जबलपुर : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य व जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को अपने पदों पर बने रहने के आदेश जारी किये थे. इसके बाद भी राज्य सरकार द्वारा राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष के सरकारी आवास खाली करने का नोटिस चस्पा करना, सरकारी गाडी, ड्रायवर सहित अन्य कर्मचारियों को वापस बुलाने के साथ ही कार्यालय में नहीं घुसने दिया गया. इस बारे में हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गयी. अब हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर सोमवार 9 दिसंबर को सुनवाई निर्धारित की है.
अन्य राज्यों के आयोगों का हवाला दिया
मामले के अनुसार रोहित दुबे की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में याचिका विचाराधीन है. इसी बीच प्रदेश के फोरम और जिलो में गठित आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है या फिर होने वाला है. आयोग का कोरम पूरा नहीं होने से उपभोक्ताओं को परेशानी होती है. उनके मामलों की सुनवाई प्रभावित होती है. याचिकाकर्ता की तरफ तर्क दिया गया कि बिहार, केरल, उत्तर प्रदेश में भी राज्य व जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों का कार्यकाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका को देखते हुए अंतरिम रूप से बढ़ा दिया गया है.
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अवमानना याचिका में हाईकोर्ट के समक्ष ये तर्क पेश किए
याचिका में कहा गया कि आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया तो सरकार चाहकर भी नई नियुक्ति नहीं कर पाएगी. ऐसे में नए प्रकरण दायर होते चले जाएंगे और पुराने प्रकरणों की सुनवाई भी नहीं हो पाएगी. याचिका की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा ने अवमानना याचिका दायर करते हुए ये जानकारी युगलपीठ के समक्ष रखी. उन्होंने बताया कि राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष अशोक कुमार तिवारी ने व्यक्तिगत रूप से सरकार की मनमानी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए उनके खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. युगलपीठ ने दोनों याचिकाओं की सुनवाई संयुक्त रूप से करने के आदेश जारी किये हैं.