देहरादून: उत्तराखंड में साइबर अटैक के कारण अभी भी 90 से ज्यादा सरकारी ऑनलाइन एप्लीकेशन ठप पड़ी हुई हैं. वहीं उत्तराखंड की साइबर पुलिस भी अभीतक साइबर अटैकर्स को ट्रेक नहीं कर पाई है. यही कारण है कि अब उत्तराखंड में साइबर पुलिस को और मजबूत किया जा रहा है. उत्तराखंड में 35 करोड़ रुपए की लागत से साइबर एक्सीलेंस सेंटर खोलने की तैयारी की जा रही है. उम्मीद जताई जा रही है, इस सेंटर के खुलने के बाद साइबर ठगों पर काफी हद तक अंकुश लग जाएगा और पुलिस उन्हें आसानी से पकड़ पाएगी.
दरअसल, बीती दो अक्टूबर को उत्तराखंड स्टेट डाटा सेंटर में साइबर अटैक हुआ था. इस साइबर अटैक के बाद प्रदेश की करीब 192 सरकारी बेवसाइट और पोर्टल एक साथ बंद हो गए थे. इस घटना को हुए करीब दस दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी भी उत्तराखंड की 90 से अधिक ऑनलाइन साइट्स बंद पड़ी हुई हैं.
वहीं, उत्तराखंड में हुए इस साइबर अटैक को आईटी एक्सपर्ट भी सिस्टम की बड़ी लापरवाही मान रहे हैं. आईटी एक्सपर्ट नवनीत गिरि का कहना है कि यदि आपका फेलियर नहीं होगा तो कोई आपके घर में भी चोरी नहीं कर सकता है. उनका कहना है कि ये पहला मामला नहीं है, जब सरकारी सिस्टम पर साइबर अटैक हुआ हो, इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं.
आईटी एक्सपर्ट नवनीत गिरि ने इस बारे में थोड़ा विस्तार से बताया कि जब किसी सिस्टम में साइबर अटैक होता है, तो सबसे पहले हैकर संस्थान यानी सिस्टम का फायरवॉल को तोड़ता है. जब फायरवॉल टूटती है तो कहीं न कहीं ऐसा सिस्टम भी बनाया गया होता है, जो उसे डिटेक्ट भी कर लेते हैं. ऐसे में आपको ये तो पता ही चल जाता है कि आपके सिस्टम पर अटैक हुआ है. वहीं इस साइबर अटैक से बचने के लिए भी कई तरीके होते हैं. कैसे सिस्टम को नेटवर्क से काट दिया जाए और हैकर आपको ज्यादा नुकसान न पहुंचा पाए. इससे ये जरूर होता है कि कुछ समय के लिए सिस्मट डाउन जरूर हो जाता है, लेकिन ज्यादा नुकसान नहीं होता है. उत्तराखंड में साइबर अटैक की जो घटना हुई है, उसे आईटी एक्सपर्ट सिस्टम का फेलियर ही मान रहे हैं.
वहीं साइबर अटैक के बाद बैकअप के भरोसे फिलहाल कुछ काम शुरू हुआ है, लेकिन इस बार हुए साइबर अटैक ने जहां पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े किये थे तो वहीं अब आगे के लिए उत्तराखंड में साइबर एक्सलेंसी सेंटर खोलने की तैयारियां तेज हो गयी हैं. करीब 35 करोड़ रुपये से बनने वाले इस सेंटर में एक अहम कड़ी होगी डेटा बेस तैयार करने की, जो हर दिन प्रदेश के सभी विभागों के सिस्टम को अपडेट्स कर डेटाबेस में भेजेगा. इसमें आईआईटी रुड़की की मदद भी ली जा रही है, जिसका काम फिलहाल बेंगलुरु में चल रहा है.
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