जबलपुर. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को मतदान होना है. जबलपुर में भी 19 अप्रैल को वोटिंग होगी. यूं तो 19 उम्मीदवारों ने सांसद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया है लेकिन भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही यहां मुख्य मुकाबला है. कांग्रेस की ओर से दिनेश यादव उम्मीदवार बनाए गए हैं तो वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से आशीष दुबे पर बीजेपी ने भरोसा जताया है. पिछले दिनों पीएम मोदी ने यहां रोड शो करते हुए भाजपा प्रत्याशी का प्रचार किया. खास बात यह है कि दोनों ही उम्मीदवार लोकसभा के लिए नए हैं और पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. आइए जानते दोनों प्रमुख प्रत्याशियों के बारे में.
आशीष दुबे (भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी)
आशीष दुबे भारतीय जनता पार्टी के ढाई दशक से सक्रिय कार्यकर्ता हैं. उनका परिवार भी राजनीति से जुड़ा रहा है. आशीष दुबे ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से 2001 में लॉ की पढ़ाई पूरी की थी और तभी से राजनीति में सक्रिय हैं. वे भारतीय जनता पार्टी ग्रामीण के संगठन अध्यक्ष भी रहे हैं. राजनीति के अलाव आशीष दुबे खेती-किसानी भी करते हैं. 54 वर्षीय आशीष दुबे ने अपने एफिडेविट में किसानी को ही अपना पेशा बताया है.
आशीष दुबे के पास इतनी संपत्ति
आशीष दुबे के पास लगभग 35 करोड़ रुपए की संपत्ति और 1.35 करोड़ का कर्ज है. वहीं उनकी पत्नी के पास 450 ग्राम सोना और 11 लाख रु कैश है. उनकी पत्नी और बच्चों के पास 91 एकड़ जमीन है. इसके अलावा उन्होंने रियल एस्टेट और शेयर मार्केट में भी इन्वेस्टमेंट करके रखा हुआ है. उनके एफिडेविड के मुताबिक वे एक रिवॉल्वर भी रखते हैं.
दिनेश यादव (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
दिनेश यादव जबलपुर कांग्रेस के लंबे अरसे से सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं. 59 वर्षीय यादव बीकॉम ग्रेजुएट होने के साथ-साथ एलएलबी की पढ़ाई कर चुके हैं. वे जबलपुर कांग्रेस के 11 साल तक अध्यक्ष रहे हैं. इसके साथ ही वे जबलपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं. इससे पहले दिनेश यादव को जबलपुर नगर निगम के महापौर पद के लिए प्रत्याशी बनाया गया था लेकिन वे चुनाव नहीं जीत पाए और उनके प्रतिद्वंदी बीजेपी के प्रभात साहू ने चुनाव जीता था.
दिनेश यादव के पास इतनी संपत्ति
दिनेश यादव ने अपने एफिडेविट में जो जानकारियां दी हैं उनके अनुसार उनके पास कुल 5 करोड़ 85 लाख रु की संपत्ति है. उनकी पत्नी के पास 10 तोला सोना और 12 लाख रु नगद हैं. इसके अलावा उन्होंने कई तरह के निवेश करने के साथ-साथ कुछ संस्थाओं से लोन भी ले रखे हैं. उनके एफिडेविट के मुताबिक वे एक 32 बोर की पिस्टल भी रखते हैं. दिनेश यादव के पास लगभग 15 एकड़ कृषि योग्य भूमि भी है.
जबलपुर में किसका पलड़ा भारी?
जबलपुर का राजनीतिक समीकरण कुछ इस तरह है कि जबलपुर की 8 में से 7 विधानसभा सीटें भारतीय जनता पार्टी के पास हैं. शहर की कैंट विधानसभा से अशोक रोहाणी, मध्य से अभिलाष पांडे, पश्चिम से राकेश सिंह, पनागर से सुशील इंदु तिवारी, पाटन से अजय विश्नोई, सिहोरा से संतोष बरकड़े और बरगी विधानसभा से नीरज सिंह भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं. केवल एक विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस के विधायक लखन घनघोरिया चुनाव जीत पाए थे. इसलिए विधानसभा क्षेत्र के अनुसार देखें तो लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी का पलड़ा ज्यादा भारी नजर आता है.
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महापौर ने भाजपा ज्वाइन की
इसके साथ ही जबलपुर नगर निगम में जीतकर महापौर बने कांग्रेस के जगत बहादुर सिंह अन्नू भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, जिससे कांग्रेस हर ओर से कमजोर होती नजर आ रही है.
बात करें जातिगत समीकरणों की तो जबलपुर में पंडित व यादव वोटर्स की समी नहीं है. हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा चुनाव जातिगत फैक्टर कम ही प्रभाव डालता है क्योंकि लोग पार्टी विशेष के नाम पर वोट देते हैं. जबलपुर का चुनाव मुख्य रूप से पार्टी के स्तर पर ही हो रहा है भारतीय जनता पार्टी ने मोदी सरकार की गारंटी को प्रचार का माध्यम बनाया है. वहीं कांग्रेस महंगाई और बेरोजगारी जैसे मामलों पर चुनाव लड़ रही है.