धौलपुर : बुधवार को श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो गई. हालांकि, मंगलवार को भी कुछ विद्वानों की ओर से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 11 बजकर 44 मिनट पर पूर्णिमा लगते ही करा दी गई थी. अधिकांश लोगों की ओर से बुधवार को ही पितरों को तर्पण किया गया.
ऐतिहासिक तीर्थराज मचकुंड पर बुधवार तड़के से ही लोगों की भीड़ जमा हो गई. मचकुंड सरोवर में स्नान और विधि विधान पूर्वक मंत्र उच्चारण के साथ पितरों को तर्पण किया है. महंत कृष्णदास ने बताया कि बुधवार सुबह 7:30 तक पूर्णिमा का मुहूर्त है. इस अवधि के दौरान श्राद्ध पक्ष शुरू हो गया है. उन्होंने बताया कि भाद्रपद की पूर्णिमा की शुरुआत मंगलवार 11 बजकर 44 मिनट पर हुई थी. कुछ लोगों ने पूर्णिमा लगते ही मंगलवार को ही पितरों को तर्पण किया है, लेकिन बुधवार को अधिकांश जिले के लोगों ने श्राद्ध पक्ष की शुरुआत की है. मचकुंड सरोवर पर पितरों को तर्पण कराया गया है. उन्होंने बताया 16 दिन तक पितृ पक्ष चलेगा, जिस तिथि को पूर्वजों का मरण होता है, उसी दिन श्राद्ध किया जाता है. मान्यता के मुताबिक पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज देवता का रूप लेकर धरती पर आते हैं, जिनको परिजनों की ओर से श्रद्धापूर्वक पानी पिला कर पिंडदान किया जाता है. पूर्वजों के आशीर्वाद से परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है.
16 दिन तक मांगलिक कार्यक्रम रहेंगे बंद : महंत कृष्णदास ने बताया कि श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होते ही 16 दिन तक मांगलिक कार्यक्रम बंद रहेंगे. पितृपक्ष की अवधि के दौरान पितरों को पानी पिलाकर पिंडदान करने का विशेष महत्व है. इसके अलावा परिजन पूर्वज की स्मृति में ब्राह्मण को भोजन कराकर दान दक्षिणा दे सकते हैं.
महाभारत काल से पितृ पक्ष की शुरुआत : पौराणिक मान्यता के मुताबिक राजा कर्ण को बहुत बड़ा दानी माना जाता था। जीवन में उनके द्वारा सिर्फ सोना ही दान किया गया था। स्वर्ग में पहुंचने पर उनको सोना ही दिया गया और पितरों का तर्पण नहीं करने का इंद्र द्वारा हवाला दिया था। तब कर्ण ने कहा मुझे अपने पूर्वजों का पता ही नहीं है। इसके बाद कर्ण को पुनः 16 दिन तक पितृ पक्ष धर्म पूरा करने के लिए धरती पर भेजा गया। तभी से पितृपक्ष अथवा श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हुई है।