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ACB की एफआईआर को रद्द कराने हाईकोर्ट पहुंची मेयर मुनेश, याचिका दायर - petition in Rajasthan High Court

हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर ने एसीबी की ओर से दर्ज एफआईआर को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. मेयर ने इस संबंध में आपराधिक याचिका दायर की है.

HERITAGE MUNICIPAL CORPORATION,  MAYOR MUNESH GURJAR
ACB की एफआईआर को रद्द कराने हाईकोर्ट पहुंची मेयर मुनेश. (ETV Bharat file)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 17, 2024, 10:18 PM IST

जयपुरः हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर ने रिश्वत लेकर पट्टे जारी करने के मामले में एसीबी की ओर से गत वर्ष 6 अगस्त को दर्ज एफआईआर को हाईकोर्ट में आपराधिक याचिका दायर कर चुनौती दी है. याचिका में राज्य सरकार और मामले के शिकायतकर्ता सुधांशु सिंह को पक्षकार बनाकर गुहार की गई है कि एसीबी की इस एफआईआर को रद्द किया जाए. अदालत मामले में आगामी दिनों में सुनवाई करेगी.

याचिका में दिए ये तर्कः याचिका में अधिवक्ता दीपक चौहान ने बताया कि इस मामले में एसीबी याचिकाकर्ता से कोई भी डिमांड साबित करने में विफल रही है. एसीबी ने यह नहीं बताया है कि याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता से कैसे डिमांड की और एसीबी ने उसका सत्यापन कैसे किया?. इसके अलावा याचिकाकर्ता से कोई भी रिकवरी नहीं हुई है. वहीं, मामले में दर्ज एफआईआर में याचिकाकर्ता की भूमिका होने के संबंध में कोई भी सबूत नहीं है. ऐसे में एसीबी की एफआईआर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जरूरी शर्तों डिमांड व रिकवरी को ही सत्यापित नहीं करती है. इस संबंध में पूर्व में भी उसके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं पाए थे, यदि साक्ष्य होते तो उसके खिलाफ उसी समय कार्रवाई हो जाती.

पढ़ेंः मेयर मुनेश गुर्जर को नोटिस, 3 दिन में जवाब नहीं दिया तो लिया जाएगा एक्शन - Munesh Gurjar Row

केवल पति पर ही लगाए आरोपः दायर याचिका में बताया है कि याचिकाकर्ता को इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है. याचिकाकर्ता का मामले से कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर संबंध नहीं है. यह एफआईआर उसके खिलाफ दुर्भावना के चलते दर्ज करवाई है. शिकायतकर्ता ने केवल उसके पति पर ही आरोप लगाए हैं और शिकायतकर्ता ने यह कहीं पर भी नहीं कहा है कि वह उससे मिला था और याचिकाकर्ता ने उससे किसी तरह की डिमांड की थी. ऐसे में एसीबी ने याचिकाकर्ता को बिना किसी कारण ही फंसाया है, इसलिए इस एफआईआर को रद्द किया जाए. गौरतलब है कि एसीबी ने मुनेश गुर्जर के पति सुशील गुर्जर को नगर निगम से पट्टे जारी करने की एवज में रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया था. इसके बाद राज्य सरकार ने मुनेश को निलंबित कर दिया था. इस निलंबन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. वहीं, बाद में सरकार ने निलंबन आदेश वापस ले लिया था. राज्य सरकार ने जांच के बाद मुनेश को पुनः निलंबित किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने दिसंबर, 2023 में निलंबन को रद्द कर दिया था.

जयपुरः हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर ने रिश्वत लेकर पट्टे जारी करने के मामले में एसीबी की ओर से गत वर्ष 6 अगस्त को दर्ज एफआईआर को हाईकोर्ट में आपराधिक याचिका दायर कर चुनौती दी है. याचिका में राज्य सरकार और मामले के शिकायतकर्ता सुधांशु सिंह को पक्षकार बनाकर गुहार की गई है कि एसीबी की इस एफआईआर को रद्द किया जाए. अदालत मामले में आगामी दिनों में सुनवाई करेगी.

याचिका में दिए ये तर्कः याचिका में अधिवक्ता दीपक चौहान ने बताया कि इस मामले में एसीबी याचिकाकर्ता से कोई भी डिमांड साबित करने में विफल रही है. एसीबी ने यह नहीं बताया है कि याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता से कैसे डिमांड की और एसीबी ने उसका सत्यापन कैसे किया?. इसके अलावा याचिकाकर्ता से कोई भी रिकवरी नहीं हुई है. वहीं, मामले में दर्ज एफआईआर में याचिकाकर्ता की भूमिका होने के संबंध में कोई भी सबूत नहीं है. ऐसे में एसीबी की एफआईआर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जरूरी शर्तों डिमांड व रिकवरी को ही सत्यापित नहीं करती है. इस संबंध में पूर्व में भी उसके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं पाए थे, यदि साक्ष्य होते तो उसके खिलाफ उसी समय कार्रवाई हो जाती.

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केवल पति पर ही लगाए आरोपः दायर याचिका में बताया है कि याचिकाकर्ता को इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है. याचिकाकर्ता का मामले से कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर संबंध नहीं है. यह एफआईआर उसके खिलाफ दुर्भावना के चलते दर्ज करवाई है. शिकायतकर्ता ने केवल उसके पति पर ही आरोप लगाए हैं और शिकायतकर्ता ने यह कहीं पर भी नहीं कहा है कि वह उससे मिला था और याचिकाकर्ता ने उससे किसी तरह की डिमांड की थी. ऐसे में एसीबी ने याचिकाकर्ता को बिना किसी कारण ही फंसाया है, इसलिए इस एफआईआर को रद्द किया जाए. गौरतलब है कि एसीबी ने मुनेश गुर्जर के पति सुशील गुर्जर को नगर निगम से पट्टे जारी करने की एवज में रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया था. इसके बाद राज्य सरकार ने मुनेश को निलंबित कर दिया था. इस निलंबन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. वहीं, बाद में सरकार ने निलंबन आदेश वापस ले लिया था. राज्य सरकार ने जांच के बाद मुनेश को पुनः निलंबित किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने दिसंबर, 2023 में निलंबन को रद्द कर दिया था.

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