जयपुर: हेरिटेज नगर निगम में महापौर की कुर्सी पर बहुत जल्द नया चेहरा देखने को मिल सकता है. 100 वार्ड वाले हेरिटेज नगर निगम में मुनेश गुर्जर को महापौर पद से निलंबित करने का मन बना चुकी. राज्य सरकार इस मंथन में भी जुट गई है कि ओबीसी मूल की किस महिला पार्षद को कार्यवाहक महापौर पद की जिम्मेदारी सौंपी जाए. हालांकि, अंतिम फैसला सत्ता और संगठन का होगा. इसे लेकर यूडीएच मंत्री ने पार्षदों की राय को अहमियत देने की बात जरूर कही है।
कुसुम यादव, ललिता जायसवाल, कपिला कुमावत, सोनल जांगिड़, बबीता कंवर और बरखा सैनी ये वो नाम हैं, जो इस श्रेणी में आती हैं. इनमें भी कुसुम यादव, ललिता जायसवाल और कपिला कुमावत का नाम के बीच टक्कर मानी जा रही है. हालांकि, इस संबंध में यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने ये जरूर कहा है कि कार्यवाहक महापौर बनाने से पहले पार्षदों की राय जरूर जानी जाएगी. यही वजह है कि ये तमाम पार्षद फिलहाल लामबंदी में लगे हुए हैं.
कार्यवाहक महापौर के लिए इन नामों के बीच टक्कर :
कुसुम यादव : महापौर चुनाव में बीजेपी की प्रत्याशी रह चुकी है कुसुम यादव दूसरी बार की पार्षद हैं. इससे पहले जयपुर में जब एक निगम था तो उन्होंने सांस्कृतिक समिति, महिला उत्थान समिति के अध्यक्ष पद को भी संभाला था. उनके पति अजय यादव भी पार्टी में सक्रिय और खुद भी पार्षद और अध्यक्ष रह चुके हैं.
ललिता जायसवाल : ललिता जायसवाल खुद पहली बार की पार्षद हैं और बीते 4 सालों में निगम में ज्यादा सक्रिय भी नहीं रही हैं. हालांकि, उनके पति संजय जयसवाल संगठन में काफी समय से काम कर रहे हैं. कई जिलों में युवा मोर्चा के प्रभारी भी रह चुके हैं और किशनपोल विधानसभा क्षेत्र में अपनी सक्रिय भूमिका भी अदा करते आए हैं.
कपिला कुमावत : निगम में पहली बार की पार्षद कपिला कुमावत बीजेपी का कोई बड़ा चेहरा नहीं है, लेकिन इनके पति विजय पाल कुमावत ढूंढाड़ परिषद के अध्यक्ष हैं और संघ के भी करीबी माने जाते हैं. यही नहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भाजपा में भी विभिन्न दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं.
इन सभी नाम में महिला पार्षद के पति का अहम रोल रहने वाला है. हालांकि, कार्यवाहक महापौर चुनते वक्त बीजेपी की कोशिश यही रहेगी कि आगामी महीनों में वोटिंग के जरिए भी इसी नाम पर मोहर लग जाए, लेकिन इसके लिए पार्षद चेहरे को 50 पार्षदों के वोट की जरूरत पड़ेगी. फिलहाल, बीजेपी के पास 42 पार्षद है और दो निर्दलीय पार्षद भी बीजेपी के समर्थन में है. ऐसे में कांग्रेस या अन्य निर्दलीय पार्षदों के साथ की भी जरूरत पड़ेगी और जिस तरह से बीते 4 साल में समितियों का गठन नहीं हुआ है, इससे नाराज पार्षद खुलकर सामने आ सकते हैं. जिसके चलते क्रॉस वोटिंग की संभावनाएं भी बनेंगी.