ETV Bharat / state

जबलपुर का आधा मंदिर-आधी मस्जिद, एक ही जगह जहां हिंदू-मुसलमान एकसाथ सिर झुकाते हैं - Half mandir Half Masjid

मोहर्रम पर जहां मुस्लिम धर्म को मानने वाले हुसैन को याद कर रहे हैं तो वहीं जबलपुर का एक मंदिर ऐसा भी है जहां बाकायदा ताजिया रखा जाता है. इतना ही नहीं बल्कि यहां ताजिया रखने के साथ-साथ हजरत इमाम हुसैन को याद किया जाता है और यह सिलसिला कई सालों से चला रहा है.

JABALPUR MANDIR MASJID
जबलपुर का आधा मंदिर-आधी मस्जिद (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 17, 2024, 7:06 PM IST

जबलपुर : शहर के रानीताल चौक पर ये अजब-गजब नजारा देखने को मिलता है. इस मंदिर में हिंदू देवी देवताओं की भी मूर्तियां हैं और बाकायदा हिंदू देवी देवताओं की पूजा भी होती है. इस मंदिर के संचालक पाठक परिवार के लोगों का कहना है कि उनके बुजुर्ग प्यारेलाल दादा दोनों ही धर्म मानते थे इसलिए उन्हें जितना इंतजार होली दिवाली का रहता था उतना मुस्लिम त्योहारों का भी रहता था.

एक ही जगह जहां हिंदू-मुसलमान एकसाथ सिर झुकाते हैं (Etv Bharat)

आधे मंदिर-आधी मस्जिद की कहानी

बीते कुछ दिनों से हिंदू और मुसलमानों के बीच में एक बड़ी लकीर खिचती दिखाई दे रही है और कौमी एकता जैसी बातें धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही हैं. इसके उलट जबलपुर के रानीताल चौक पर आपको एक अजब नजारा देखने को मिलेगा, जहां एक ही जगह पर आपको मंदिर और मस्जिद दोनों ही नजर आ जाएंगे. इसे प्यारेलाल बाबा का मंदिर कहां जाता है. प्यारेलाल पाठक हिंदू और मुसलमान दोनों धर्म को मानते थे. उन्होंने एक ही जगह पर हनुमान जी, दुर्गा जी और मुस्लिम पूजा स्थल बनाया था. उसके बाद से मोहर्रम पर यहां ताजिया भी रखा जाता है. गौरतलब है कि ताजिया हजरत इमाम हुसैन के मकबरे का प्रतीक माना जाता है.

Half mandir Half Masjid
प्यारेलाल बाबा का मंदिर (Etv Bharat)

मन्नतें होती थीं पूरी

प्यारेलाल बाबा तो अब नहीं रहे, बीते दिनों उनका इंतकाल हो गया लेकिन उनके लड़के मुकेश पाठक इस परंपरा को जारी रखे हुए हैं. इस बार भी उन्होंने ताजिया रखा है और वह इसे ठंडा करने भी जाएंगे. मुकेश पाठक कहते हैं, '' जब प्यारे लाल बाबा थे तब इस मंदिर के सामने एक अलाव जलाया जाता था और लोग यहां मन्नत मांगने आते थे. इस जगह की लोगों पर ऐसी कृपा थी कि जलते अंगारों में लोग निकल जाते थे लेकिन उन्हें जरा सा भी एहसास नहीं होता था.

Unique mandir of Jabalpur
मंदिर में पीछे दिखती मस्जिद, सामने दुर्ग मां की प्रतिमा (Etv Bharat)

Read more -

विदिशा का 1 हजार साल का 1 किमी लंबा, 300 फीट ऊंचा विजय मंदिर, संसद और राम मंदिर भी फीके

हालांकि. अब यहां इस तरह के आयोजन नहीं किए जाते लेकिन इसके बाद भी हिंदू-मुस्लिम, यहां तक की जैन समुदाय के लोग भी यहां आते हैं. मुकेश पाठक का कहना है कि उन्होंने कभी ऐसा महसूस नहीं किया कि हिंदू मुस्लिम के बीच में जो दरार खड़ी हुई है उसका यहां कोई असर हुआ हो.

जबलपुर : शहर के रानीताल चौक पर ये अजब-गजब नजारा देखने को मिलता है. इस मंदिर में हिंदू देवी देवताओं की भी मूर्तियां हैं और बाकायदा हिंदू देवी देवताओं की पूजा भी होती है. इस मंदिर के संचालक पाठक परिवार के लोगों का कहना है कि उनके बुजुर्ग प्यारेलाल दादा दोनों ही धर्म मानते थे इसलिए उन्हें जितना इंतजार होली दिवाली का रहता था उतना मुस्लिम त्योहारों का भी रहता था.

एक ही जगह जहां हिंदू-मुसलमान एकसाथ सिर झुकाते हैं (Etv Bharat)

आधे मंदिर-आधी मस्जिद की कहानी

बीते कुछ दिनों से हिंदू और मुसलमानों के बीच में एक बड़ी लकीर खिचती दिखाई दे रही है और कौमी एकता जैसी बातें धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही हैं. इसके उलट जबलपुर के रानीताल चौक पर आपको एक अजब नजारा देखने को मिलेगा, जहां एक ही जगह पर आपको मंदिर और मस्जिद दोनों ही नजर आ जाएंगे. इसे प्यारेलाल बाबा का मंदिर कहां जाता है. प्यारेलाल पाठक हिंदू और मुसलमान दोनों धर्म को मानते थे. उन्होंने एक ही जगह पर हनुमान जी, दुर्गा जी और मुस्लिम पूजा स्थल बनाया था. उसके बाद से मोहर्रम पर यहां ताजिया भी रखा जाता है. गौरतलब है कि ताजिया हजरत इमाम हुसैन के मकबरे का प्रतीक माना जाता है.

Half mandir Half Masjid
प्यारेलाल बाबा का मंदिर (Etv Bharat)

मन्नतें होती थीं पूरी

प्यारेलाल बाबा तो अब नहीं रहे, बीते दिनों उनका इंतकाल हो गया लेकिन उनके लड़के मुकेश पाठक इस परंपरा को जारी रखे हुए हैं. इस बार भी उन्होंने ताजिया रखा है और वह इसे ठंडा करने भी जाएंगे. मुकेश पाठक कहते हैं, '' जब प्यारे लाल बाबा थे तब इस मंदिर के सामने एक अलाव जलाया जाता था और लोग यहां मन्नत मांगने आते थे. इस जगह की लोगों पर ऐसी कृपा थी कि जलते अंगारों में लोग निकल जाते थे लेकिन उन्हें जरा सा भी एहसास नहीं होता था.

Unique mandir of Jabalpur
मंदिर में पीछे दिखती मस्जिद, सामने दुर्ग मां की प्रतिमा (Etv Bharat)

Read more -

विदिशा का 1 हजार साल का 1 किमी लंबा, 300 फीट ऊंचा विजय मंदिर, संसद और राम मंदिर भी फीके

हालांकि. अब यहां इस तरह के आयोजन नहीं किए जाते लेकिन इसके बाद भी हिंदू-मुस्लिम, यहां तक की जैन समुदाय के लोग भी यहां आते हैं. मुकेश पाठक का कहना है कि उन्होंने कभी ऐसा महसूस नहीं किया कि हिंदू मुस्लिम के बीच में जो दरार खड़ी हुई है उसका यहां कोई असर हुआ हो.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.