जयपुर: प्रदेश के कोचिंग संस्थानों में दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए साल 2023 में कोचिंग संस्थानों के उचित प्रबंधन के लिए गाइडलाइंस जारी की गई थी. इसके साथ ही भीड़भाड़ वाले इलाकों के दूर जयपुर के प्रताप नगर में कोचिंग हब बनाया गया था, लेकिन न तो गाइडलाइन फॉलो हो रही और न ही कोचिंग संस्थान कोचिंग हब में शिफ्ट किए गए हैं. जिसके कारण कोचिंग संस्थानों में दुर्घटनाएं कभी भी बड़ा रूप ले सकती है.
राजस्थान में कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे छात्रों के आत्महत्या करने और कोचिंग संस्थानों में हो रही दुर्घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए करीब 2 साल पहले जनवरी 2023 में प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने कोचिंग संस्थानों और हॉस्टलों पर लगाम लगाने के लिए गाइडलाइन जारी की थी. जिसके तहत हर कोचिंग संस्थान को ऐसी व्यवस्था करनी थी कि स्टूडेंट्स और उनके अभिभावकों की शिकायत का समाधान तुरंत निकल सके. यदि विद्यार्थी बीच में ही कोचिंग या हॉस्टल छोड़ता है तो उसकी फीस भी लौटाने के निर्देश थे. इतना ही नहीं, किसी विद्यार्थी के अस्वस्थ होने पर उनके अभिभावकों के आने तक उनके केयर टेकर के रूप में काम करने, विद्यार्थियों की क्लीनिकल काउंसलिंग, प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था और वैलनेस सेंटर के निर्देश दिए गए थे.
कोचिंग सेंटर्स में सुसाइड के मामले, आग की घटनाओं और सुविधाओं की कमी को ध्यान में रखते हुए इसी साल जनवरी में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने भी कोचिंग संस्थानों के लिए गाइडलाइन जारी की, जिसमें कोचिंग द्वारा मनमानी फीस वसूलने पर लगाम लगाने से लेकर, 16 साल से कम उम्र के छात्र का रजिस्ट्रेशन नहीं करने, किसी भी संस्थान की ओर से छात्र को अच्छी रैंक या अच्छे नंबर दिलाने की भ्रामक गारंटी नहीं देने, कोचिंग संस्थानों की अपनी वेबसाइट जिसमें शिक्षकों की योग्यता, कोर्स पूरा होने का समय, हॉस्टल की सुविधा, छात्रों से ली जाने वाली फीस, कुल छात्रों की संख्या और संस्थान छोड़ने की आसान नीति, फीस वापसी आदि का जिक्र होने जैसे दिशा-निर्देश शामिल किए गए.
जुर्माने के भी किए गए प्रावधान : शिक्षा मंत्रालय ने अपने दिशा-निर्देशों में पहली बार नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना भी लगाने की बात कही. पहली बार नियमों का उल्लंघन होने पर 25 हजार तक जुर्माना वसूलने को कहा है. दूसरी बार अगर नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो एक लाख तक जुर्माना भरने की प्रावधान निर्धारित किए गए.
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इससे पहले राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने गोपालपुरा बायपास, लाल कोठी, वैशाली नगर, मालवीय नगर और परकोटा क्षेत्र में संचालित सैकड़ों कोचिंग सेंटर्स में भवन विनियमों की पालना नहीं होने, सुविधाओं का अभाव होने, ट्रैफिक और पार्किंग की समस्या बने रहने के चलते आवासन मंडल से प्रताप नगर में कोचिंग हब का निर्माण करवाया, जहां करीब 140 कोचिंग सेंटर संचालित हो सकते हैं. कोचिंग हब में 500 वर्ग फीट से लेकर 6200 के आकार के 140 कोचिंग सेंटर के लिए स्पेस डिजाइन किए गए, जहां 40 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ सकते हैं. साथ ही यहां 839 चौपाइयां और 1269 दोपहिया वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था की गई. स्पोर्ट्स अरेना, लाइब्रेरी, ओपन जिम, साइकलिंग ट्रेक, हेल्प चेक अप सेंटर, फायर सेफ्टी उपकरण, भूकंपरोधी डिजाइन और राज्य सरकार से निर्धारित कोचिंग सेंटर की गाइडलाइन से जुड़ी सभी सुविधाएं विकसित की गई.
बावजूद इसके न तो कोचिंग सेंटर्स को कोचिंग हब में शिफ्ट किया गया और न ही कोचिंग सेंटर्स सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन को फॉलो कर रहे हैं. हालांकि, बीते दिनों कोचिंग हब में कोचिंग सेंटर को लाने के लिए राजस्थान आवासन मंडल ने नियमों के विपरीत संचालित होने वाले कोचिंग सेंटर पर सख्त कार्रवाई के लिए सरकार को पत्र लिखा. इससे स्पष्ट हो गया कि मंडल ने अब कोचिंग हब को संचालित करने के लिए गेंद सरकार के पाले में डाल दी है, जबकि कोचिंग हब में कोचिंग प्लेस की बढ़ी हुई दरों की वजह से भी कोचिंग सेंटर्स रुचि नहीं दिखा रहे.
इस बीच गोपालपुरा बायपास पर रविवार को उत्कर्ष कोचिंग सेंटर में हुए हादसे के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोचिंग हब और कोचिंग गाइडलाइन लागू करने की नसीहत दी है. अपने सोशल मीडिया हैंडल पर अशोक गहलोत ने लिखा, 'कल रात जयपुर में एक कोचिंग संस्थान में हुई दुर्घटना चिंताजनक है. इस दुर्घटना में घायल हुए विद्यार्थियों के जल्द स्वास्थ्यलाभ की कामना करता हूं. कोचिंग संस्थानों में ऐसी दुर्घटनाएं कभी भी बड़ा रूप ले सकती हैं, क्योंकि यहां क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है जो उचित नहीं है. हमारी सरकार के समय कोचिंग संस्थानों के लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी की गईं थीं एवं भीड़भाड़ वाले इलाकों के स्थान पर अच्छे वातावरण के लिए सोच-समझकर प्रतापनगर में कोचिंग हब बनाया गया था. यह वर्तमान राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि कोचिंग संस्थानों के उचित प्रबंधन के लिए बनाई गाइडलाइंस को लागू करें एवं अविलंब सुनिश्चित करे कि सारे कोचिंग संस्थान पिछली सरकार द्वारा बनाए गए कोचिंग हब में शिफ्ट किए जाएं'
वहीं, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि कोचिंग सेंटर में हुए हादसे में पीड़ित बच्चे अब स्वस्थ हैं, लेकिन ये जो घटनाक्रम हुआ ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, छात्रों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा. कोचिंग, कॉलेज, स्कूल के छात्रों को किसी भी तरह की परेशानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इस घटना की जांच के लिए एक कमेटी बनाई जा रही है. जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
कल रात जयपुर में एक कोचिंग संस्थान में हुई दुर्घटना चिंताजनक है। इस दुर्घटना में घायल हुए विद्यार्थियों के जल्द स्वास्थ्यलाभ की कामना करता हूं।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 16, 2024
कोचिंग संस्थानों में ऐसी दुर्घटनाएं कभी भी बड़ा रूप ले सकती हैं क्योंकि यहां क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है जो उचित…
उधर, एनएसयूआई और एबीवीपी छात्र संगठन भी सक्रिय हो गए हैं. एक तरफ जहां एबीवीपी ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए प्राथमिकी दर्ज कर दोषियों पर जल्द कार्रवाई करने, भवन निर्माण के विनियम पालना नहीं करने पर प्रभावी कार्रवाई करने की मांग की है तो वहीं एनएसयूआई ने कोचिंग सेंटर्स को लेकर बनाई गई गाइडलाइन फॉलो करवाने की सरकार से मांग की है. जिसमें फीस निर्धारण से लेकर पार्किंग तक की सुविधाओं का भी जिक्र किया.
बहरहाल, पूर्ववर्ती सरकार ने कोचिंग इंस्टिट्यूट कंट्रोल एंड रेगुलेशन बिल लाने का दावा किया था, लेकिन उस बिल को सदन के पटल पर ही नहीं लाया गया. हालांकि, अब पूर्ववर्ती सरकार के मुख्यमंत्री ही खुद वर्तमान सरकार को नसीहत दे रहे हैं. ये नसीहत गैर मुनासिब नहीं है. ऐसे में बीजेपी सरकार को कोचिंग सेंटर्स के लिए लागू की गई गाइडलाइन को सख्ती से पालना करानी होगी, ताकि इस तरह के हादसों से बचा जा सके और छात्र सुरक्षित माहौल में अपनी पढ़ाई कर सके.
ऑल कोचिंग इंस्टिट्यूट महासंघ के स्टेट प्रेसिडेंट अनीश कुमार ने कहा कि सभी कोचिंग को एक आंख से देखना गलत है. कुछ एक कोचिंग संस्थान को छोड़कर अधिकतर कोचिंग सेंटर्स राज्य सरकार और केंद्र सरकार की गाइडलाइन फॉलो कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कंपटीशन के जमाने में कोई भी कोचिंग संस्थान ये नहीं चाहता कि उसके छात्र किसी भी हादसे का शिकार हो और वर्तमान में जो हादसा हुआ है वो मानव जनित नहीं है. उन्होंने इसका दोषी निगम को ठहराते हुए कहा कि निगम ने सीवर गैस को बाहर निकालने का कोई प्रॉपर सिस्टम नहीं बना रखा, जिसकी वजह से ये हादसा हुआ है.
वहीं, उन्होंने छात्र संगठनों की ओर से किए जा रहे प्रदर्शन को लेकर कहा कि उनका कोचिंग के छात्रों से कोई लेना-देना नहीं है और ना ही यहां नेतागिरी करने से उन्हें कोई लाभ होने वाला है. इससे हजारों छात्रों के कॉम्पिटेटिव एक्जाम की तैयारी प्रभावित हो रही है. उन्होंने 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि प्रशासन कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को अच्छा वातावरण उपलब्ध कराते हुए ये धरना प्रदर्शन बंद करवाए. अन्यथा कोचिंग महासंघ के साथ कोचिंग में पढ़ने वाले छात्र सड़कों पर आ जाएंगे तो प्रशासन को भारी पड़ेगा.