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कुदरती झूमर से सज गई सड़कें, तपती गर्मी में ही खिलता है 'अमलतास' का पेड़, फूल से डायबिटीज का जड़ से खात्मा - amaltas Golden Shower Tree - AMALTAS GOLDEN SHOWER TREE

गर्मियों के मौसम में आपने अमलतास का पेड़ जगह-जगह देखा होगा. तपती गर्मी में ही इस पेड़ में फल और फूल आते हैं. पूरा पेड़ पीले कलर के फूलों से लद जाता है. इसलिए इसे गोल्डन शावर के नाम से भी जाना जाता है. अमलतास का पेड़ गुणों की खान माना जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, अमलतास का पेड़ त्वचा और कब्ज रोग की दवा है.

AMALTAS TREE BLOOMS IN SUMMER
अमलतास के पेड़ में गर्मी में ही आते हैं फूल
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 27, 2024, 5:13 PM IST

जबलपुर। गर्मी के मौसम में जब ज्यादातर फूलों के पौधे मुरझा जाते हैं और पेड़ पत्तियां तक छोड़ देते हैं. ऐसे मौसम में अमलतास अपनी पूरी जवानी पर होता है. इसके पीले शानदार फूलों की वजह से इसे अंग्रेजी में 'गोल्डन शावर' के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खास बात यह है कि यह मार्च से जुलाई के महीने तक ही इसमें फुल पाए जाते हैं. आयुर्वेद में भी इस पेड़ के पत्तियों और बीजों का उपयोग बताया गया है. यह कुछ रोगों के लिए सटीक दवा है, शहरी इलाकों में अमलतास का उपयोग सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जा रहा है और कई शहरी बगीचों में इसे देखा जा सकता है.

AMALTAS TREE BLOOMS IN SUMMER
अमलतास के पेड़ में गर्मी में ही आते हैं फूल

अमलतास का वर्णन आयुर्वेद के ग्रंथों में

चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और वाग्भट अष्टांग हृदय तीन महत्वपूर्ण पुस्तक हैं, जिनमें भारतीय आयुर्वेद का बहुत सारा विवरण है. इन्हीं में अमलतास के बारे में भी विस्तार से लिखा हुआ है. हालांकि इन पुस्तकों में यह विवरण अमलतास के संस्कृत नाम पर है. संस्कृत में अमलतास को 'अरगवध' के नाम से जाना जाता है.

किन बीमारियों पर काम करता है अमलतास

आयुर्वेद की इन पुस्तकों के अनुसार, अमलतास की पत्तियां त्वचा रोगों में काम आती हैं. त्वचा पर होने वाले फोड़े-फुंसी को रोकने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है. अमलतास की पेड़ की छाल भी आयुर्वेदिक उपयोग में आती है. वहीं, अमलतास का उपयोग कब्ज खत्म करने की सटीक दवाई है. डायबिटीज के मरीज के लिए अमलतास किसी वरदान से कम नहीं है, इसमें एंटी डायबिटीज के गुण पाए जाते हैं, जो शुगर कंट्रोल करने में मदद करते हैं. हालांकि इनका उपयोग डॉक्टरों की देख-देख में ही करना चाहिए और जिन लोगों को डायरिया की समस्या है उन्हें अमलतास का उपयोग नहीं करना चाहिए. आयुर्वेद के अनुसार अमलतास का उपयोग कफ, पित्त और वात तीनों विकारों को खत्म करने में किया जाता है.

AMALTAS GOLDEN SHOWER TREE
गर्मा का गोल्डन शावर

गोल्डन शावर

अमलतास के पेड़ में आयुर्वेदिक उपयोगी के साथ ही यह पेड़ किसी जमाने में राजाओं को बहुत पसंद था. क्योंकि गर्मी के महीने में जब सारे पेड़ पौधे गर्मी की वजह से अपने पत्ते गिरा देते हैं और कहीं हरियाली और फुलवारी नजर नहीं आती. ऐसे में अमलतास अपने पीले सुंदर फूलों को छोड़ता है और इसके पीले सुंदर फूल ऐसे लगते हैं कि जैसे मानो सोने की बारिश हो रही हो. इसलिए इसे गोल्डन शावर के नाम से जाना जाता है. पुराने जमाने में राजा अपने बगीचे में इस पेड़ को लगवाते थे. आजकल शहर में इसे सुंदरता के लिए लगाया जाता है और इस समय यह गोल्डन शावर अपने पूरे शबाब पर है. पूरा पेड़ पीले कलर के फूलों से लगा हुआ नजर आ रहा है. जबलपुर के विजयनगर इलाके में भी ऐसे कई पेड़ लगे हैं.

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कई बीमारियों के लिए रामबाण है यह पेड़, ऐसे ही नहीं सहजन को कहा जाता है Tree Of Heaven

जबलपुर में जगह-जगह लगे अमलतास के पेड़

जबलपुर राज्य वन अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर उदय होमकर का कहना है कि ''यदि कोई अमलतास के पौधों को लगाना चाहता है तो इसके पौधे राज्य सरकार की वन अनुसंधान केंद्र की नर्सरी में उपलब्ध है.'' शहरों में सुंदरता के लिए पेड़ पौधे लगाए जाते हैं पर इनमें ज्यादातर ऐसे पेड़ पौधे हैं जिनका कोई उपयोग नहीं है. जबकि आयुर्वेद में कई ऐसे खूबसूरत और गुणवान पेड़ हैं जो न केवल खूबसूरती बिखेरते हैं बल्कि उनके आयुर्वेदिक फायदाओं से जनता को फायदा हो सकता है और शासन को राजस्व मिल सकता है. लेकिन उसके बावजूद इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

जबलपुर। गर्मी के मौसम में जब ज्यादातर फूलों के पौधे मुरझा जाते हैं और पेड़ पत्तियां तक छोड़ देते हैं. ऐसे मौसम में अमलतास अपनी पूरी जवानी पर होता है. इसके पीले शानदार फूलों की वजह से इसे अंग्रेजी में 'गोल्डन शावर' के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खास बात यह है कि यह मार्च से जुलाई के महीने तक ही इसमें फुल पाए जाते हैं. आयुर्वेद में भी इस पेड़ के पत्तियों और बीजों का उपयोग बताया गया है. यह कुछ रोगों के लिए सटीक दवा है, शहरी इलाकों में अमलतास का उपयोग सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जा रहा है और कई शहरी बगीचों में इसे देखा जा सकता है.

AMALTAS TREE BLOOMS IN SUMMER
अमलतास के पेड़ में गर्मी में ही आते हैं फूल

अमलतास का वर्णन आयुर्वेद के ग्रंथों में

चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और वाग्भट अष्टांग हृदय तीन महत्वपूर्ण पुस्तक हैं, जिनमें भारतीय आयुर्वेद का बहुत सारा विवरण है. इन्हीं में अमलतास के बारे में भी विस्तार से लिखा हुआ है. हालांकि इन पुस्तकों में यह विवरण अमलतास के संस्कृत नाम पर है. संस्कृत में अमलतास को 'अरगवध' के नाम से जाना जाता है.

किन बीमारियों पर काम करता है अमलतास

आयुर्वेद की इन पुस्तकों के अनुसार, अमलतास की पत्तियां त्वचा रोगों में काम आती हैं. त्वचा पर होने वाले फोड़े-फुंसी को रोकने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है. अमलतास की पेड़ की छाल भी आयुर्वेदिक उपयोग में आती है. वहीं, अमलतास का उपयोग कब्ज खत्म करने की सटीक दवाई है. डायबिटीज के मरीज के लिए अमलतास किसी वरदान से कम नहीं है, इसमें एंटी डायबिटीज के गुण पाए जाते हैं, जो शुगर कंट्रोल करने में मदद करते हैं. हालांकि इनका उपयोग डॉक्टरों की देख-देख में ही करना चाहिए और जिन लोगों को डायरिया की समस्या है उन्हें अमलतास का उपयोग नहीं करना चाहिए. आयुर्वेद के अनुसार अमलतास का उपयोग कफ, पित्त और वात तीनों विकारों को खत्म करने में किया जाता है.

AMALTAS GOLDEN SHOWER TREE
गर्मा का गोल्डन शावर

गोल्डन शावर

अमलतास के पेड़ में आयुर्वेदिक उपयोगी के साथ ही यह पेड़ किसी जमाने में राजाओं को बहुत पसंद था. क्योंकि गर्मी के महीने में जब सारे पेड़ पौधे गर्मी की वजह से अपने पत्ते गिरा देते हैं और कहीं हरियाली और फुलवारी नजर नहीं आती. ऐसे में अमलतास अपने पीले सुंदर फूलों को छोड़ता है और इसके पीले सुंदर फूल ऐसे लगते हैं कि जैसे मानो सोने की बारिश हो रही हो. इसलिए इसे गोल्डन शावर के नाम से जाना जाता है. पुराने जमाने में राजा अपने बगीचे में इस पेड़ को लगवाते थे. आजकल शहर में इसे सुंदरता के लिए लगाया जाता है और इस समय यह गोल्डन शावर अपने पूरे शबाब पर है. पूरा पेड़ पीले कलर के फूलों से लगा हुआ नजर आ रहा है. जबलपुर के विजयनगर इलाके में भी ऐसे कई पेड़ लगे हैं.

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