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ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर फिर बवाल, जबलपुर में कर्मचारी संगठनों ने सरकार के दिया अल्टीमेटम - Protest for Old Pesnion Scheme

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

ओल्ड पेंशन स्कीम का मामला फिर तूल पकड़ने लगा है. ओपीएस को पुन: लागू करने की मांग को लेकर एक बार फिर कर्मचारी संगठन आंदोलन की राह पर हैं. कर्मचारी संगठनों का कहना कि सरकार नहीं मानी तो एक दिन का भारत बंद करेंगे. जबलपुर में कर्मचारी संगठनों ने प्रदर्शन करते हुए चेतावनी दी है.

PROTEST FOR OLD PESNION SCHEME
ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर फिर बवाल (Etv Bharat)

जबलपुर : बुधवार को शहर में विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर प्रदर्शन किया. इसमें रेलवे, डाक विभाग, भू सर्वेक्षण विभाग, सीपीडब्ल्यूडी जैसे केंद्र सरकार की कई संस्थाओं के कर्मचारी शामिल रहे. इस दौरान कर्मचारी नेता एसएन पाठक ने कहा, '' हम नई पेंशन स्कीम के तो खिलाफ थे ही, सरकार की यूपीएस के खिलाफ भी हैं. हमें केवल ओल्ड पेंशन स्कीम ही चाहिए. यदि सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम नहीं देगी तो उसका सड़क पर भी विरोध किया जाएगा और चुनाव में भी सरकारी कर्मचारी इसका विरोध वोट के जरिए करेंगे.''

देखें वीडियो (Etv Bharat)

यूपीएस पेंशन स्कीम क्या है?

यूपीएस का फुल फॉर्म है यूनिफाइड पेंशन स्‍कीम. सरकार की इस योजना के तहत कर्मचारी के रिटायरमेंट पर उसकी बेसिक सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में दिया जाएगा. अगर सेवा 10 साल या उससे कम समय है तो कर्मचारी को रिटायरमेंट के दौरान उसके कार्यकाल के अनुरूप और कम से कम 10 हजार रु महीने की निश्चित पेंशन दी जाएगी. वहीं पूरा लाभ लेने के लिए रिटायरमेंट के पहले 25 साल की नौकरी होना जरूरी है. इस योजना में सरकार और कर्मचारी दोनों का पेंशन में योगदान होगा. सरकार यूपीएस में एनपीएस से 4.5 प्रतिशत ज्यादा यानी 18.5 प्रतिशत का योगदान देने की बात कर रही है पर कर्मचारी अभी भी ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग कर रहे हैं. दरअसल, ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी को रिटायरमेंट पर एकमुश्त भारी भरकम राशि दी जाती थी.

Protest for OPS  Jabalpur
जबलपुर में ओपीएस को लेकर आंदोलन (Etv Bharat)

यूपीएस से जुड़ी अन्य खबरें -

यूपीएस ओपीएस से बेहतर?

जानकार बताते हैं कि कई मायनो में यूपीएस स्कीम ओल्ड पेंशन स्कीम से बेहतर है. लंबे समय से सरकारी कर्मचारी संगठन ओल्ड पेंशन स्कीम बंद किए जाने से एक निश्चित पेंशन की मांग कर रहे थे. इस विकल्प के तौर पर एनपीएस स्कीम भी थी पर कर्मचारियों का मानना है कि एनपीएस में पेंशन की राशि कम, अपर्याप्त और तय नहीं होती है. ऐसे में यूपीएस से प्रदेश के कर्मचारियों को बड़ी राहत मिल सकती है. सरकार के ऊपर यूपीएस लागू करने से भी अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा, इसके बावजूद सरकार कर्मचारियों के हित में इसे लागू कर रही है.

जबलपुर : बुधवार को शहर में विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर प्रदर्शन किया. इसमें रेलवे, डाक विभाग, भू सर्वेक्षण विभाग, सीपीडब्ल्यूडी जैसे केंद्र सरकार की कई संस्थाओं के कर्मचारी शामिल रहे. इस दौरान कर्मचारी नेता एसएन पाठक ने कहा, '' हम नई पेंशन स्कीम के तो खिलाफ थे ही, सरकार की यूपीएस के खिलाफ भी हैं. हमें केवल ओल्ड पेंशन स्कीम ही चाहिए. यदि सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम नहीं देगी तो उसका सड़क पर भी विरोध किया जाएगा और चुनाव में भी सरकारी कर्मचारी इसका विरोध वोट के जरिए करेंगे.''

देखें वीडियो (Etv Bharat)

यूपीएस पेंशन स्कीम क्या है?

यूपीएस का फुल फॉर्म है यूनिफाइड पेंशन स्‍कीम. सरकार की इस योजना के तहत कर्मचारी के रिटायरमेंट पर उसकी बेसिक सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में दिया जाएगा. अगर सेवा 10 साल या उससे कम समय है तो कर्मचारी को रिटायरमेंट के दौरान उसके कार्यकाल के अनुरूप और कम से कम 10 हजार रु महीने की निश्चित पेंशन दी जाएगी. वहीं पूरा लाभ लेने के लिए रिटायरमेंट के पहले 25 साल की नौकरी होना जरूरी है. इस योजना में सरकार और कर्मचारी दोनों का पेंशन में योगदान होगा. सरकार यूपीएस में एनपीएस से 4.5 प्रतिशत ज्यादा यानी 18.5 प्रतिशत का योगदान देने की बात कर रही है पर कर्मचारी अभी भी ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग कर रहे हैं. दरअसल, ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी को रिटायरमेंट पर एकमुश्त भारी भरकम राशि दी जाती थी.

Protest for OPS  Jabalpur
जबलपुर में ओपीएस को लेकर आंदोलन (Etv Bharat)

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यूपीएस ओपीएस से बेहतर?

जानकार बताते हैं कि कई मायनो में यूपीएस स्कीम ओल्ड पेंशन स्कीम से बेहतर है. लंबे समय से सरकारी कर्मचारी संगठन ओल्ड पेंशन स्कीम बंद किए जाने से एक निश्चित पेंशन की मांग कर रहे थे. इस विकल्प के तौर पर एनपीएस स्कीम भी थी पर कर्मचारियों का मानना है कि एनपीएस में पेंशन की राशि कम, अपर्याप्त और तय नहीं होती है. ऐसे में यूपीएस से प्रदेश के कर्मचारियों को बड़ी राहत मिल सकती है. सरकार के ऊपर यूपीएस लागू करने से भी अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा, इसके बावजूद सरकार कर्मचारियों के हित में इसे लागू कर रही है.

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