जबलपुर: भोपाल में परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के पास मिली बेहिसाब संपत्ति के बाद जबलपुर नगर निगम प्रशासन ने एक ऐसा आदेश जारी किया है जिससे कर्मचारियों और अधिकारियों में हड़कंप है. आदेश के अनुसार सभी अधिकारी व कर्मचारियों को अपनी संपत्ति की जानकारी 31 जनवरी तक सार्वजनिक करनी होगी. ऐसा नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. फिलहाल जबलपुर नगर निगम की वेबसाइट पर किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की संपत्ति की जानकारी नहीं है.
साल 2010 में जारी आदेश का कहीं नहीं हो रहा पालन
गौरतलब है कि 2010 में मध्य प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव प्रदीप खरे ने सभी विभागों को पत्र जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि सरकारी कर्मचारियों को अपनी संपत्ति की जानकारी हर साल में सार्वजनिक करनी होगी. इसके लिए बाकायदा एक फॉर्मेट बनाया गया था. आदेश में कहा गया था कि हर विभाग अपने अधिकारियों की संपत्ति को सार्वजनिक करने के लिए पोर्टल पर अचल संपत्ति की जानकारी दे. पोर्टल पर इसकी बाकायदा लिंक जारी करनी थी. लेकिन सरकारी कर्मचारी अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करना नहीं चाहते. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जबलपुर नगर निगम की अचल संपत्ति की जानकारी की लिंक खुलती ही नहीं है.
जबलपुर नगर निगम की डिप्टी कमिश्नर ने जारी किया आदेश
जबलपुर नगर निगम के लगभग 3500 स्थाई कर्मचारी और अधिकारी हैं. इसके अलावा लगभग इतने ही अस्थाई कर्मचारी हैं जो संविदा पर नगर निगम में नौकरी कर रहे हैं. नगर निगम की स्थापना शाखा की उप आयुक्त रचयिता अवस्थी ने पत्र जारी करके नगर निगम के सभी स्थाई और अस्थाई कर्मचारियों से कहा है "वे अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करें. क्योंकि संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करने का सरकारी नियम है. यदि सरकार के आदेश को कोई कर्मचारी नहीं मान रहा है तो कार्रवाई की जा सकती है."
नौकरी ज्वाइन करने से लेकर हर साल जानकारी देने का नियम
दरअसल, हर कर्मचारी को नौकरी की जॉइनिंग के समय अपनी संपत्ति की जानकारी बतानी होती है. इसके बाद वह नौकरी के दौरान जो पैसा कमाता है, उसके अनुसार जो संपत्ति खरीदता है उसकी जानकारी हर साल अपने विभाग को देनी होती है. यहां तक कि संपत्ति खरीदने के पहले विभाग को जानकारी देनी पड़ती है. लेकिन कई अधिकारी-कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और ये लोग नहीं चाहते कि उनकी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक हो, क्योंकि इनके कई बेनामी संपत्तियों में पैसे लगे होते हैं और यदि इसकी जानकारी सार्वजनिक होती है तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के रास्ते खुल जाते हैं.
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अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए और कड़ा नियम बनाने की पैरवी
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एडवोकेट दीपक रघुवंशी का कहना है "सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों की संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करने का नियम और कड़ा होना चाहिए. संपत्ति की जानकारी न देने वाले अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. इससे भ्रष्टाचार में कमी आएगी."