जबलपुर: दशहरे के मौके पर जबलपुर में 72 फीट का रावण जलाया जा रहा है. यहां रावण के सभी बड़े पुतले एक मुस्लिम परिवार बनाता है. यह परिवार बीते 4 पीढ़ी से रावण बनाता चला रहा है. इनका कहना है कि जिस आयोजन में इस रावण के पुतले को जलाया जाएगा वो परिवार भी कभी पाकिस्तान से भारत आया था और पंजाबी हिंदुओं ने जबलपुर में पंजाबी दशहरे का अनोखा आयोजन शुरू किया था. जो दशहरे के ठीक 1 दिन पहले होता है.
जबलपुर का पंजाबी दशहरा
जबलपुर के दशहरे की परंपरा डेढ़ सौ साल से भी पुरानी है. 1947 में जब देश आजाद हुआ तो पाकिस्तान के पंजाबी इलाके से बड़े पैमाने पर हिंदू भारत आए. इन्हीं पंजाबी हिंदुओं ने जबलपुर में एक संस्था बनाई, जिसे पंजाबी हिंदू संगठन के नाम से जाना जाता है. जबलपुर के दशहरे से हटकर इन पंजाबी हिंदुओं ने एक नया दशहरा उत्सव शुरू किया. यह दसवीं के दिन ना होकर नवमीं के दिन होता है. इस दशहरे के कार्यक्रम में रामलीला आतिशबाजी और दूसरे सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और इसी में रावण को जलाने की परंपरा शुरू हुई.
मुस्लिम परिवार बनाता है रावण
रावण का पुतला बनाने वाले इफ्तिखार बताते हैं कि "1948 से लेकर अब तक पंजाबी हिंदू संगठन के रावण उन्हीं के परिवार के लोगों ने बनाए हैं. यह उनकी चौथी पीढ़ी है. रावण बनाने के लिए कोई पैसा नहीं लेते. रावण उनके लिए भी बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है. ऐसा नहीं है कि उनके धर्म के लोग उन्हें रावण बनाने से नहीं रोकते लेकिन हम जिस देश में रहते हैं उसे देश में गंगा जमुनी तहजीब है. उन्हें रावण बनाने में कुछ भी गलत नहीं लगता इसलिए वे इस परंपरा को निभा रहे हैं."
तैयार हो रहा 72 फीट का रावण
पंजाबी हिंदू संगठन के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह मलिक का कहना है कि "इस बार दशहरे में 72 फीट का रावण जलाया जाएगा और इतना ही बड़ा पुतला कुंभकरण का भी बनाया जा रहा है. अभी तक इस आयोजन में 55 फीट का रावण बनाया जाता था लेकिन इस बार इसकी ऊंचाई 72 फीट की गई है. इसमें लगभग सवा लाख रुपए के तो केवल पटाखे लगते हैं और कुल मिलाकर इन पुतलों की लागत साढ़े 3 लाख रुपया आती है.
ये भी पढ़ें: इस विजयदशमी नहीं जलेगा रावण! महाकाल पुजारी की मांग पर मोहन यादव लेंगे फैसला यहां के लोगों के दिल में आज भी जिंदा है रावण, जानिये नवरात्रि के 9 दिन क्या करते हैं |
आतिशबाजी का कंपटीशन
पंजाबी दशहरे में इस बार एक अनोखा कंपटीशन भी किया जा रहा है जिसमें शिवाकाशी से पटाखा बनाने वाले लोग आ रहे हैं और इन्हें जबलपुर के पटाखा बनाने वाले कारीगर चुनौती देंगे. यहां एक से बढ़कर एक आतिशबाजी लोगों को देखने को मिलेगी.