जबलपुर: कांग्रेस नेता संजय यादव ने मध्य प्रदेश सरकार पर घोटाले का आरोप लगाया है. उन्होंने जबलपुर के बरगी विधानसभा क्षेत्र में बनाए जा रहे डैम में अनियमितता की बात कही है. उनका आरोप है कि बरगी क्षेत्र की सिंचाई परियोजना पहले 568 करोड़ की थी लेकिन अब 890 करोड़ रुपये खर्च किया जा रहा है. वहीं, स्थानीय आदिवासियों का कहना है कि यहां कोई बांध बनाने आया तो उसको खदेड़ दिया जाएगा.
जबलपुर में बनाया जाना है डैम
जबलपुर के बरगी विधानसभा से पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता संजय यादव ने प्रेस कांफ्रेंस करके बरगी में बनाए जा रहे डैम को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि "बड़ा देव संयुक्त माइक्रो सिंचाई परियोजना के नाम से लगभग 890 करोड़ रुपए के टेंडर जारी किए गए हैं. इसमें दावा किया जा रहा है कि समीर और तेरियां नालों पर दो डैम बनाए जाएंगे. जिसे लगभग 31500 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी. इस परियोजना में 17 गांव और 140 हेक्टेयर वन भूमि आ रही है. इसके लिए इन गांवों के लोगों को विस्थापित करना होगा."
पहले इस परियोजना की लागत 568 करोड़ थी
संजय यादव का आरोप है कि "यही परियोजना उनके विधायक रहते हुए बनाई गई थी, जिसे नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के माध्यम से पूरा किया जाना था. उस समय इसकी लागत मात्र 568 करोड़ रुपये थी. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने लगभग 28000 हेक्टेयर जमीन को सिंचित करने के लिए लिफ्ट इरीगेशन की योजना बनाई थी, इसमें बांध नहीं बनाया जाना था. ना ही किसी को विस्थापित किया जाना था."
परियोजना की लागत बढ़कर 890 करोड़
पूर्व कांग्रेसी विधायक ने कहा, "वर्तमान में यह योजना मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग के माध्यम से पूरी होगी और 568 करोड़ रुपए से जो परियोजना पूरी होने वाली थी उसमें 890 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं. आदिवासियों को विस्थापित किया जा रहा है. आखिर क्यों सरकार लगभग 300 करोड़ रुपया ज्यादा खर्च कर रही है. क्या इस मामले में कोई घोटाला है. यदि इस योजना को रद्द नहीं किया गया तो जबलपुर के इस इलाके के आदिवासी विधानसभा का घेराव करेंगे."
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आदिवासियों ने भी जताया विरोध
जिला पंचायत की सदस्य मुन्नी बाई उईके का कहना है, "यदि उनके गांव में कोई भी बांध बनाने वाले आएगा तो उसे खदेड़ दिया जाएगा." आदिवासियों को कहना है कि वे पहले ही बरगी बांध से विस्थापित हैं और उन्हें इन गांवों में बसाया गया है. एक बार फिर नए बांध के चक्कर में उन्हें उजाड़ा जा रहा है, दूसरी बार विस्थापित नहीं होंगे. इस बांध परियोजना में जबलपुर के अलावा सिवनी जिले के भी कुछ गांव डूब क्षेत्र में आ रहे हैं. इसलिए लखनादौन से जनपद पंचायत सदस्य भी बांध के विरोध में जबलपुर आए थे. इन लोगों का कहना है कि यदि यह दोनों बांध बनाए गए तो आदिवासी बड़े पैमाने पर इसका विरोध करेंगे.