जबलपुर। जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड मामले में सरकार ने तत्कालीन सीएमएचओ के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एक इंक्रीमेंट रोका था. इस कार्रवाई की रिपोर्ट हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से हलफनामा के साथ मांगी. मुख्य सचिव की तरफ से हाईकोर्ट में पेश किये गये हलफनामा में कहा गया कि ये सजा पर्याप्त नहीं है. सजा के संबंध में रिव्यू किया जा रहा है. हाईकोर्ट जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पूर्व में कहा था कि सजा पर अंतिम निर्णय हो चुका है. युगलपीठ ने कार्रवाई के लिए समय प्रदान करते हुए अगली सुनवाई 21 मार्च को निर्धारित की है.
नियमों को ताक पर रख दी अस्पताल संचालन की अनुमति
गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में जबलपुर में नियम विरुद्ध तरीके से प्राइवेट अस्पताल को संचालन की अनुमति प्रदान किये जाने को चुनौती दी गयी थी. याचिका में कहा गया था कि नियमों को ताक पर रखकर संचालित न्यू लाइफ अस्पताल में हुए अग्निकांड में आठ व्यक्तियों की मौत हो गयी. आपातकालीन द्वार नहीं होने के कारण लोग बाहर तक नहीं निकल पाये. कोरोना काल में विगत 3 साल में 65 निजी अस्पतालों को संचालन की अनुमति दी गयी है.
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पिछली सुनवाई में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश हुई थी
याचिका में ये भी कहा गया कि जिन अस्पतालों को अनुमति दी गयी है, उनमें नेशनल बिल्डिंग कोड, फायर सिक्योरिटी के नियमों का पालन नहीं किया गया. जमीन के उपयोग का उद्देश्य दूसरा होने के बावजूद अस्पताल संचालन की अनुमति दी गयी. भौतिक सत्यापन भी नहीं किया गया. पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की गयी थी. याचिकाकर्ताओं की तरफ से आपत्ति पेश करते हुए युगलपीठ को बताया गया था कि एक्शन टेकन रिपोर्ट में एफआईआर की वर्तमान स्थिति के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गयी है. इसके अलावा नियम विरुद्ध तरीके से अस्पताल संचालित करने की अनुमति देने वाले कितने अधिकारियों के खिलाफ क्या एक्शन लिया गया, इसकी भी जानकारी नहीं है.