जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर में फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के मामले की सुनवाई जारी है. इस दौरान सरकार ने मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी से नर्सिंग व पैरामेडिकल कोर्स हटाने के खिलाफ आवेदन पेश किया. सरकार ने इस मामले में जवाब पेश करने के लिए समय मांगा. हाईकोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी तथा जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने 4 सप्ताह का समय दिया. सरकार ने इसके साथ ही इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC) की तरफ से पूर्व में पेश किये गए जवाब के संबंध में हलफनामा के लिए भी समय देने का आग्रह किया.
मध्यप्रदेश की दो यूनिवर्सिटी ने मान्यता देने की मांग उठाई
गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में प्रदेश में संचालित नर्सिंग कॉलेजों को चुनौती दी गयी. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई जांच में नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश व मान्यता में हुई गंभीर अनियमितताओं को उजागर किया गया. पीपुल्स यूनिवर्सिटी भोपाल और अरविन्दो मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से भी सत्र 2023-24 की मान्यता देने के लिए याचिका दायर की गयी थी. इस याचिका में कहा गया था कि कोर्ट में लंबित प्रकरण एवं सीबीआई जांच के कारण सरकार ने 2023-24 की मान्यता नहीं दी है. इससे निजी विश्वविद्यालय को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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नर्सिंग कॉलेजों ने की नामांकन के लिए पोर्टल खोले जाने की मांग
याचिका की सुनवाई के दौरान इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC) की तरफ से शपथ-पत्र प्रस्तुत कर युगलपीठ को बताया गया कि सत्र 2023-24 की मान्यता एवं प्रवेश हेतु कट-ऑफ-डेट अब निकल चुकी है. सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा गया था कि सत्र 2024-25 की मान्यता प्रक्रिया शुरू होने के कारण अब पिछले सत्र की मान्यता एवं प्रवेश हेतु घोषित की गई कटऑफ डेट नहीं बढ़ाई जा सकती. नर्सिंग कॉलेजों द्वारा नामांकन के लिए पोर्टल खोले जाने की मांग को युगलपीठ ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि परीक्षा प्रारंभ होने वाली है. परीक्षा में किसी प्रकार का व्यावधान पैदा नहीं कर सकते.