जबलपुर। जबलपुर के ईसाई समाज के कैथोलिक धर्म प्रांत जबलपुर को नया धर्म अध्यक्ष मिल गया है. जबलपुर के सेंट एलायसिस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ.वलन अरासु को नया बिशप बनाया गया है. ईसाई समाज की जबलपुर की ये सबसे बड़ी संस्था है. साथ ही ये मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी डाइस भी है. ईसाई समाज के धर्म प्रांत जबलपुर के अंतर्गत जिन स्कूलों में पढ़ाई हो रही है, उनमें लगभग 40 हजार बच्चे पढ़ते हैं. इस मौके पर जबलपुर में बड़ा कार्यक्रम किया गया. 8 अप्रैल को सेंट पीटर एंड ऑल चर्च सदर में बिशप वलन अरासु को पुरानी कैथोलिक परंपरा के तहत पदभार सौंपा गया.
ईसाई धर्म के फैसले रोम में होते हैं
ईसाई धर्म की धार्मिक पत्रिका निकालने वाले रेसिडेविट ने बताया कि आज भी ईसाई धर्म के महत्वपूर्ण फैसले रोम से ही लिए जाते हैं. बिशप वलन अरासु को धर्म अध्यक्ष बनाने का फैसला भी रोम से ही लिया गया है. यह एक बहुत लंबी प्रक्रिया होती है. इसमें जिस किसी को भी इस पद पर बैठाया जाता है, उसके बारे में लंबी जांच पड़ताल होती है. उसके समाज में किए गए सेवा के कार्यों को देखा जाता है. जब उसके पुराने कामकाज अच्छे पाए जाते हैं. उसके बाद ही उसे धर्म अध्यक्ष बनाया जाता है.
सेंट एलायसिस कॉलेज के प्रिंसिपल रहे वलन अरासु
नए विशप वलन अरासु लंबे समय से जबलपुर के सेंट एलायसिस कॉलेज के प्रिंसिपल रहे हैं. उनके मार्गदर्शन में कॉलेज ने शिक्षा जगत में अच्छा नाम कमाया है. इसलिए उन्हें एक बड़ा धार्मिक पद दिया गया है. क्रिश्चियन मिशनरीज जबलपुर के आसपास कई स्कूल चलाते हैं. इनमें लगभग 40 हजार बच्चे पढ़ रहे हैं. इन सभी स्कूलों की ठीक तरह से व्यवस्था का काम भी धर्माअध्यक्ष का ही है. इसलिए यह पद जबलपुर के आसपास के क्षेत्र के शैक्षणिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है.
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अभिषेक कार्यक्रम के दौरान 3 घंटे तक धार्मिक प्रार्थनाएं
बिशप वलन अरासु को धर्मअध्यक्ष का पदभार सौंपने से पहले पहले जो प्रक्रिया की गई, वह ईसाई धर्म में भी अभिषेक नाम से जानी जाती है. पूर्व धर्मअध्यक्ष ने नए बिशप का अभिषेक किया. इस दौरान लगभग 3 घंटे तक धार्मिक प्रार्थनाएं की गईं. ईसाई धर्म में धर्म अध्यक्ष चुनने की सदियों पुरानी परंपरा है. जबलपुर का यह चर्च भी लगभग 170 साल से ज्यादा पुराना है. हर 15 साल में इस तरह की सेरेमनी होती है. कार्यक्रम में भी हजारों की तादाद में जबलपुर के आसपास के क्रिश्चियन धर्मालंबियों ने हिस्सा लिया.