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मेडिकल कॉलेज के एनआरआई कोटे को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई, कोर्ट ने की ये टिप्पणी

मध्य प्रदेश प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के एनआरआई कोटे की सीटें सिर्फ 8 ब्रांच को की गई आवंटित, हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

MP MEDICAL COLLEGE NRI QUOTA
जबलपुर हाईकोर्ट (फाइल फोटो) (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

जबलपुर: प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के 15 प्रतिशत एनआरआई कोटे की सीट सिर्फ 8 ब्रांच को आवंटित किए जाने की सुनवाई हाईकोर्ट में हुई. रविवार को अवकाश होने के बावजूद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ व जस्टिस विशाल धगट की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई की, लेकिन उन्होंने इस सुनवाई को जनहित याचिका के रूप में करने से इंकार कर दिया.

अधिवक्ता ने दायर की थी जनहित याचिका

दरअसल, अधिवक्ता विशाल बघेल की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया था कि नीट ने एनआरआई की मेरिट लिस्ट तैयार की थी. प्रदेश के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एनआरआई कोटे के तहत 15 प्रतिशत सीट प्रदान की जाती है. मेडिकल कॉलेज में 22 ब्रांच हैं, लेकिन प्रदेश सरकार ने एनआरआई कोटे की सीटों को सिर्फ 8 ब्रांच में आवंटित किया है, जिस ब्रांच में एनआरआई कोटे की सीट आवंटित की गई है, उनकी मांग अधिक है.

प्रदेश सरकार की प्रक्रिया को बताया गया अवैधानिक

याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि निर्धारित ब्रांच में एनआरआई कोटे की सीट अधिक आवंटित किए जाने के कारण मेरिटोरियस छात्रों का हक प्रभावित होगा. क्योंकि सीटों की संख्या कम हो जाएगी. एनआरआई कोटे की सीट सभी ब्रांचों में आवंटित की जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. प्रदेश सरकार द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया पूरी तरह से अवैधानिक है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा, ''प्रोफेशनल कोर्स होने के कारण मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में नहीं हो सकती है. याचिकाकर्ता का कोई हित प्रभावित नहीं हो रहा है.'' युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया है.

युगलपीठ ने इस मामले में सुनवाई की, लेकिन जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई करने से मना कर दिया. कोर्ट ने अपने अदेश में कहा कि अगर इस मामले से प्रभावित हो रहे व्यक्ति (छात्र) याचिका दायर करेंगे तो हम जरूर इस पर विचार करेंगे. क्योंकि याचिकाकर्ता का कोई हित प्रभावित नहीं हो रहा है.

जबलपुर: प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के 15 प्रतिशत एनआरआई कोटे की सीट सिर्फ 8 ब्रांच को आवंटित किए जाने की सुनवाई हाईकोर्ट में हुई. रविवार को अवकाश होने के बावजूद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ व जस्टिस विशाल धगट की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई की, लेकिन उन्होंने इस सुनवाई को जनहित याचिका के रूप में करने से इंकार कर दिया.

अधिवक्ता ने दायर की थी जनहित याचिका

दरअसल, अधिवक्ता विशाल बघेल की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया था कि नीट ने एनआरआई की मेरिट लिस्ट तैयार की थी. प्रदेश के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एनआरआई कोटे के तहत 15 प्रतिशत सीट प्रदान की जाती है. मेडिकल कॉलेज में 22 ब्रांच हैं, लेकिन प्रदेश सरकार ने एनआरआई कोटे की सीटों को सिर्फ 8 ब्रांच में आवंटित किया है, जिस ब्रांच में एनआरआई कोटे की सीट आवंटित की गई है, उनकी मांग अधिक है.

प्रदेश सरकार की प्रक्रिया को बताया गया अवैधानिक

याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि निर्धारित ब्रांच में एनआरआई कोटे की सीट अधिक आवंटित किए जाने के कारण मेरिटोरियस छात्रों का हक प्रभावित होगा. क्योंकि सीटों की संख्या कम हो जाएगी. एनआरआई कोटे की सीट सभी ब्रांचों में आवंटित की जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. प्रदेश सरकार द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया पूरी तरह से अवैधानिक है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा, ''प्रोफेशनल कोर्स होने के कारण मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में नहीं हो सकती है. याचिकाकर्ता का कोई हित प्रभावित नहीं हो रहा है.'' युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया है.

युगलपीठ ने इस मामले में सुनवाई की, लेकिन जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई करने से मना कर दिया. कोर्ट ने अपने अदेश में कहा कि अगर इस मामले से प्रभावित हो रहे व्यक्ति (छात्र) याचिका दायर करेंगे तो हम जरूर इस पर विचार करेंगे. क्योंकि याचिकाकर्ता का कोई हित प्रभावित नहीं हो रहा है.

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