पलामू: क्या सुखाड़ के मुहाने पर फिर खड़ा हो गई है पलामू! अभी यह कहना जल्दबाजी होगी लेकिन बारिश के जो आंकड़े निकाल कर सामने आए हैं वह चिंताजनक है. पलामू में मानसून अभी तक नहीं पहुंचा है. औसत के अनुसार जून के महीने में पलामू में बेहद ही कम बारिश हुई है. आंकड़ों पर गौर करें तो जून के महीने में पलामू में 152.4 एमएम बारिश होती है लेकिन 25 जून के आंकड़ों के अनुसार 7 मिलीमीटर ही बारिश हुई है.
जून के महीने में हुई बारिश के बाद किसान अपने खेतों में धान के बिचड़े को लगाते हैं. जुलाई के महीने धान की रोपनी शुरू हो जाती है. पलामू क्षेत्र पिछले दो वर्षों से लगातार सुखाड़ की मार झेल रहा है. 2022 और 2023 में पलामू में औसत से भी कम बारिश हुई थी. वहीं, साल 2023 में पलामू के लगभग सभी प्रखंडों को सुखाड़ क्षेत्र घोषित किया गया था. पलामू के मनातू के किसान योगेंद्र सिंह ने बताया कि वह उम्मीद के साथ खेती कर रहे हैं. बारिश का उन्हें इंतजार है. इसलिए वह धान के बिचड़े की तैयारी कर रहे हैं.
51 हजार हेक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य
पलामू में 2024 में 51000 हेक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य रखा गया है. जबकि 2023 में करीब 52000 हेक्टेयर में धान की रोपनी का लक्ष्य रखा गया था. मौसम को देखते हुए 27250 हेक्टेयर में मकई का फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, 2387 हेक्टेयर में तेलहन का फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है. 51800 हेक्टेयर में अरहर का फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है. जिला कृषि पदाधिकारी विवेक बिरुआ ने बताया कि अब तक तक सात मिलीमीटर ही बारिश हुई है. पलामू में अभी तक मानसून नहीं पहुंचा है. हालांकि अभी कुछ भी कह पाना मुश्किल है. फिलहाल 51 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी का लक्ष्य रखा गया है.
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