जबलपुर। चारागाह के लिए आरक्षित वन भूमि से अतिक्रमण नहीं हटाये जाने के मामले को चुनौती देते हुए जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि तहसीलदार ने अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी किये थे, परंतु अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस राज मोहन सिंह की एकलपीठ ने आवेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
चारागाह के लिए आरक्षित जमीन पर अतिक्रमण
याचिकाकर्ता गणेश साहू की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि नरसिंहपुर जिले के ग्राम उमरिया में 557 एकड़ जमीन गाय तथा अन्य वन्य प्राणियों के चारागाह के लिए आरक्षित है. वह जमीन सरकारी अभिलेख में वन विभाग के नाम पर दर्ज है. दो नदियों के बीच में स्थित उस जमीन पर वन प्राणी भी चरने के लिए आते हैं. चारागाह की जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया है, जिसके खिलाफ तहसीलदार के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया था. तहसीलदार ने अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी किये थे. लेकिन जिम्मेदारों ने आदेश को नजर अंदाज कर दिया.
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जिम्मेदारों ने नहीं की कोई कार्रवाई
याचिका में कहा गया है कि तहसीलदार द्वारा पारित आदेश के बावजूद भी चारागाह की जमीन को अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गयी है. याचिका में राज्य सरकार, कलेक्टर, एसडीएस, पुलिस अधीक्षक तथा तहसीलदार को अनावेदक बनाया गया था. याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता राम वचन साहू ने पैरवी की.