाउन हॉल

इसी तरह चावलों के दाने के साथ सियाराम और जयपुर लिखे हुए ब्रोच, राम दरबार के बटन, कफलिंक और ब्रोच भी बनाए गए हैं. इसके अलावा यहां पशमीना कपड़े पर जयपुर के ब्लॉक प्रिंट के साथ पॉकेट स्क्वेयर बनाए गए हैं. इस संबंध में लवी कुमार ने बताया कि पॉकेट स्क्वेयर सिल्क के कपड़े से बनाए जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने इसमें बदलाव लाते हुए कश्मीर से आने वाले पशमीना कपड़े पर जयपुर के प्रसिद्ध ब्लॉक प्रिंट को उतारा है, जिसकी एक बड़ी रेंज तैयार की गई है.

लवी कुमार के सहयोगी ऋषभ ने बताया कि रिंग, ब्रोच पिन, बंद गला बटन, कफलिंक के अलावा जयपुर की विरासत को बयां करती पेंटिंग की काफी बड़ी रेंज है. इसके साथ ही यहां चांदी और गोल्ड प्लेटेड बटनों पर राम दरबार उकेरा गया है. उन्होंने बताया कि वो लंबे समय से चाहते थे कि जो भी पुरानी विरासत है उनको दोबारा बनाया जाए. मुगल शासक अकबर ने भी राम दरबार के इसी तरह बनवाया था, जिसे दोबारा बनाने का प्रयास किया गया है. उन्होंने बताया कि यहां जो भी सामान निर्मित किया गया है, उसमें चांदी, कुछ कीमती पत्थर और ब्लू पॉटरी का इस्तेमाल किया गया है.

बहरहाल अब यदि कोई भी देसी विदेशी पर्यटक जयपुर आ रहा है तो यहां की विरासत को अपने साथ संजोकर कर ले जा सकता है. यही नहीं, पुरुष वर्ग को दिए जाने वाले गिफ्ट की रेंज भी अब बढ़ गई है, जिसमें करीब 30 तरह के ब्रोच, 50-50 तरह के बटन, पॉकेट स्क्वायर, कफलिंक, विभिन्न तरह की अंगूठियां, ब्रेसलेट, पेंडेंट और दूसरी सामग्री मौजूद है. जिसमें कला संस्कृति और विरासत का समागम भी देखने को मिलता है.

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