जबलपुर. लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां प्रचार-प्रसार में जुटी हुई हैं. मतदाताओं से बड़े-बड़े वादे किए जा रहे हैं. मध्यप्रदेश के जबलपुर से जीतने वाले प्रत्याशी से क्षेत्र के नव मतदाताओं को बड़ी उम्मीदें है. जबलपुर का फर्स्ट टाइम वोटर जबलपुर में रोजगार के अवसर चाहता है. वह चाहता है कि सरकार देश के सभी क्षेत्रों में एक सा विकास करे. नए मतदाताओं का कहना है कि हमें रोजगार स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए जबलपुर ना छोड़ना पड़े सरकार को ऐसी व्यवस्थाएं करनी चाहिए.
रोजगार के लिए कब तक करें पलायन?
जबलपुर के एक निजी कॉलेज में इंजीनियरिंग की छात्रा आयुषी सोनी का कहना है कि पहली बार वोट करने जा रही हैं लेकिन उनके दिमाग में यह बात चल रही है कि रोजगार के नजरिये से जबलपुर भारत में बहुत पीछे रह गया है. पढ़-लिख कर युवाओं को इंदौर, बेंगलुरु, चंडीगढ़ या पुणे जाना पड़ता है. जबलपुर में कॉलेज तो खूब खुल गए, लेकिन उनमें क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिल रही है, जबकि छात्र एजुकेशन लोन लेकर पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में पढ़ाई खत्म होने के बाद परिवार को बड़ी मायूसी हाथ लगती है. इसलिए जबलपुर से चुनने वाले जनप्रतिनिधि को जबलपुर में ही रोजगार के लिए प्रयास करने चाहिए.
विकास के मामले में सौतेले व्यवहार क्यों?
इसी तरह श्रेया का कहना है कि वह पहली बार वोट करेंगी. सरकार शहरों के विकास में भेदभाव कर रही है. देश के कुछ इलाके तो बहुत विकसित हो रहे हैं. वहीं उनका इलाका विकसित नहीं हो पा रहा है. इसकी वजह से उन्हें अपनी घर छोड़कर दूसरे इलाकों में नौकरी करने जाना पड़ता है. सरकार को उन इलाकों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए जो पहले से कमजोर हैं ना कि उन पर जो पहले से विकसित हैं.
इलाज करवाने हम बाहर क्यों जाएं?
एक और फर्स्ट टाइम वोटर अभिनव ने बताया कि नेता ऐसा होना चाहिए जो जनता की बात को समझे ना कि अपनी बात जनता पर थोपे. अभिनव का कहना है कि जबलपुर में अभी भी स्वास्थ्य की सुविधा बहुत अच्छी नहीं है और लोगों को जबलपुर से नागपुर, हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली इलाज के लिए जाना पड़ता है, इसलिए सरकार को चाहिए कि जबलपुर में भी स्वास्थ्य की सुविधा राष्ट्रीय स्तर की विकसित हो, इसका फायदा न केवल जबलपुर बल्कि जबलपुर के आसपास के लोगों को भी होगा.
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जबलपुर की रक्षा मंत्रालय की फैक्ट्री में एक जमाने में एक लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते थे और यह कर्मचारी देश भर से जबलपुर आए और सबको रोजगार मिला, लेकिन जबलपुर का नेतृत्व इतना सक्षम नहीं था कि उसने जबलपुर में रोजगार के अवसरों को जिंदा रखा हो. आज जबलपुर का युवा जबलपुर से बाहर रोजगार करने जा रहा है. फैक्ट्री में धीरे-धीरे कर्मचारी कम हो गए हैं और निजी निवेश जबलपुर में ना के बराबर है. आज का युवा ऐसे नेता चाहता है जो उन्हें रोजगार दे सके. जबलपुर जिले में पहले चरण में यानी 19 अप्रैल को मतदान होगा और मतगणना 04 जून को होगी.