जबलपुर. प्रदेश में पहली बार इस तरह फर्जी बैंक खातों के सिंडीकेट का खुलासा हुआ है. पुलिस ने इस अंतर्राज्यीय गिरोह के 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. ये गिरोह बैंक खातों को बेचा करता और फिर इन खातों के माध्यम से करोड़ों के फ्रॉड किए जाते थे. ये गिरोह पांच हजार में बैंक खाता खरीदकर उसे 15 से 20 हजार में बेच देता था. बाद में इन खरीदे गए खातों में करोड़ों रुपए के लेनदेन किए जाते थे. बैंक खाता खरीदने बेचने वाले गिरोह की पहली बार गिरफ्तारी हुई है.
ऐसे हुआ इस फर्जीवाड़े का खुलासा
दरअसल, बीते दिनों कुंडम इलाके में अरविंद सिंह नामक युवक के खाते से एक लाख रुपए की धोखाधड़ी हुई. जांच में पता चला कि अरविंद के खाते से 1 लाख रूपए की राशि तिलवारा निवासी आशीष कोरी के अकाउंट में भेजी गई. पुलिस ने जब आशीष से पूछताछ की तो आशीष ने बताया कि उसने अपना खाता पीयूष खटीक को 5 हजार रूपए में बेच दिया था. इसके बाद क्राइम ब्रांच व साइबर सेल की टीम भी हरकत में आ गई.
जांच में हुए चौंकाने वाले खुलासे
पीयूष खटीक से पूछताछ करने पर उसने पुलिस को बताया कि इस खाते को उसने आसिफ और इफ्तकार को 10 हजार रूपए में बेचा है. आसिफ और इफ्तकार से पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि इस खाते को आगे अपने साले जमतरा निवासी अकबर अहमद और अकबर के दोस्त सलीम को 16 हजार रूपए में बेच दिया. इसी प्रकार इस फर्जीवाड़े से जुड़े लोगों की चेन सामने आ गई. इफ्तकार और आसिफ ने यह भी बताया कि इस खाते के अलावा 150 से अधिक खाते उन्होंने अकबर अहमद और सलीम को बेचे हैं.
इन धाराओं के तहत मामला दर्ज
जबलपुर पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि खाता बचने के इस धंधे में एक गिरोह कम कर रहा था और अलग-अलग थाना क्षेत्र से जबलपुर पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया. इन पर आरोप है कि इन्होंने अपने पहचान पत्रों के आधार पर खाता खुलवाएं और और इन्हें 5000 से लेकर 15000 रु तक की कीमत पर बेच दिया. फिर इन खातों से करोड़ों तक के फ्रॉड किए. पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है उनके खिलाफ धारा 420 और धारा 406 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.