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जब बच्चों ने पुस्तक और स्कूल ड्रेस खरीद ली तब खुली प्रशासन की नींद, जबलपुर में 40 स्कूलों की जांच शुरू - Jabalpur 40 Private Schools Inquiry

यह कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी 'अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत', यह कहावत एमपी के उस आदेश पर सटीक बैठती है जिसमें स्कूल खुल जाने के बाद जिला प्रशासन ने 40 निजी स्कूलों के खिलाफ जांच शुरू की है.

JABALPUR 40 PRIVATE SCHOOLS INQUIRY
40 स्कूलों के खिलाफ आई शिकायत
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 5, 2024, 3:51 PM IST

जबलपुर। प्राइवेट स्कूलों में अप्रैल शुरू होते ही नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है और ऐसे में अधिकांश बच्चों ने पुस्तकें और ड्रेस स्कूल के बताए अनुसार जगहों से खरीद ली हैं. इसके बाद अब जिला प्रशासन की नींद टूटी है और कलेक्टर ने 40 स्कूलों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. इसके लिए जांच टीम भी बनाई गई है. इधर सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब इस जांच से क्या फायदा जब अभिभावक पहले ही लुट चुके हैं. ऐसे में यह कहावत बिलकुल सही है कि अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत.

पुस्तक और ड्रेस को लेकर आदेश

मध्य प्रदेश शासन ने मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फीस एवं अन्य विषयों के भी नियम अधिनियम 2017 के तहत आदेश जारी किया था कि जो भी निजी स्कूल पुस्तक और ड्रेस के नाम पर अभिभावकों को परेशान कर रहे हैं उनके खिलाफ अभिभावक जिला प्रशासन में शिकायत कर सकते हैं. शिकायत के बाद जिला प्रशासन ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करेगा.

40 स्कूलों के खिलाफ आई शिकायत

राज्य सरकार के आदेश के बाद जबलपुर में लगभग ढाई सौ शिकायतें पहुंच गई और 40 स्कूल जांच के दायरे में आ गए. इनमें सत्य प्रकाश पब्लिक स्कूल, सिटीजन किंगडम स्कूल, पायल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जॉय सीनियर सेकेंडरी स्कूल, टेडी स्मार्ट किड स्कूल, पोद्दार इंटरनेशनल स्कूल, एकलव्य ऑफ एक्सीलेंस स्कूल, लिटिल किंगडम स्कूल, एमएम इंटरनेशनल स्कूल, स्कॉटिश कान्वेंट स्कूल के खिलाफ शिकायत हुई हैं.

कलेक्टर ने बनाई जांच टीम

कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि जबलपुर जिला प्रशासन ने तहसीलदार, एसडीएम के साथ मिलकर एक टीम बनाई है जो स्कूलों की जांच कर रही है और पुस्तक विक्रेताओं की भी जांच कर रही है.

स्कूल शुरू होने के पहले करनी थी कार्रवाई

अभिभावकों को कहना है कि स्कूल 1 अप्रैल से शुरू हो जाते हैं और पुस्तक और ड्रेस खरीदने की प्रक्रिया 15 मार्च से ही शुरू हो जाती है ऐसी स्थिति में जब सरकार का आदेश और कार्रवाई शुरू हुई तब तक ज्यादातर लोग ड्रेस और पाठ्य पुस्तक खरीद चुके थे. ऐसी स्थिति में सरकार का यह फैसला बहुत लेट है और इसका फायदा लोगों को नहीं मिलेगा. यह जांच शक के दायरे में है.

ये भी पढ़ें:

मध्य प्रदेश में अब नहीं चलेगी प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, सरकार लगाएगी 2 लाख का जुर्माना, जानिए क्या है पूरा मामला

ड्रेस और किताबों को लेकर निजी स्कूल नहीं कर सकते मनमानी, एक्शन की तैयारी में शिक्षा विभाग

एनसीईआरटी क्यों लागू नहीं करते

जबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव का कहना है कि "पाठ्यपुस्तक के मामले में सरकार को एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें कोर्स में शामिल करवाने की बाध्यता करनी चाहिए. इससे न केवल शिक्षा में एकरूपता आएगी बल्कि कम दामों में लोगों को पाठ्य पुस्तकें मिल सकेंगी. एनसीईआरटी की पुस्तकों की कीमत की तुलना में बाहर मिलने वाली किताबों में 10 गुने तक का फर्क है. एनसीईआरटी की पुस्तक 10 गुने कम दाम पर मिलती हैं जबकि निजी प्रकाशक की पुस्तकें 10 गुना महंगे दामों पर मिलती हैं. एनसीईआरटी की कक्षा 8 की गणित की पुस्तक की कीमत मात्र ₹65 है और इसी क्लास की निजी प्रकाशक की पुस्तक की कीमत साढ़े ₹500 है".

जबलपुर। प्राइवेट स्कूलों में अप्रैल शुरू होते ही नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है और ऐसे में अधिकांश बच्चों ने पुस्तकें और ड्रेस स्कूल के बताए अनुसार जगहों से खरीद ली हैं. इसके बाद अब जिला प्रशासन की नींद टूटी है और कलेक्टर ने 40 स्कूलों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. इसके लिए जांच टीम भी बनाई गई है. इधर सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब इस जांच से क्या फायदा जब अभिभावक पहले ही लुट चुके हैं. ऐसे में यह कहावत बिलकुल सही है कि अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत.

पुस्तक और ड्रेस को लेकर आदेश

मध्य प्रदेश शासन ने मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फीस एवं अन्य विषयों के भी नियम अधिनियम 2017 के तहत आदेश जारी किया था कि जो भी निजी स्कूल पुस्तक और ड्रेस के नाम पर अभिभावकों को परेशान कर रहे हैं उनके खिलाफ अभिभावक जिला प्रशासन में शिकायत कर सकते हैं. शिकायत के बाद जिला प्रशासन ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करेगा.

40 स्कूलों के खिलाफ आई शिकायत

राज्य सरकार के आदेश के बाद जबलपुर में लगभग ढाई सौ शिकायतें पहुंच गई और 40 स्कूल जांच के दायरे में आ गए. इनमें सत्य प्रकाश पब्लिक स्कूल, सिटीजन किंगडम स्कूल, पायल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जॉय सीनियर सेकेंडरी स्कूल, टेडी स्मार्ट किड स्कूल, पोद्दार इंटरनेशनल स्कूल, एकलव्य ऑफ एक्सीलेंस स्कूल, लिटिल किंगडम स्कूल, एमएम इंटरनेशनल स्कूल, स्कॉटिश कान्वेंट स्कूल के खिलाफ शिकायत हुई हैं.

कलेक्टर ने बनाई जांच टीम

कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि जबलपुर जिला प्रशासन ने तहसीलदार, एसडीएम के साथ मिलकर एक टीम बनाई है जो स्कूलों की जांच कर रही है और पुस्तक विक्रेताओं की भी जांच कर रही है.

स्कूल शुरू होने के पहले करनी थी कार्रवाई

अभिभावकों को कहना है कि स्कूल 1 अप्रैल से शुरू हो जाते हैं और पुस्तक और ड्रेस खरीदने की प्रक्रिया 15 मार्च से ही शुरू हो जाती है ऐसी स्थिति में जब सरकार का आदेश और कार्रवाई शुरू हुई तब तक ज्यादातर लोग ड्रेस और पाठ्य पुस्तक खरीद चुके थे. ऐसी स्थिति में सरकार का यह फैसला बहुत लेट है और इसका फायदा लोगों को नहीं मिलेगा. यह जांच शक के दायरे में है.

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एनसीईआरटी क्यों लागू नहीं करते

जबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव का कहना है कि "पाठ्यपुस्तक के मामले में सरकार को एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें कोर्स में शामिल करवाने की बाध्यता करनी चाहिए. इससे न केवल शिक्षा में एकरूपता आएगी बल्कि कम दामों में लोगों को पाठ्य पुस्तकें मिल सकेंगी. एनसीईआरटी की पुस्तकों की कीमत की तुलना में बाहर मिलने वाली किताबों में 10 गुने तक का फर्क है. एनसीईआरटी की पुस्तक 10 गुने कम दाम पर मिलती हैं जबकि निजी प्रकाशक की पुस्तकें 10 गुना महंगे दामों पर मिलती हैं. एनसीईआरटी की कक्षा 8 की गणित की पुस्तक की कीमत मात्र ₹65 है और इसी क्लास की निजी प्रकाशक की पुस्तक की कीमत साढ़े ₹500 है".

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