जयपुर: आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में गुरुवार से रक्षाबंधन का उत्सव शुरू होने जा रहा है. इसे झूला उत्सव भी कहा जाता है. खास बात है कि सावन के महीने में भगवान गोविंद देव की रियासतकालीन चांदी के झूले में राधा-रानी के साथ विराजमान होकर दर्शन देते हैं. इस दौरान ठाकुर जी को झूला झुलाया जाएगा. मंदिर के सेवा अधिकारी मानस गोस्वामी के मुताबिक ठाकुर जी फिलहाल ध्वज पताका के आसन पर इस दौरान विराजमान हैं. श्रावण कृष्ण एकादशी के बाद रक्षाबंधन उत्सव शुरू हो जाता है, जिस दौरान झूले के आसन पर ठाकुर जी को विराजमान किया जाता है. यह उत्सव रक्षाबंधन तक चलता है.
सावन में ठाकुर जी पहनते हैं लहरिया : गोविंद देव जी मंदिर में सावन माह के दौरान ठाकुर जी को विशेष रूप से लहरिया की पोशाक धारण करवाई जाती है. लहरिया राजस्थान का पारंपरिक परिधान है, जिसे विशेष रूप से सावन के महीने में धारण किया जाता है. इस मौके पर ठाकुर जी को विशेष रूप से तैयार जयपुर के मिष्ठान की पहचान घेवर का भी भोग लगाया जाता है. इस दौरान भक्त भी लहरिया पहनकर सावन के इस उत्सव का ठाकुर जी के साथ आनंद लेते हैं.
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मंदिर में आते हैं सावन के रंग नजर : जयपुर के श्री गोविंद देव जी मंदिर में झूला झांकी रक्षाबंधन तक सजी रहेगी. सिंजारा पर्व से ठाकुरजी को काली गोटेयुक्त लहरिया पोशाक धारण कराई जाएगी. तीज पर ठाकुरजी को घेवर का भोग लगाया जाएगा. सिर्फ शयन झांकी में ही ठाकुरजी धोती में नजर आएंगे. शेष अन्य झांकियों में रोजाना ठाकुर जी को अलग-अलग रंग के लहरिया-जामा पोशाक धारण कराई जाएगी.
खास बात है कि ठाकुर जी की झांकी को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए इस दौरान रियासतकालीन चांदी का झूला भी होगा. जहां ठाकुर जी राधा रानी के साथ विराजमान होंगे. यह रियासतकालीन झूला बेहद भारी और कलात्मक है. सागवान की लकड़ी से बने इस झूले की लकड़ी पर चांदी की प्रति चढ़ाई गई है. झूले को कई हिस्सों में बांटा हुआ है. प्रभु के गर्भगृह में रखने से पहले इसे तैयार किया जाता है.