जयपुर. राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में शनिवार से शुरू हुए दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने किया. इस मौके पर उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ लक्ष्यराज सिंह ने कहा कि जीवन सिर्फ जीना नहीं, बल्कि जीवन में आगे बढ़ना भी जरूरी है. इस दौरान उन्होंने अपनी लाइफ की फिलॉसफी पर बात की.
कला, संस्कृति और रचनात्मकता का उत्सव मनाने के लिए फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन (फ्लो) जयपुर चैप्टर की ओर से 'जयपुर आर्ट फेयर' का आयोजन किया जा रहा है. राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में शनिवार से शुरू हुए दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने किया. इस अवसर पर 'प्रिजर्वेशन ऑफ हेरिटेज आर्ट एंड कल्चर इन उदयपुर' और 'द लिगेसी एंड डायनेस्टी ऑफ द ग्रेट किंग - महाराणा प्रताप' पर एक इंटरैक्टिव टॉक हुई. इस दौरान अपने संबोधन में डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने विरासत, कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए अपने परिवार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला. साथ ही अपनी महान वंशावली महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप और बप्पा रावल जैसे दिग्गजों के वंशज होने के बावजूद 'रॉयल्टी' के लेबल को अस्वीकार किया. वहीं उन्होंने अपने जीवन की फिलॉसफी पर बात करते हुए कहा कि जीवन में यात्रा या मंजिल मायने नहीं रखती, बल्कि यात्रा के दौरान और मंजिल तक पहुंचने पर आपके साथ रहने वाले लोग मायने रखते हैं.
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वहीं जयपुर आर्ट फेयर में राजस्थान की जीवंत विरासत और संस्कृति की सुंदर प्रस्तुति के साथ कलाकारों को अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करने के लिए मंच मिला. इस अवसर पर फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन जयपुर चैप्टर की चेयरपर्सन रघुश्री पोद्दार ने बताया कि आर्ट फेयर का उद्देश्य आर्टीजंस को सशक्त बनाते हुए उनकी आवाज को बुलंद करने और उनकी शिल्प की प्रतिभा को प्रदर्शित करना है. फेयर में करीब 88 हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम आर्टीजंस हिस्सा ले रहे हैं. इनमें करीब 15 पुरस्कार विजेता आर्टीजंस भी शामिल हैं. क्राफ्ट्स काउंसिल ऑफ वीवर्स एंड आर्टीजंस (सीसीडब्ल्यूए) की ओर से इन पुरस्कार विजेता आर्टीजंस को फेयर में कॉम्प्लीमेंट्री स्टॉल प्रदान किए जाएंगे.