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मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन, जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर - MP HIGH COURT OUT OF TURN PROMOTION

राज्य अधिवक्ता परिषद में सहायक सचिव को कार्यकारी सचिव बनाने का मामला, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की डबल बेंच ने अनावेदकों को जारी किया नोटिस.

STATE ADVOCATE COUNCIL OUT OF TURN PROMOTION case
मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 28, 2024, 10:01 PM IST

जबलपुर: सहायक सचिव की परीक्षा में सिर्फ 5 अंक पाने वाली जूनियर क्लर्क को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर कार्यकारी सचिव बनाने जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया कि जूनियर क्लर्क को नियमों के खिलाफ प्रमोशन दिया गया है. राज्य अधिवक्ता परिषद में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने का कोई प्रावधान नहीं है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

सहायक सचिव की परीक्षा में मिले थे 5 नंबर

राज्य अधिवक्ता परिषद के सदस्य शैलेंद्र वर्मा, अहादुल्ला उसमानी, जय हार्डिया, एनके जैन, अखंड प्रताप सिंह की तरफ से याचिका दायर की गई है. याचिका में बताया गया है कि जूनियर निम्न श्रेणी लिपिक गीता शुक्ला को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया. कार्यकारी सचिव के पद पर पदोन्नत करते हुए उच्च वेतनमान स्वीकृत कर दिया गया. याचिका में कहा गया कि वर्ष 2019 में सहायक सचिव की परीक्षा की मेरिट लिस्ट में गीता को मात्र 5 नंबर मिले थे और वह अनुत्तीर्ण हो गई थी, जबकि अन्य कर्मियों को इनसे ज्यादा अंक प्राप्त हुए थे.

'तत्कालीन अध्यक्ष ने पारित किया मनमाना आदेश'

याचिका में कहा गया है कि तत्कालीन अध्यक्ष विजय चौधरी ने 31 जनवरी 2022 को मनमाना आदेश पारित करते हुए जूनियर निम्न श्रेणी लिपिक गीता शुक्ला को कार्यकारी सचिव के पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी. इस दौरान कार्य में लापरवाही बरतने के कारण वह निलंबित भी थीं.

स्टेट बार कौंसिल के सर्विस रूल्स 7 व 8 के अनुसार किसी भी कर्मचारी को पदोन्नति देने के लिए एग्जीक्यूटिव कमेटी की अनुशंसा जरूरी है. एग्जीक्यूटिव कमेटी की अनुशंसा के बिना जूनियर क्लर्क को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन प्रदान करते हुए 12 सीनियर कर्मचारियों के अधिकारों का हनन किया गया. पर्याप्त योग्यता नहीं होने के बावजूद भी उन्हें नियमों को ताक पर रखकर कार्यकारी सचिव बनाया गया है. उनका वेतन बढ़ाकर 28 हजार रुपये से लगभग 95 हजार रुपये कर दिया गया जो अधिवक्ताओं के हितों का दुरुपयोग है.

युगलपीठ ने दो सप्ताह में मांगा जवाब

याचिकाकर्ता सदस्यों ने इस संबंध में वर्तमान चेयरमैन से शिकायत करते हुए बताया था कि परिषद में आउट ऑफ टर्न का कोई प्रावधान नहीं है. इसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण यह याचिका दायर की गयी है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष राधे लाल गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष विजय चौधरी, कोषाध्यक्ष मनीष तिवारी, पूर्व कोषाध्यक्ष रश्मि जैन तथा कार्यकारी सचिव गीता शुक्ला को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अमानउल्ला उस्मानी ने पैरवी की.

जबलपुर: सहायक सचिव की परीक्षा में सिर्फ 5 अंक पाने वाली जूनियर क्लर्क को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर कार्यकारी सचिव बनाने जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया कि जूनियर क्लर्क को नियमों के खिलाफ प्रमोशन दिया गया है. राज्य अधिवक्ता परिषद में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने का कोई प्रावधान नहीं है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

सहायक सचिव की परीक्षा में मिले थे 5 नंबर

राज्य अधिवक्ता परिषद के सदस्य शैलेंद्र वर्मा, अहादुल्ला उसमानी, जय हार्डिया, एनके जैन, अखंड प्रताप सिंह की तरफ से याचिका दायर की गई है. याचिका में बताया गया है कि जूनियर निम्न श्रेणी लिपिक गीता शुक्ला को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया. कार्यकारी सचिव के पद पर पदोन्नत करते हुए उच्च वेतनमान स्वीकृत कर दिया गया. याचिका में कहा गया कि वर्ष 2019 में सहायक सचिव की परीक्षा की मेरिट लिस्ट में गीता को मात्र 5 नंबर मिले थे और वह अनुत्तीर्ण हो गई थी, जबकि अन्य कर्मियों को इनसे ज्यादा अंक प्राप्त हुए थे.

'तत्कालीन अध्यक्ष ने पारित किया मनमाना आदेश'

याचिका में कहा गया है कि तत्कालीन अध्यक्ष विजय चौधरी ने 31 जनवरी 2022 को मनमाना आदेश पारित करते हुए जूनियर निम्न श्रेणी लिपिक गीता शुक्ला को कार्यकारी सचिव के पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी. इस दौरान कार्य में लापरवाही बरतने के कारण वह निलंबित भी थीं.

स्टेट बार कौंसिल के सर्विस रूल्स 7 व 8 के अनुसार किसी भी कर्मचारी को पदोन्नति देने के लिए एग्जीक्यूटिव कमेटी की अनुशंसा जरूरी है. एग्जीक्यूटिव कमेटी की अनुशंसा के बिना जूनियर क्लर्क को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन प्रदान करते हुए 12 सीनियर कर्मचारियों के अधिकारों का हनन किया गया. पर्याप्त योग्यता नहीं होने के बावजूद भी उन्हें नियमों को ताक पर रखकर कार्यकारी सचिव बनाया गया है. उनका वेतन बढ़ाकर 28 हजार रुपये से लगभग 95 हजार रुपये कर दिया गया जो अधिवक्ताओं के हितों का दुरुपयोग है.

युगलपीठ ने दो सप्ताह में मांगा जवाब

याचिकाकर्ता सदस्यों ने इस संबंध में वर्तमान चेयरमैन से शिकायत करते हुए बताया था कि परिषद में आउट ऑफ टर्न का कोई प्रावधान नहीं है. इसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण यह याचिका दायर की गयी है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष राधे लाल गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष विजय चौधरी, कोषाध्यक्ष मनीष तिवारी, पूर्व कोषाध्यक्ष रश्मि जैन तथा कार्यकारी सचिव गीता शुक्ला को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अमानउल्ला उस्मानी ने पैरवी की.

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