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पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, मानहानि मामले में नहीं मिली राहत

Defamation case Gaurishankar Bisen : पन्ना के केंद्रीय जिला सहकारिता समिति के तत्कालीन अध्यक्ष संजय नगाइच ने साल 2015 में प्रदेश सरकार के तत्कालीन सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था.

Defamation case Gaurishankar Bisen
पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन को हाईकोर्ट से बड़ा झटका
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 19, 2024, 10:41 PM IST

जबलपुर. भाजपा के वरिष्ठ नेता व प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन (Gaurshankar Bisen) को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. एक वर्ग विशेष के व्यक्ति पर जाति सूचक टिप्पणी करने के मामले में पन्ना जिला न्यायालय ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए थे, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट (Highcourt) की शरण ली थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय (District court) के आदेश को सही बताते हुए पूर्व मंत्री की याचिका को खारिज कर दिया है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, पन्ना जिले के केंद्रीय जिला सहकारिता समिति के तत्कालीन अध्यक्ष संजय नगाइच ने साल 2015 में प्रदेश सरकार के तत्कालीन सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन सहित पांच व्यक्तियों के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. आरोप था कि दो सार्वजनिक बैठक में मंत्री गौरीशंकर बिसेन व बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने उनपर जाति सूचक और उनके चरित्र के संबंध में टिप्पणी की थी. इस मामले में सुनवाई के दौरान न्यायालय ने गवाहों के बयान के आधार पर मानहानि का मामला दर्ज करने के निर्देश दिए थे.

मानहानि केस के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे थे बिसेन

मानहानि (Defamation) मामला दर्ज होने के बाद पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. हाईकोर्ट ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए स्थगन आदेश जारी किया था. इसके बाद याचिका की सुनवाई के दौरान बिसेन की ओर से तर्क दिया गया कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण अनावेदक ने परिवाद दायर किया है. अनावेदक को भ्रष्टाचार के आरोप में सात सालों के लिए पद से हटा दिया गया था. सहकारिता मंत्री से उनकी खुन्नस थी, इसलिए बिना किसी तथ्यों के आधार पर परिवाद दायर किया गया था.

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बिसेन को हाईकोर्ट से लगा झटका

हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद पूर्व मंत्री की याचिका को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में जिला न्यायालय के आदेश को उचित ठहराया. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि प्रकरण में मानहानि के पर्याप्त तथ्य उपलब्ध हैं. अनावेदक की ओर से तर्क दिया गया कि पद से हटाए जाने को चुनौती देते हुए उनकी ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. अपील की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया था. अनावेदक की ओर से अधिवक्ता प्रवीण दूबे ने पैरवी की.

जबलपुर. भाजपा के वरिष्ठ नेता व प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन (Gaurshankar Bisen) को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. एक वर्ग विशेष के व्यक्ति पर जाति सूचक टिप्पणी करने के मामले में पन्ना जिला न्यायालय ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए थे, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट (Highcourt) की शरण ली थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय (District court) के आदेश को सही बताते हुए पूर्व मंत्री की याचिका को खारिज कर दिया है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, पन्ना जिले के केंद्रीय जिला सहकारिता समिति के तत्कालीन अध्यक्ष संजय नगाइच ने साल 2015 में प्रदेश सरकार के तत्कालीन सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन सहित पांच व्यक्तियों के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. आरोप था कि दो सार्वजनिक बैठक में मंत्री गौरीशंकर बिसेन व बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने उनपर जाति सूचक और उनके चरित्र के संबंध में टिप्पणी की थी. इस मामले में सुनवाई के दौरान न्यायालय ने गवाहों के बयान के आधार पर मानहानि का मामला दर्ज करने के निर्देश दिए थे.

मानहानि केस के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे थे बिसेन

मानहानि (Defamation) मामला दर्ज होने के बाद पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. हाईकोर्ट ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए स्थगन आदेश जारी किया था. इसके बाद याचिका की सुनवाई के दौरान बिसेन की ओर से तर्क दिया गया कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण अनावेदक ने परिवाद दायर किया है. अनावेदक को भ्रष्टाचार के आरोप में सात सालों के लिए पद से हटा दिया गया था. सहकारिता मंत्री से उनकी खुन्नस थी, इसलिए बिना किसी तथ्यों के आधार पर परिवाद दायर किया गया था.

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