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उच्च शिक्षा विभाग को जांच में लगे 34 साल, रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी में 70 में से 50 कर्मचारी रिटायर - RDVV IRREGULAR RECRUITMENT 1991

उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर कहा कि 70 कर्मचारियों को पद से हटाया जाए. इनमें से 20 कर्मचारी ही नौकरी में बचे हैं.

RDVV IRREGULAR RECRUITMENT 1991
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में 70 भर्तियों में लगा था अनियमितता का आरोप (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 7, 2024, 4:26 PM IST

जबलपुर: रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में पदों में भर्ती की गड़बड़ी की जांच करने में उच्च शिक्षा विभाग ने 34 साल लगा दिए. जिन पदों पर गलत नियुक्तियां हुई थीं उनमें ज्यादातर कर्मचारी रिटायर हो गए हैं और जो कर्मचारी नौकरी पर हैं उनकी भी लगभग 30 साल की सर्विस पूरी हो चुकी है. अब यदि उन्हें हटाया जाता है तो ऐसे कर्मचारियों ने कोर्ट जाने का फैसला कर लिया है. उच्च शिक्षा विभाग ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के 70 लोगों को पद से हटाने के आदेश जारी किए हैं.

70 पदों पर हुई थीं भर्तियां

जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में 1991 से लेकर 1997 तक 70 पदों पर भर्तियां हुई थीं. इन सभी अधिकारी और कर्मचारियों की नियुक्तियां निरस्त कर दी गई हैं. उच्च शिक्षा विभाग ने सभी 70 कर्मचारियों को पद से हटाने का आदेश जारी किया है.

जालम सिंह ने विधानसभा में उठाया था मुद्दा

नरसिंहपुर से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक जालम सिंह ने मध्य प्रदेश विधानसभा में यह सवाल उठाया था और उन्होंने आरोप लगाया था कि यह सभी भर्तियां अनियमित तरीके से की गई हैं. इन नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद किया गया. जालम सिंह के सवाल के जवाब में उच्च शिक्षा विभाग कोई जवाब नहीं दे पाया था और तब से इस मामले की जांच चल रही थी. 34 साल की जांच के बाद पाया गया कि सभी 70 लोगों की नियुक्तियां गलत हैं. इनमें 4 ओएसडी हैं 12 पद अधीक्षक के हैं. साथ ही अनुविभागीय अधिकारी सहायक ग्रेड एक के 12 पद हैं. दफ्तर में काम करने वाले लोगों के 15 पद और प्यून के 4 पद शामिल हैं. इसके अलावा और भी पद हैं.

50 रिटायर, बचे 20 लोग जाएंगे कोर्ट

कर्मचारी नेता राम सिंह ने बताया कि "पहले यह चलन था कि विश्वविद्यालय के जिस विभाग में कर्मचारियों की जरूरत रहती थी उस विभाग में विश्वविद्यालय खुद पदों पर नियुक्तियां कर लेते थे. 1991 से लेकर 1997 तक जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में 70 पदों पर भर्तियां हुई थीं. नियुक्तियों को लेकर अब ऐसा नहीं होता. पहले सरकार पद सृजित करती है और जब सरकार से अनुमति मिलती है उसके बाद ही पदों पर नियुक्तियां की जा सकती हैं. इन 70 लोगों में से मात्र 20 लोग ही अभी नौकरी पर हैं बाकी लोग रिटायर हो चुके हैं. जो लोग अभी नौकरी पर हैं वह सरकार के इस आदेश के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे."

'आदेश पर होगी कार्रवाई'

विश्वविद्यालय, नगर निगम जैसी संस्थाओं में कुछ साल पहले तक जरुरत के अनुसार लोगों की भर्तियां होती रही हैं. इस आदेश के बाद जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा हुआ है. कुलपति डॉ राजेश वर्मा का कहना है कि "उच्च शिक्षा विभाग के आदेश पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी."

जबलपुर: रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में पदों में भर्ती की गड़बड़ी की जांच करने में उच्च शिक्षा विभाग ने 34 साल लगा दिए. जिन पदों पर गलत नियुक्तियां हुई थीं उनमें ज्यादातर कर्मचारी रिटायर हो गए हैं और जो कर्मचारी नौकरी पर हैं उनकी भी लगभग 30 साल की सर्विस पूरी हो चुकी है. अब यदि उन्हें हटाया जाता है तो ऐसे कर्मचारियों ने कोर्ट जाने का फैसला कर लिया है. उच्च शिक्षा विभाग ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के 70 लोगों को पद से हटाने के आदेश जारी किए हैं.

70 पदों पर हुई थीं भर्तियां

जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में 1991 से लेकर 1997 तक 70 पदों पर भर्तियां हुई थीं. इन सभी अधिकारी और कर्मचारियों की नियुक्तियां निरस्त कर दी गई हैं. उच्च शिक्षा विभाग ने सभी 70 कर्मचारियों को पद से हटाने का आदेश जारी किया है.

जालम सिंह ने विधानसभा में उठाया था मुद्दा

नरसिंहपुर से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक जालम सिंह ने मध्य प्रदेश विधानसभा में यह सवाल उठाया था और उन्होंने आरोप लगाया था कि यह सभी भर्तियां अनियमित तरीके से की गई हैं. इन नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद किया गया. जालम सिंह के सवाल के जवाब में उच्च शिक्षा विभाग कोई जवाब नहीं दे पाया था और तब से इस मामले की जांच चल रही थी. 34 साल की जांच के बाद पाया गया कि सभी 70 लोगों की नियुक्तियां गलत हैं. इनमें 4 ओएसडी हैं 12 पद अधीक्षक के हैं. साथ ही अनुविभागीय अधिकारी सहायक ग्रेड एक के 12 पद हैं. दफ्तर में काम करने वाले लोगों के 15 पद और प्यून के 4 पद शामिल हैं. इसके अलावा और भी पद हैं.

50 रिटायर, बचे 20 लोग जाएंगे कोर्ट

कर्मचारी नेता राम सिंह ने बताया कि "पहले यह चलन था कि विश्वविद्यालय के जिस विभाग में कर्मचारियों की जरूरत रहती थी उस विभाग में विश्वविद्यालय खुद पदों पर नियुक्तियां कर लेते थे. 1991 से लेकर 1997 तक जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में 70 पदों पर भर्तियां हुई थीं. नियुक्तियों को लेकर अब ऐसा नहीं होता. पहले सरकार पद सृजित करती है और जब सरकार से अनुमति मिलती है उसके बाद ही पदों पर नियुक्तियां की जा सकती हैं. इन 70 लोगों में से मात्र 20 लोग ही अभी नौकरी पर हैं बाकी लोग रिटायर हो चुके हैं. जो लोग अभी नौकरी पर हैं वह सरकार के इस आदेश के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे."

'आदेश पर होगी कार्रवाई'

विश्वविद्यालय, नगर निगम जैसी संस्थाओं में कुछ साल पहले तक जरुरत के अनुसार लोगों की भर्तियां होती रही हैं. इस आदेश के बाद जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा हुआ है. कुलपति डॉ राजेश वर्मा का कहना है कि "उच्च शिक्षा विभाग के आदेश पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी."

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